-मंडल के टीचर्स को ट्रेंड करेगी मोबाइल वैन

-संतकबीरनगर, बस्ती, देवरिया, महाराजगंज में वैन जाकर देगी फ्री ट्रेंनिंग

-हाइटेक अंदाज में तैयार हो गई पांच बसें

GORAKHPUR: कोरोना काल में सभी काम टेक्नीकल हो गए हैं। इसका अंदाजा ऑनलाइन पढ़ाई से लग गया होगा। ऑनलाइन पढ़ाई ने बहुत से टीचर को निराश किया है। आपको बहुत अच्छा पढ़ाने का हुनर आता है फिर भी आप टीचिंग के लिए परफेक्ट तभी होंगे जब आपके अंदर ऑनलाइन पढ़ाने और बच्चों को समझाने का हुनर होगा। इस वजह से सिटी के करीब 70 प्रतिशत टीचर बेकार हो गए हैं। इन टीचर्स को टे्रंड करने की पहल सेंट पॉल स्कूल ने की है। स्कूल प्रबंधन ने पांच बसें तैयार की हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरा, लैपटॉप, व्हाइट बोर्ड एवं इंटरैक्टिव पैनल फिट किया गया है।

टीचर्स को फ्री में मिलेगी ट्रेनिंग

ये बसें गोरखपुर समेत मंडल के बस्ती, महाराजगंज, देवरिया, सिद्धार्थनगर जाएगी। जहां पर टीचर्स को फ्री में ट्रेनिंग देकर टेक्नीकल रूप से मजबूत किया जाएगा। ताकी वो भी ऑनलाइन पढ़ाई में अपनी भागीदारी निभा कर अपने परिवार का खचर्1 चला सके।

स्मार्ट बसों में किया तब्दील

सेंट पॉल स्कूल की पांच बसों को स्मार्ट बसों में तब्दील किया गया है। लर्निग स्टूडियो के बाद कोविड 19 से लड़ने के लिए स्कूल की तरफ से दूसरा उठाया गया कदम है जिस प्रोजेक्ट का नाम सेंट पॉल लि1र्नग बस है।

एक स्थान पर आठ घंटे रहेगी बस

स्कूल के एग्जिक्यूटिव पि्रंसिपल अमरीश चन्द्रा ने बताया कि अभी पांच बसों को लर्निंग बस में बदला गया है। एक हफ्ता बाद से यह बसों को ट्रेनिंग के लिए पांच जिलों में अलग-अलग स्थानों पर रवाना किया जाएगा। एक स्थान पर बस आठ घंटे तक लर्निग बस के माध्यम से ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें डिजिटल पाठ्यक्रम, डिजिटल एसेसमेंट और डिजिटल डिलीवरी सिखायी जायेगी। लर्निंग बस में सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए सिटिंग प्लान तैयार किया गया है। इसलिए एक बस में एक क्लास में 18 टीचर शामिल हो सकेंगे। ट्रेनिंग पूरा करने वाले टीचर को सर्टिफिकेट भी दिया जायेगा।

74 प्रतिशत शिक्षकों के पास साधारण फोन

सेंट पॉल्स स्कूल की ओर से गोरखपुर नेट पर शो कर रहे टीचर्स से जुड़े आंकड़े के अनुसार, एक सर्वे कराकर एक एवरेज निकाला गया है। अमरीश चन्द्रा ने बताया कि सवर्ें में कई तथ्य चौंकाने वाले हैं। सबसे बड़ा तथ्य यह था कि टीचर का बैकग्राउंड क्या है। मतलब डिजिटली वह कितना सशक्त है। इसमें सामने आया कि 74 प्रतिशत टीचर ऐसे हैं जो आज भी साधारण फोन का प्रयोग करते हैं। जिले में तकरीबन 700 स्कूल मान्यता प्राप्त हैं। एक स्कूल में औसतन 20 टीचर ही कार्यरत है। जिनकी सैलेरी औसतन 15766 रुपये हैं। ऐसे में टेक्नीकल ट्रेनिंग की जरूरत और बढ़ जाती है क्योंकि कोरोना काल में टीचर्स की नौकरी नहीं जाना चाहिए। किसी भी स्कूल का आधार टीचर ही हैं। इनके अभाव में क्वालिटी एजुकेशन बच्चों को नहीं मिल सकती है।

ैक्ट फीगर

1-5 तक के स्कूल-85

लोवर केजी से 5 तक स्कूल-95

लोवर केजी से 8 तक स्कूल-452

क्लास 12 तक के स्कूल-50

टोटल स्कूल- 683

एक स्कूल में एवरेज टीचर-20

टीचर की एवरेज सैलरी-15, 766

एक महीने में टीचर की सैलरी पर खर्च- 20 करोड़ से अधिक

स्टूडेंट की संख्या- 5, 50 लाख

कोट-

कोरोना काल में टीचर्स अवसाद में चले गए हैं। जॉब जाने का खतरा अधिकतर टीचर पर मंडरा रहा है। टीचर्स ही स्कूल की नींव होते हैं। इसलिए मैंने टीचर्स को समय के साथ अपडेट करने को सोचा। ताकि वे ऑनलाइन पढ़ाई में भी अपनी भागीदारी निभा सकें।

अमरीश चंद्रा, एग्जीक्यूटिव प्रिंसिपल, सेंट पॉल