- मुकद्दस रमजान में जारी है इबादत का सिलसिला

- कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान में रखकर अदा की जा रही है नमाज

GORAKHPUR: रविवार को 12वां रोजा रखकर मुस्लिम समुदाय ने घरों में इबादत की। लॉकडाउन का पालन किया। कोरोना संक्रमण से हिफाजत की दुआ मांगी। मस्जिदों में कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर नमाज अदा की जा रही है। हर तरह की बीमारी से छुटकारे की दुआ रो-रो कर मांगी जा रही है। मुकद्दस रमजान का दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों से माफी का चल रहा है। इबादत व कुरआन-ए-पाक की तिलावत का सिलसिला जारी है। रोजेदार अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए दिन में रोजा रख रहे हैं और रात में तरावीह की नमाज पढ़ रहे हैं। बड़े, बूढ़े व बच्चे सभी इबादत में मशगूल हैं।

मरीजों की मदद करें

उलेमा-ए-किराम बराबर अवाम से अपील कर रहे हैं कि कोरोना वायरस से बचने की एहतियाती तदबीरों पर सभी कड़ाई से अमल करें। परेशानी से जूझ रहे लोगों की मदद करें। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। जरूरतमंदों की मदद को आगे आएं। कोरोना मरीजों व अन्य मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर, दवा व बेड दिलाने में हरसंभव मदद करें।

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रोजा रोशनी की लकीर और नेकी की नजीर है : हाफिज सद्दाम हुसैन

हाफिज सद्दाम हुसैन ने बताया कि रोजा रोशनी की लकीर और नेकी की नजीर (मिसाल) है। रमजान का तो हर रोजा खुशहाली का खजाना और पाकीजगी का पैमाना है। रमजान की बरकतों की तहरीर का ये कारवां बढ़ता ही जा रहा है। रोजा अल्लाह के करीब ले जाने वाला रास्ता है। इसलिए रोजा अल्लाह से खौफ और मोहब्बत का सबब तो है ही, अल्लाह का अदब भी है। जब अल्लाह के फजल की तलब की जाती है तो अल्लाह रोजादार की दुआ सुनता है और मुराद पूरी करता है। फर्ज नमाजों के साथ तरावीह, नफ्ल नमाज, तिलावत-ए-कुरआन कर अल्लाह के फरमाबरदार बनें।

रोजा अल्लाह का अदब और फजल : हाफिज आसिफ

हाफिज आसिफ रजा ने बताया कि रोजा अल्लाह का अदब भी है और फजल की तलब भी है। अल्लाह महान है इसलिए उस अजीम से डरना दरअसल मोहब्बत करना ही है। इसलिए एक रोजादार जब रोजा रखता है तो उसके दिल में खौफ खुदा होता है, जो उसे रोजे के अहकाम और अदब से बांधता है। बाकी बचे रोजे में खूब इबादत कर अल्लाह को राजी करें। सदका, जकात व फित्रा की रकम हकदारों तक जल्द पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।