- आíथक विकास के साथ सामाजिक उन्नयन का माध्यम बनेगी यह संगोष्ठी

- ऐसी नकारात्मक सोच जो विकास के लिए बाधक हो उसे खारिज करने की जरूरत

- पूर्वांचल के सतत विकास: मुद्दे, रणनीति व भावी दिशा विषय पर मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों व देश-विदेश के विशेषज्ञों ने किया मंथन

- गोरखपुर यूनिवर्सिटी और प्लानिंग डिपार्टमेंट के ज्वाइंट कोऑर्डिनेशन में ऑर्गनाइज हुआ नेशनल वेबीनार

GORAKHPUR: महात्मा बुद्ध के विचार 'अप्प दीपो भव:' से प्रेरित होकर प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के सतत विकास में सहभागी बनना पड़ेगा। दुनिया के प्रथम मानव मनु से जुड़ी भूमि पूर्वी उत्तर प्रदेश प्राकृतिक रूप से समृद्ध है। इस भूमि को ईश्वर ने सब कुछ दिया है, लेकिन हम ईश्वर के भरोसे रह कर इसकी प्रगति के लिये कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में तीन दिन के मंथन के बाद जिन समस्याओं को चिन्हित किया गया है, उनका समाधान स्थानीय स्तर पर ही होगा। इसमें स्थानीय संस्थाओं खास कर एकेडमिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही। वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी व प्लानिंग डिपार्टमेंट के ज्वाइंट कोऑर्डिनेशन में ऑर्गनाइज 'पूर्वांचल के सतत विकास: मुद्दे, रणनीति व भावी दिशा' टॉपिक पर ऑर्गनाइज तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के समापन समारोह में बोल रहे थे। शनिवार शाम गोरखपुर यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअली बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए सीएम योगी ने कहा कि राज्य में पिछले तीन साल में इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के लिए किए गए समन्वित प्रयासों का अनुभव वैश्विक महामारी कोरोना को काबू करने के काम आया। इसकी सराहना के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी विवश होना पड़ा। इन्हीं अनुभवों के आधार पर हमें पूर्वांचल के सतत और समग्र विकास की कार्ययोजना बनानी होगी, जिसमें सभी संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समन्वित योगदान देना होगा।

बजट और मैनपॉवर बाधक नहीं

1977 से लेकर 2017 तक इंसेफेलाइटिस के चलते पचास हजार से अधिक मौतें हुईं। राज्य के 38 जिले इससे प्रभावित थे। 2017 में हमारी सरकार ने इसे काबू में करने को कोई अतिरिक्त बजट नहीं दिया बल्कि स्वास्थ्य विभाग को नोडल बनाकर अन्य कई विभागों के समन्वित प्रयास से महज तीन साल में इस पर नियंत्रण पा लिया। ठीक इसी प्रकार के प्रयास पूर्वांचल के विकास को लेकर किए जा सकते हैं। कहा कि लक्ष्य स्पष्ट हो तो बजट और मैन पॉवर की समस्या बाधक नहीं बनती। चुनौतियों में ही मार्ग निकालना होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में प्रकृति और ईश्वर की विशेष कृपा है। दुनिया की सबसे उर्वर भूमि और सबसे अधिक मीठा जल हमारे पूर्वांचल में है, लेकिन जब हम अतिरिक्त प्रयास छोड़ देते हैं तो प्रतिस्पर्धा में पीछे छूट जाते है। विरोधी जब आपके खिलाफ बोलते हैं तो मानिए कि हम कुछ कर रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोगों की नकारात्मक सोच से पूर्वांचल गरीबी व पिछड़ेपन का शिकार रहा। विकास में बाधक लोगों को दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेकना होगा।

मंथन के निष्कर्ष पर बनेगी नीति, इसके लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन दिवसीय इस मंथन में निकले निष्कर्ष पर नीति बनाने के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति बनाई जाएगी, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। आने वाले समय में पूर्वांचल में आíथक विकास के साथ सामाजिक उन्नयन भी दिखेगा। उन्होंने पूर्वांचल के समग्र व सतत विकास के लिए प्लानिंग डिपार्टमेंट और पूर्वांचल विकास बोर्ड को इस दिशा में हर संस्था को जोड़ने को प्रेरित किया।

