- कलश स्थापना का समय मंगलवार की सुबह 11.36 मिनट से लेकर दोपहर 12.24 बजे तक

GORAKHPUR: कल से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इस नवरात्र काफी कुछ खास होगा। सबसे खास बात यह है कि इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी से हो रहा है, जो लोगों का परेशानी का कारण बनेगा। वहीं मातारानी की विदाई पालकी में होगी जो काफी शुभ मानी जाती है। इससे लोगों को खुशियां मिलेंगी। पं। शरद चंद मिश्र की मानें तेा माता रानी इस साल अपने भक्तों में बहुत अधिक मेहरबानी करने वाली हैं।

48 मिनट ही शुभ मुहूर्त

पंडित मिश्र का कहना है कि इस बार के नवरात्र में हर बार की तरह इस बार कलश स्थापना का कई मुहूर्त न होकर सिर्फ एक है, वह भी केवल 48 मिनट का। यही वजह है कि धर्म के जानकार इसे काफी अच्छा मान रहे हैं और उनका मानना है कि कलश स्थापना करने वालों के लिए यह नवरात्र बहुत अधिक फलदायी होगी। रहेगा। 13 अक्टूबर मंगलवार से शुरू होने वाले नवरात्र का शुभ मुहूर्त सुबह 11.36 मिनट से शुरू होकर 12.24 मिनट तक है। इस बीच ही कलश स्थापना की जा सकती है। अगर कोई किसी कारण से कलश की स्थापना नहीं कर पाता है तो वह बालू की वेदी बनाकर उसे रंगोली से सजाकर या स्वास्तिक चिन्ह बनाकर कलश को जल से भर कर रख दें। बाद कि किसी पंडित या विद्वान से कलश को मंत्रों द्वारा स्थापित करा दें।

नेताओं और अफसरों के लिए भारी

पंडि़त शरद चंद मिश्र का कहना है कि ऐसा बहुत कम होता है कि जब कोई देवी या देवता का आगमन घोड़े पर होता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई देवी या देवता घोड़े पर सवार होकर आते हैं, तो राजा और उनके सहयोगियों के लिए आफत आती है। मातारानी जब भी घोड़े पर सवार होकर आती है तो वह छत्रभंग कारक होता है, इसलिए यह नवरात्र नेताओं और अफसरों के लिए अनुकूल नहीं है। दोनों में असंतोष की स्थिति बनी रहेगी। मातारानी का गमन विजयादशमी के दिन माना जाता है। इस बार विजयादशमी 22 अक्टूबर गुरुवार के दिन हो रहा है। इस दिन की विदाई का मुहूर्त पालकी से होता है, इसलिए लिए मातारानी का गमन पालकी से होगा जो लोगों के जीवन में ढेरों खुशियां लाएगा।