- पेश किया आवास व शहरी नियोजन की यथास्थिति और भावी योजनाओं का रोड मैप

- नेशनल वेबिनार के टेक्निकल सेशन में ऑर्गनाइज हुआ प्रोग्राम

GORAKHPUR: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ऑर्गनाइज तीन दिवसीय नेशनल वेबिनार में सर्विस सेक्टर के 7वें टेक्निकल सेशन में आवास व शहरी नियोजन की यथास्थिति और भावी योजनाओं का रोड मैप पेश किया गया। सेशन की अध्यक्षता आवास व शहरी नियोजन राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव ने की। कहा कि पूर्वांचल में विकास की गति को तेज करने के लिए गुजरात मॉडल के अनुसरण की आवश्यकता है, इस मॉडल से गरीबों के आवास संबंधी समस्या का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने अधिग्रहित भूमि के सुनिश्चित उपयोग, भूमि संबंधी विवादों का निपटारा, किराएदार के संबंध में लीज का पुनर्मूल्यांकन, प्लास्टिक के उन्मूलन, नगर निगम क्षेत्र में गौशालाओं के निर्माण और जैविक खेती से जुड़े पहलुओं पर अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि नगर पालिका और नगर निगम को आत्मनिर्भर बनाने व राजस्व के स्त्रोतों को बढ़ाने पर बल देना होगा। उन्होंने विभाग की योजनाओं के सतत मूल्यांकन व नवीन योजनाओं के निर्माण का भी सुझाव दिया।

विजन 2030 पर चर्चा

प्रमुख सचिव आवास व शहरी नियोजन विभाग दीपक कुमार ने अपनी प्रस्तुति में विभागीय उपलब्धियों के विषय में चर्चा की और पूर्वांचल क्षेत्र में आवास व शहरी नियोजन के विकास के संदर्भ में रोड मैप पेश किया। थम्मासत यूनिवर्सिटी, बैंकॉक के प्रो। भारत दहिया ने शहरी नियोजन पर अपने व्याख्यान को केंद्रित करते हुए वर्तमान वस्तुस्थिति, विकास की संभावनाओं व शहरी विकास के लिए भावी रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने एसडीजी विजन 2030 पर प्रकाश डालते हुए पूर्वांचल में शहरी विकास के लिए शहर स्तर पर विकास कार्यक्रम संचालित करने पर बल दिया। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के डॉ। प्रवीण पाठक ने पूर्वांचल में शहरी विकास के ज्वलंत मुद्दे व चुनौतियां पर अपनी बातें रखीं। निलिट गोरखपुर निदेशक डॉ। एके द्विवेदी ने पूर्वांचल में विद्युत चालित वाहनों की विकास की संभावनाओं पर चर्चा की और उन्होंने इस तरह के वाहनों के लिए बैटरी निर्माण का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा इससे पूर्वांचल में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

पेश किया भावी योजनाओं का रोडमैप

आठवें सत्र में प्रमुख रूप से पूर्वांचल की परिवहन व्यवस्था व बैंकिंग और टेलीकॉम व आईटी उद्योग पर गहन मंथन किया गया। सेशन की अध्यक्षता परिवहन व संसदीय कार्य मंत्री अशोक कटारिया व सह-अध्यक्षता गोरखपुर यूनिवर्सिटी के डॉ। शरद चंद्र श्रीवास्तव ने की। विशेष सचिव परिवहन विभाग डॉ। अखिलेश कुमार मिश्रा ने अपनी प्रेजेंटेशन में विभागीय उपलब्धियों के विषय में चर्चा की और पूर्वांचल क्षेत्र में परिवहन के विकास में भावी योजनाओं का रोड मैप प्रस्तुत किया। टाटा मोटर्स लखनऊ सैयद मसूद और राजा जिसान ने विद्युत चालित वाहनों के प्रयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए, इसके विकास के संबंध में सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने विश्व के अनेक देशों के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए, पूर्वांचल में इसके विकास की भूमिका को रेखांकित की।

बैंकिंग रखें राजनीति से दूर

आशीष कुमार आईसीएटी गुड़गांव ने अपने उद्बोधन में वाहन निरीक्षण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए तथा गाडि़यों के फिटनेस सेंटर व ड्राइवर फिटनेस सेंटर की स्थापना पर बल दिया। हिंदवी, लखनऊ के डॉ मनीष ने पूर्वांचल के विकास में संस्थागत वित्त की भूमिका विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में वित्त संबंधित आंकड़ों का अभाव है, जिससे उचित माध्यमों द्वारा दुरुस्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार द्वारा ऋणों को माफ करने की योजना को बंद करने के साथ ही बैंकिंग क्षेत्र को राजनीति से दूर रखने का सुझाव दिया। रिलायंस जिओ लखनऊ के दिनेश तिवारी ने पूर्वांचल में फाइबर टू द होम तकनीकी विकसित करने का सुझाव दिया, उन्होंने कहा कि इस तकनीक के विकास व प्रयोग से न केवल लोगों के जीवन स्तर की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स के आय के स्त्रोतों को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी और संचार सेवाओं की लागत को भी वहनीय बनाया जा सकेगा।

पिछड़ापन दूर करने के लिए आईटी का इस्तेमाल

शिक्षाविद एस नारायण ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं हैं, जो कि पूर्वांचल के विकास में गेमचेंजर के रूप में कार्य कर सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि पूर्वांचल के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार द्वारा आईटी उद्योग को उन्नत सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। एमएमएमयूटी गोरखपुर रोहित तिवारी ने पूर्वांचल में दिहाड़ी मजदूरों की समस्याओं को अपने व्याख्यान में प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि इन मजदूरों को निकटस्थ बाजारों में नियमित रोजगार न मिल पाने के कारण इनका रहन-सहन का स्तर अत्यंत निम्न है। ऐसे में लेबर हायर अप्लीकेशन को विकसित कर दिहाड़ी मजदूरों के रोजगार प्राप्त करने की समस्या का समाधान किया जा सकता है।