- रमजानुल मुबारक का पहला जुमा, दिन भर इबादत में मशगूल रहे रोजेदार

- दर्स का भी जारी रहा दौर, उलेमाओं ने रखीं अपनी बातें

GORAKHPUR: रमजानुल मुबारक के पहले जुमा की नमाज शहर की छोटी-बड़ी मस्जिदों में कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत सीमित संख्या में लोगों ने अदा की। मुल्क में अमन, शांति व कोरोना वॉयरस से छुटकारे की की दुआ मांगी गई। मस्जिदों में जुमा का खुतबा व नमाज अदा की गई। नबी-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर दरुदो सलाम पेश किया गया। अलसुबह रोजेदारों ने सहरी खाई। पुरुषों व महिलाओं ने नमाजे फज्र अदा की। इबादतगाहों व घरों में साफ-सफाई की गई। लोगों ने गुस्ल किया। साफ सुथरे कपड़े पहने। इत्र लगाया, टोपी पहनी। नमाज पढ़ी। कुरआन की तिलावत कर दुआ मांगी।

भूखे रहने का नाम नहीं रमजान

जुमा की नमाज से पहले मस्जिद के इमामों ने रमजान के फजाइल बयान किए। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मो। असलम रजवी ने कहा कि असल में रमजान सिर्फ भूखे रहने का नाम ही नहीं है, बल्कि खुद पर कंट्रोल करना, बुराई को हराना, गरीबों के दर्द को महसूस करना, उनकी मदद करना और खुद को एक अच्छा इंसान बनाने की पूरी प्रक्रिया है। न बुरा देखो, न बुरा सुनो और न बुरा बोलो, कुछ ऐसा ही रमजान का महीना होता है। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि रमजान का महीना इबादत का महीना है। मतलब इस महीने में ज्यादा से ज्यादा ऐसा काम किया जाए जिससे अल्लाह व रसूल खुश हों और अल्लाह व रसूल को खुश करने के लिए सबसे जरुरी है उनके बताए रास्ते पर चलना। ज्यादा से ज्यादा अल्लाह को याद करें। नमाज और कुरआन पढ़ें क्योंकि इस महीने में जो इबादत की जाती है, आम दिनों के मुकाबले ज्यादा सवाब देती है। एक दूसरे की मदद करें, जकात और फित्रा दें। मतलब गरीबों को ज्यादा से ज्यादा दान करें। रोजेदारों को इफ्तार कराएं।

सदका-ए-फित्र वाजिब

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम हाफिज महमूद रजा कादरी ने कहा कि सदका-ए-फित्र अदा करना वाजिब है। जो शख्स इतना मालदार है कि उस पर जकात वाजिब है, या जकात वाजिब हो मगर जरूरी सामान से ज्यादा इतनी कीमत का माल व सामान है जितनी कीमत पर जकात वाजिब होती है तो उस शख्स पर अपनी व अपनी नाबालिग औलाद की तरफ से सदका-ए-फित्र देना वाजिब है। फित्रा वाजिब होने की तीन शर्तें है आजाद होना, मुसलमान होना, किसी ऐसे माल की मात्रा का मालिक होना जो असली जरुरत से ज्यादा हो। उस माल पर साल गुजरना शर्त नहीं और न माल का तिजारती (बिजनेस) होना शर्त है और न ही साहिबे माल का बालिग व अकील होना शर्त है। यहां तक कि नाबालिग बच्चों और वो बच्चे जो ईद के दिन तुलू फज्र यानी सूरज निकलने से पहले पैदा हुए हो और मजनूनों पर भी फित्रा वाजिब है। उनके सरपरस्त हजरात को उनकी तरफ से फित्रा देना होगा।

शुरू हुई इफ्तार की तैयारी

तकरीर के बाद जुमा का खुतबा हुआ। जुमा की नमाज अदा हुई। सलातो-सलाम पढ़ा गया। घरों में महिलाओं ने नमाज अदा की, कुरआन-ए-पाक की तिलावत की। पुरुषों ने भी तिलावत व तस्बीह की। इसके बाद इफ्तार की तैयारी शुरु हो गई। लजीज व्यंजन बनने शुरु हुए। तमाम तरह की पकौडि़या, चिप्स पापड़, चना, शर्बत, समोसे, फ्रुट चाट से दस्तरख्वान सजने लगा। शाम को असर की नमाज पढ़ी गई। इफ्तार का इंतजार शुरु हुआ। सभी के हाथ दुआ में उठे। मस्जिद का ऐलान जैसे हुआ सबने मिलकर रोजा खोला। मुस्लिम समुदाय ने रमजान का पहला जुमा और तीसरा रोजा इबादत-ए-इलाही में गुजारा।

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सहरी व इफ्तार में बरतें सावधानी - हाफिज आरिफ

- गॉर्डन मस्जिद जाहिदाबाद के इमाम हाफिज मो। आरिफ रजा ने बताया कि माह-ए-रमजान के दिनों में तरह-तरह के पकवान बनाए और खाए जाते हैं।

