मां की मौत के गम ने सिखा दी मिमिक्री

मगहर कसबे के अब्दुल रहमान फैमिली की सात औलादों में तीसरे नंबर के मुजीर्बुरहमान को शुरू से कलाकार बनने का शौक था। करीब 10 साल पहले जब उनकी मां का निधन हुआ तो वह बागीचे में गुमशुम बैठे थे। तभी एक पक्षी की आवाज निकाली। उसके बाद पै्रक्टिस की तो बचपन का शौक पेशा बन गया जिसकी बदौलत रोजी रोटी चलती है।

माइकल की आवाज पर दौड़ते हैं पशु-पक्षी

माइकल का कहना है कि उनको मां सरस्वती का आशीर्वाद है। कौआ, गौरया, बगुला, मेंढक, गाय, भैंस, कुत्ता, बकरी, बंदर सहित एक दर्जन से अधिक पशुओं और पक्षियों की आवाज निकालने में माहिर माइकल के बुलाने पर कौआ और बगुला दौड़ पड़ते हैं। उनकी आवाज सुनकर गली के कुत्ते भी चौंक पड़ते हैं।

ऐसा लगता है कि सामने खड़े हैं अमिताभ बच्चन

पशु-पक्षियों की आवाज निकालने में माहिर माइकल एक्टर्स की मिमिक्री कर लेते हैं। एक्टर राजकुमार, देवानंद, शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन सहित कई आर्टिस्ट की मिमिक्री में माहिर माइकल जब आवाज का जादू चलाते हैं तो लोगों का लगता है कि सचमुच अमिताभ बच्चन आ गए हैं।

मिमिक्री की बदौलत मिला काम

पशु-पक्षियों की बोली और एक्टर्स की मिमिक्री करने की बदौलत माइकल को भोजपुरी फिल्मों में काम मिला। सिटी में बनी गुंडईराज, डकैत सहित तीन फिल्मों में माइकल को मौका मिल चुका है।

संसाधनों की कमी से पिछड़ जाते हैं कलाकार

माइकल ने कहा कि संसाधनों की कमी और उचित मंच न मिलने से आर्टिस्ट को स्ट्रगल करना पड़ता है। छोटे कसबे और गांवों से आने वाले आर्टिस्ट के लिए तो यह राह बहुत कठिन है। संतकबीर के आशीर्वाद से आज पब्लिक को उनकी आवाज पसंद आती है। मगहर महोत्सव में प्रोग्राम के साथ टीवी पर अपना हुनर दिखाने का मौका मिला है, लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आ रही है।