गोरखपुर (ब्यूरो)। सिटी में रविवार को यूपी टीईटी एंजाम का आयोजन शांती पूर्वक सम्पन्न हो गया। सुबह 10 बजे शुरू हुई फस्र्ट मीटिंग में 70 सेंटर पर 35 हजार 328 कैंडिडेट ने

रजिस्ट्रेशन कराया। जिसमें 31637 ने एग्जाम देने एग्जाम सेंटर पहुंचकर एग्जाम दिया, इनमें 3691 ने एग्जाम देने नहीं पहुंचे। दूसरी पाली में रजिस्टर्ड 25,924 कैंडिडेट में से 2921 ने

एग्जाम में नहीं शामिल हुए। इसके लिए 51 सेंटर बनाए गए थे।

ठंड में ठिठुरते दिखे कैंडिडेट्स

सिटी में ऑर्गनाइज यूपी टीईटी एग्जाम की फस्र्ट मीटिंग में शामिल होने के लिए एग्जाम शुरू होने के एक घंटे पहले एग्जाम सेटंर पर पहुंचना था। डीआईओएस ज्ञानप्रकाश भदौरिया

ने बताया कि पेपर शुरु होने से आधे घंटे पहले से कैंडिडेट्स की एंट्री शुरू करा दी गइ्र। कई अभ्यर्थी सुबह 9 बजे से पहले ही एग्जाम केंद्रों पर पहुंच गए। इस दौरान ठंड ज्यादा होने

से कई स्टूडेंट ठिठुरते नजर आए। शाम पांच बजे जब एग्जाम खत्म हुआ तो इस दौरान भी बर्फीली हवाओं ने मुश्किलें बढ़ाईं।

पेपर अच्छा हुआ है, सोशल साइंस के क्वेश्चन टफ आए थे। हिंदी के सवाल आसान थे। पिछली बार से क्वेश्चन थोड़ा टफ था, लेकिन सभी सवाल पूरा कर लिया है। रिजल्ट अच्छा

आने की पूरी उम्मीद है।

प्रियंका शर्मा, कैंडिडेट

क्वेश्चन अच्छा पूछा गया था। 2017 से ज्यादा क्वेश्चन आया था। प्रश्न मॉडरेट लेवल के पूछे गए थे, सामाजिक विज्ञान में प्रश्न यूपीपीएससी लेवल के पूछे गए थे, पेपर काफी

स्तरीय व सामयिक था।

अजय तिवारी

हिंदी के क्वेश्चन आसान आए थे। पेपर के सभी क्वेश्चन अटेंप्ट किया है। 2017 से ज्यादा क्वेश्चन पूछा गया था। अंग्रेजी और सोशल साइंस के प्रश्न थोड़ा कठिन थे। अधिकतर सवाल

यूपीएससी लेवल का था।

आशिषा, कैंडिडेट

यूपी टीईटी के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के परीक्षा का प्रश्न-पत्र स्तरीय था, बाल विकास व शिक्षण विधि में सैद्धांतिक प्रश्न अधिक पूछे गए थे, सामाजिक विज्ञान में प्रश्न

यूपीपीएससी लेवल के सवाल थे।

अजय तिवारी

गणित में लगभग हर तरह के मुश्किल सवालों की बौछार रही, पर्यावरण के प्रश्न में परिस्थितिकी व पर्यावरण के प्रश्नों की अधिकता रही। कुल मिलाकर अच्छा पेपर हुआ है। उम्मीद

है पास हो जाउंगी।

प्रीती शाही

सभी एग्जाम सेंटर्स पर एक-एक स्टैटिक मजिस्ट्रेट, केंद्र व्यस्थापक, पर्यवेक्षक और कक्ष निरीक्षक तैनात किए गए थे। एग्जाम सकुशल संपन्न करा लिया गया। कही कोई गड़बड़ी नहीं

हुई है।

ज्ञानेंद्र प्रकाश सिंह भदौरिया, डीआईओएस, गोरखपुर