- इससे स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा रहता है, ऐसे में रोजा खोलने के तुरंत बाद पकवान इत्यादि कम खाएं।

- सहरी व इफ्तार के समय अंकुरित अनाज, खजूर, बादाम, केला, जूस और हरी सब्जियां इत्यादि का सेवन करना चाहिए। जो शरीर को मजबूत बनाते हैं।

- इनसे आपको भूख भी कम लगेगी और एसीडिटी इत्यादि की शिकायत भी नहीं होगी।

- स्वस्थ रहने के लिए और रक्तचाप सामान्य बनाए रखने के लिए तरल पदार्थो को अधिक खाएं। सहरी व इफ्तार के दौरान खूब पानी पिएं।

- इससे शरीर में पानी की कमी को दूर करने और स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।

- माह-ए-रमजान के दौरान तैलीय, मीठे, चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक इत्यादि से परहेज करें।

- शाम को रोजा खोलने के बाद हल्का-फुल्का भोजन ही खाएं या फिर रोजा खोलने के बाद मौसमी का जूस, नींबू पानी, तरबूज, खरबूज, फ्रूट इत्यादि लें।

- खजूर का सेवन जरूर करें। खजूर नबी-ए-पाक की सुन्नत भी है और शरीर को ताकत देती है।

मिस्वाक रोजेदारों के लिए बेहद फायदेमंद : हाफिज अशरफ

- नूरानी मस्जिद तरंग क्रासिंग के इमाम हाफिज मो। अशरफ ने बताया कि रमजान माह में रोजेदार मिस्वाक (दातुन) बड़े पैमाने पर प्रयोग करते हैं।

- हदीस में है कि नबी-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मिस्वाक का इस्तेमाल अपने लिए लाजिम कर लें।

- इसमें मुहं की पाकीजगी और अल्लाह की खुशनूदी है। सो कर उठने के बाद मिस्वाक करना सुन्नत है।

- इस सुन्नत की बरकत से मुहं साफ हो जाता हैं। मिस्वाक याददाश्त को बढ़ाता है और बलगम दूर करता है।

- मिस्वाक में चौबीस खूबियां हैं। इनमें सब से बड़ी खूबी यह है कि अल्लाह राजी होता हैं।

- मालदारी और कुशादगी पैदा होती है, मुहं में खुशबू पैदा हो जाती है।

- चेहरे को नूर और दांतो की चमक की वजह से फरिश्ते हाथ मिलाते हैं।

- आंखों की रौशनी को तेज और मसूड़ों को मजबूत बनाती है।

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हजरत फातिमा जहरा को किया याद

मस्जिदों में चल रहे रमजान के दर्स के तीसरे दिन शुक्रवार को रोजे के फजाइल के साथ हजरत फातिमा जहरा रदियल्लाहु अन्हा व हजरत मुफ्ती अहमद यार खां नईमी अलैहिर्रहमां की जिंदगी पर रोशनी डाली गई। दुआ मांगी गई। तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के ऑनलाइन दर्स में मुफ्ती मो। अजहर शम्सी ने बताया कि हजरत फातिमा जहरा रदियल्लाहु अन्हा का विसाल (निधन) 3 रमजान को हुआ था। अल्लाह ने हजरत फातिमा को तमाम औरतों के लिए आदर्श बनाया है। हजरत फातिमा आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की प्यारी बेटी हैं। हजरत खदीजा की आंख का तारा हैं। हजरत अली की बीवी हैं। जन्नती जवानों के सरदार हजरत इमाम हसन व हजरत इमाम हुसैन की मां हैं। हजरत फातिमा का बड़ा रूतबा है। उनसे प्रेरणा हासिल कर मुस्लिम औरतें व दुनिया की तमाम औरतें दीन और दुनिया गुलजार बना सकती हैं। हजरत फातिमा ने अपनी पूरी जिंदगी अल्लाह की इबादत में गुजार दी। वालिद, शौहर, बेटों के साथ उनका जो सुलूक रहा, वह आज भी एक नमूना-ए-हयात बना हुआ है। आपने जिस तरह जिंदगी गुजारी, बच्चों की परवरिश, पड़ोसियों का ख्याल रखा वह एक मिसाल है। कारी मो। अनस रजवी ने कहा कि हजरत फातिमा सादगी में अपनी मिसाल आप थीं। आप घर में चक्की पीसने से लेकर तमाम कामों को अपने हाथों से अंजाम देती थीं। रात-दिन इबादत में मशगूल रहती थीं। हजरत फातिमा पवित्रता व सत्यता की केंद्र हैं। हजरत फातिमा का फरमान रहा है, अपने पड़ोसी को न सताओ, अपने मेहमान का सम्मान करो, हमेशा अच्छी बात मुंह से निकालो, वरना खामोश रहो। हजरत फातिमा ऐसी पाक दामन औरत थीं जिनका आदर पैगंबर-ए-आजम स्वयं करते थे। आपने औरतों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई। आप जन्नती औरतों की सरदार हैं। उन्होंने जो मार्ग दिखाया है उसका सबको अनुसरण करना चाहिए।

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