नीतियों को बनाना होगा पाठ्यक्रम का हिस्सा

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी व अन्य शैक्षणिक संस्थान सिर्फ डिग्री देने तक सीमित न रहें। छात्रों को शासन की योजनाओं से जोड़ने के लिए भी उन्हें आगे आना होगा। शासन की नीतियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना होगा। सैद्धांतिक के साथ कार्य के व्यावहारिक पक्ष को भी बताना होगा, तभी आत्म निर्भर भारत की परिकल्पना साकार होगी। उन्होंने शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के असली मन्तव्य को समझने और इसके अनुसार अमल करने का सुझाव भी दिया।

स्थानीय स्तर पर निकालें समस्याओं का समाधान

सीएम योगी ने कहा कि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही निकालना होगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या में 2017 में जब पहली बार दीपोत्सव हुआ तो 51 हजार दीये पूरे प्रदेश से जुटाने पड़े। हम दीयों व मूíतयों के लिए चीन पर निर्भर हो गए थे, जबकि यहां सबकुछ मौजूद था। कोरोना काल में चीन पर निर्भरता खत्म हुई, माटी कला को बढ़ावा मिला तो इस बार हर घर मिट्टी के दीये जले। अयोध्या के दीपोत्सव में सात लाख दीये जगमग हुए। समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद यशोनाइक ने कहा कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश के विकास में उत्तर प्रदेश का अतुल्य योगदान है। उन्होंने आयुष मंत्रालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने का भी उल्लेख किया।

क्रियान्वयन की शुरुआत यूपी से होगी

इस अवसर पर यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग के अध्यक्ष डीपी सिंह ने सतत विकास के लिए शिक्षा को बुनियादी जरूरत बताते हुए कहा कि शिक्षा स्थानीय आवश्यकता के अनुसार, सामाजिक सरोकार वाली राष्ट्रीय महत्व की तथा वैश्विक माहौल के अनुकूल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विशेषताओं से समृद्ध है और इसके जरिए विकास को नया आयाम दिया जा सकता है। नई शिक्षा नीति-2020 इक्कीसवी शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के विश्विद्यालय और महाविद्यालय नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की शुरुआत उत्तर प्रदेश से करे ऐसी मेरी अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय है पूर्वांचल का सतत विकास मुद्दे व भावी दिशा। इस सन्दर्भ में मेरा यह स्पष्ट मानना है कि सतत विकास के लिए शिक्षा और शोध की बहुत आवश्यकता है। ऐसी शिक्षा जो समय के सापेक्ष हुए बदलाव को आत्मसात करने वाली हो।

शिक्षकों को करना होगा क्षमता निर्माण

आत्मनिर्भर पूर्वांचल, आत्मनिर्भर उत्तरप्रदेश के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के लिए भी शिक्षा और रिसर्च निर्णायक है। इस सन्दर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रासंगिक है। डिजिटलाइजेशन और ऑनलाइन शिक्षा से शिक्षकों का महत्व घटेगा नहीं बल्कि बढे़गा। इसके लिए शिक्षकों को क्षमता निर्माण करना होगा। हमें इंडस्ट्री कनेक्ट शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। हम सब लोगों को मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में योगदान देकर आत्मनिर्भर भारत के लिए पहल करनी चाहिए। स्वागत संबोधन करते हुए प्रमुख सचिव नियोजन आमोद कुमार ने संगोष्ठी का सारांश प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि पांच सेक्टर में हुए 45 तकनीकी और 8 विशेष सत्रों में कृषि, श्रम शक्ति, शिक्षा, जल प्रबंधन, उद्योग आदि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण अनुशंसाएं मिली हैं। समापन समारोह की अध्यक्षता गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो। राजेश सिंह ने की। इस मौके पर पूर्वांचल विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र दयालु, नरेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री के आíथक सलाहकार डॉ केवी राजू, राज्य सभा सदस्य जय प्रकाश निषाद आदि भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन गोरखपुर यूनिवर्सिटी में रक्षा अध्ययन विभाग के प्रो। हर्ष कुमार सिन्हा ने किया।