गोरखपुर (ब्यूरो)। मंगलवार को पीएम के इनॉगरेशन के साथ ही एम्स में कई नई फैसिलिटी शुरू कर दी गई। इसके साथ ही सिर्फ गोरखपुर ही नई बल्कि आसपास के जिलों के लिए भी ट्रीटमेंट का बेहतर ऑप्शन तैयार हो गया है। मेडिकल ट्रीटमेंट की फील्ड में अब पूर्वांचल में गोरखपुर लीड कर रहा है। वहीं कुछ और शहरों में मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाने से सुविधाएं बढ़ रही हैं। लोगों को अब 200-300 किमी लखनऊ जाने के बाद कुछ ही दूरी पर बेहतर इलाज मिल सकेगा।

सिर्फ मेडिकल कॉलेज पर था भार

आधा दशक पहले तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का काफी टोटा था। गोरखपुर-बस्ती मंडल के लोगों के इलाज का अगर कोई ऑप्शन था तो वह था बीआरडी मेडिकल कॉलेज। सात जिलों की इतनी बड़ी आबादी का बोझ संभालते संभालते यह मेडिकल कॉलेज खुद बीमार हो चला था। ये बातें अब अतीत के पन्नों में सिमट गई हैं। वर्ष 2017 से चिकित्सा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस अंचल में आया परिवर्तन कभी कभी अकल्पनीय सा लगता है। इन दो मंडलों में अब चार मेडिकल कॉलेज जनता की सेवा में हैं, एक का शिलान्यास हो चुका है जबकि बाकी दो जिलों के लिए भी कार्ययोजना बन रही है। सबसे बड़ी बात कि विश्व स्तरीय व विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा वाले एम्स की भी सौगात के साथ पूरब में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का नया सूर्योदय हुआ है।

डेढ़ दशक से थी मांग

गोरखपुर में एम्स की स्थापना की मांग करीब डेढ़ दशक पुरानी रही। इसे लेकर 2004 से तत्समय सांसद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में लंबा जनांदोलन चला था। योगी ने सड़क से लेकर सदन तक पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूती के लिए हमेशा आवाज बुलंद की। एम्स को लेकर उनकी मुखरता ही थी कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उनके जरिये पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की यह बहुप्रतीक्षित मांग पूरी कर ली गई। प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के बाद 22 जुलाई 2016 को उन्होंने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत इसका शिलान्यास किया था। इस बीच मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो इसके निर्माण की सारी बाधाएं एक झटके में दूर हो गईं।

1011 करोड़ रुपए की लागत वाला एम्स गोरखपुर में अब बनकर तैयार है। मंगलवार को प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पण के साथ ही यहां 300 बेड का अस्पताल क्रियाशील हो गया। आने वाले दिनों में एम्स के अस्पताल की क्षमता 750 तक एक्सटेंड होगी। इनॉगरेशन के साथ ही 35 बेड का इमरजेंसी वार्ड भी सेवा में आ गया, जिससे गंभीर रोगियों को त्वरित इलाज की सुविधा मिलेगी। गोरखपुर एम्स की ओपीडी (आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट) फरवरी 2019 से ही शुरू है। अब तक करीब सात लाख लोग एम्स की ओपीडी में आ चुके हैं। 14 सामान्य और 13 स्पेशल ओपीडी की सेवा से लोगों को अब किसी भी बीमारी पर परामर्श और इलाज के लिए अन्य शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। यही नहीं, इस वर्ष मई माह से ही आईपीडी (इनडोर पेशेंट डिपार्टमेंट) में मरीज चिकित्सकीय सुविधा का लाभ लेने लगे हैं। सामान्य मरीजों की भर्ती के साथ ही अब तक दो सौ से अधिक सामान्य ऑपरेशन हो चुके हैं।

गोरखपुर एम्स में यह भी सुविधाएं

- 14 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर.

- मेडिसिन, जनरल सर्जरी, डेंटिस्ट्री (दंत संबंधी), पीडियाट्रिक्स, गायनिक, ऑर्थोपेडिक्स, डर्माटालोजी, साइकियाट्री, ऑप्थाल्मोलोजी, ईएनटी, रेडियोलोजी, डाग्यनोस्टिक, पीएमआर हीमेटोलॉजी (रक्तशास्त्र) आदि की ओपीडी।

- पैथालॉजी, डिजिटल एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड।

- कैंसर रोग डिपार्टमेंट में हेड एंड नेक क्लीनिक। रेडियोथेरेपी। 18 करोड़ रुपए की लागत से डुअल एनर्जी की रेडियोथेरेपी, ब्रेकीथेरेपी, सीटी सिम्युलेटर मशीनें भी जल्द।

- हीमोफीलिया मरीजों की जांच व इलाज।

- दो ऑक्सीजन प्लांट ( लिक्विड ऑक्सीजन व एयर प्रेशर आधारित दोनों)

- आयुष ब्लॉक व नर्सिंग कॉलेज।

करीब सात करोड़ आबादी को मिलेगा फायदा

गोरखपुर एम्स की चिकित्सकीय सुविधाओं का फायदा पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, झारखंड और नेपाल तक के लोगों को मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक करीब सात करोड़ की आबादी के लिए विश्व स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा के किए यह एम्स सबसे बड़ा केंद्र बना है।

चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी चमका पूर्वी यूपी

गोरखपुर में एम्स और गोरखपुर बस्ती मंडल में क्रियाशील चार मेडिकल कॉलेजों से पूर्वी उत्तर प्रदेश न केवल चिकित्सा बल्कि चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से चमका है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल एजुकेशन काफी पहले से है, लेकिन 2017 में योगी के सीएम बनने तक पूर्वी उत्तर प्रदेश यहीं तक सीमित भी था। अब बस्ती के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई चल रही है तो इसी सत्र से देवरिया और सिद्धार्थनगर के मेडिकल कॉलेजों में भी शुरू हो जाएगी। सबसे खास बात यह कि गोरखपुर में चिकित्सा के साथ चिकित्सा शिक्षा का भी बड़ा केंद्र एम्स हो जाने से ख्याति और बढ़ी है। वर्तमान में इस एम्स में एमबीबीएस सेकेंड बैच के छात्र अध्ययनरत हैं। आने वाले समय मे गोरखपुर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय भी शुरू हो जाएगा। 28 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसका शिलान्यास कर चुके हैं।

एम्स गोरखपुर : एक नजर में

शिलान्यास : 22 जुलाई 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों

परियोजना लागत : 1011 करोड़ रुपए

परिसर क्षेत्रफल : 112 एकड़

अस्पताल क्षमता : 750 बेड

शिक्षा सेवा : एमबीबीएस सेकेंड बैच