- एम्स ओपीडी से निकलने वाले पेशेंट्स व तीमारदारों को दवा दुकानों तक ले जाने को लेकर होती है खींचातानी

- 5-25 परसेंट तक डिस्काउंट का दावा करते हैं एजेंट, फ्री जूस और कॉफी पिलाकर भी करते लुभाने की कोशिश

GORAKHPUR: गोरखपुर एम्स की ओपीडी के जरिए पब्लिक को बढि़या इलाज तो मिल रहा है लेकिन वहीं बाहर दवा की दुकानदारी भी चमकने लगी है। एम्स के आसपास खुल चुकी ढेरों दवा दुकानों के संचालकों ने यहां बाकायदा अपने एजेंट्स लगा रखे हैं, जो ओपीडी से बाहर निकलते ही मरीजों और तीमारदारों के साथ खींचातानी पर उतारू हो जाते हैं। कोई दवा पर डिस्काउंट की बात करता है तो किसी ने दुकान के बाहर ही कुर्सियों और फ्री कॉफी तक की व्यवस्था कर रखी है। ये खुलासा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रियल्टी चेक में हुआ जब ऐसी तमाम कंप्लेंस मिलने पर टीम यहां पड़ताल करने पहुंची। कदम-कदम पर दुकानों के एजेंट पर्चे लिए मिले जिनके बीच लोगों को अपनी सेट दुकान तक ले जाने की होड़ मची रही।

150 रुपए में रख लिए प्राइवेट एजेंट

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम एम्स के मेन गेट के पास पहुंची तो मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा तैनात करीब दर्जनभर से ज्यादा प्राइवेट एजेंट्स नजर आए। रिपोर्टर कुछ देर रुक उनकी हरकतें देखता रहा। पेशेंट्स और तीमारदारों के ओपीडी के बाहर निकलते ही वे तुरंत अपना पैम्फ्लेट पकड़ाते हुए दवा में बढि़या डिस्काउंट के साथ होम डिलेवरी तक के दावे करते दिखे।

दुकान का बनवा दिया है नक्शा

वहीं एजेंट्स के जरिए मेडिकल स्टोर्स तक जाने पर तो अलग ही नजारा देखने को मिला। दुकानों के बाहर लोगों के बैठने के लिए जहां बाकायदा कुर्सियों का इंतजाम था। वहीं, फ्री जूस और कॉफी तक पिलाए जा रहे थे। एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि एम्स के भीतर दवा मिलती नहीं है। ऐसे में दवा पर 5-15 परसेंट तक डिस्काउंट देकर लोगों को अट्रैक्ट किया जाता है। वहीं कई ऐसे भी मेडिकल स्टोर संचालक मिले जिन्होंने बाकायदा गौतम गुरूंग चौराहा से जीआरडी गेट तक मेडिकल स्टोर तक के रास्ते का नक्शा भी बनवा रखा है। कुछ ऐसे भी एजेंट थे जो एक बार सेवा का अवसर देने की गुहार लगाते नजर आए। वे अपने स्टोर पर एम्स, मेडिकल कॉलेज, पीजीआई एवं केजीएमसी की सभी दवाएं उपलब्ध होने का दावा कर रहे थे।

भगाती है पुलिस, फिर आ जाते वापस

वहीं एम्स मेन गेट के पास स्थित पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने बताया कि मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा प्राइवेट एजेंट्स तैनात किए गए हैं। इन लोगों को डेली खदेड़ा जाता है लेकिन ये मानते नहीं हैं। कई बार तो आपस में झगड़ा भी कर लेते हैं। कोई टेंपो में बैठाकर ले जाना चाहता है तो कोई सीधे पैम्फ्लेट पकड़ाकर साथ ले जाकर मेडिकल स्टोर तक छोड़ आता है।

एम्स ओपीडी एक नजर

पेशेंट रजिस्ट्रेशन - 20 रुपए

डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन फीस - 100 रुपए

डेली आने वाले पेशेंट्स - करीब 2500

एम्स के आसपास मेडिकल स्टोर्स - 27

मेडिकल स्टोर संचालकों ने रखे एजेंट - 15 से ज्यादा

कॉलिंग

एम्स की ओपीडी से दिखाकर लौटे तो बाहर गेट पर मेडिकल स्टोर संचालकों के एजेंट्स खड़े मिल गए। वो दवा में छूट के साथ-साथ खाने-पीने की सुविधा भी दे रहे हैं। लेकिन दुकान तक ले जाने के लिए आपस में कई एजेंट्स भिड़ भी गए।

जयहिंद, तीमारदार

दवा में छूट की बात कहते हुए लेकर आ गए लेकिन छूट जैसा कुछ लाभ नहीं मिला। कुल 2000 रुपए की दवा 15 दिन के लिए दी है।

किसनवाती, तीमारदार

जैसे ही मरीज को लेकर बाहर आए कुछ लोग मिल गए। दवा दिलाने के लिए मुझे खींच कर ले जाने लगे। मैंने बोला भी मुझे दवा नहीं लेनी है लेकिन फिर भी जबरदस्ती करने लगे।

महफूज, तीमारदार

दवा के लिए जीआरडी गेट के सामने स्थित मेडिकल स्टोर पर मुझे जाने के लिए बार-बार लोग कहते रहे लेकिन मैं नहीं गया। जहां से मुझे दवा लेना होगी वहां से लूंगा।

अख्तर, तीमारदार

वर्जन

अगर दवा में डिस्काउंट देने का दावा कर रहे हैं तो यह मरीजों के लिए फायदेमंद है। लेकिन जोर-जबरदस्ती कर अपने मेडिकल स्टोर पर ले जाना गलत है। मरीज व तीमारदार स्वतंत्र हैं कि वह कहां से दवा लें। चेकिंग कराई जाएगी।

- जय सिंह, ड्रग इंस्पेक्टर, ड्रग्स डिपार्टमेंट