गोरखपुर (ब्यूरो).ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है। जो अत्यंत ही शुभकारी है। इससे फसलों की अच्छी पैदावार होगी वहीं लोगों के धन-संपदा में भी वृद्धि होगी। लेकिन दशमी मंगलवार को होने से माता का प्रस्थान मुर्गा पर हो रहा है जो राजनीतिक उथल-पुथल का कारक बनेगा।

कलश स्थापना मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि के प्रथम दिन प्रतिपदा तिथि का अभाव नहीं है। प्रतिपदा तिथि संपूर्ण दिन और रात्रि शेष तीन बजकर 22 मिनट तक है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सुबह बजकर तीन मिनट तक, पश्चात हस्त नक्षत्र है। इसी प्रकार शुक्ल योग भी दिन में 10 बजकर 12 मिनट तक, पश्चात ब्रह्म योग और श्रीवत्स नामक औदायिक योग भी है। नवरात्रि के आरंभ के दिन न तो चित्रा नक्षत्र है और न ही वैधृति योग है, इसलिए कलश स्थापन सुबह बजकर दो मिनट से शाम सूर्यास्त पांच बजकर 58 मिनट तक किया जा सकता है। सूर्यास्त के बाद रात मे कलश स्थापन का निषेध है। वहीं अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक है। यह भी कलश स्थापन के लिए अत्यंत उत्तम और श्रेयस्कर माना गया है।

ऐसे करें पूजन-अर्चन

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, नवरात्रि का पर्व आरंभ करने के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेंहू मिलाकर बोएं। उस पर विधि पूर्वक कलश स्थापित करें। कलश पर देवी जी मूर्ति (धातु या मिट्टी) अथवा चित्रपट स्थापित करें। नित्यकर्म समाप्त कर पूजा सामग्री एकत्रित कर पवित्र आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें तथा आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि करके शांति मंत्र का पाठ कर संकल्प करें। रक्षादीपक जला लें।

सर्वप्रथम क्रमश: गणेश-अंबिका, कलश (वरुण), मातृका पूजन, नवग्रहों तथा लेखपालों का पूजन करें। प्रधान देवता-महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती-स्वरूपिणी भगवती दुर्गा का प्रतिष्ठापूर्वक ध्यान, आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, गन्ध, अक्षत, पुष्प, पत्र, सौभाग्य द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, ताम्बूल, निराजन, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा आदि षोडशोपचार से विधिपूर्वक श्रद्धा भाव से एकाग्रचित होकर पूजन करें।

महाअष्टमी व्रत तीन व चार अक्टूबर को होगी पूर्णाहुति

पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, नवरात्रि में सप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी तिथि का विशेष महत्व है। महासप्तमी दो अक्टूबर दिन रविवार को है। इस दिन सप्तमी तिथि का मान शाम बजकर 21 मिनट तक और अर्द्धरात्रि में अष्टमी होने से बलिदानादिक क्रिया इस दिन की रात्रि में संपन्न होगी। महाष्टमी व्रत तीन अक्टूबर दिन सोमवार को है। इस दिन अष्टमी तिथि का मान दिन में तीन बजकर 59 मिनट पश्चात नवमी तिथि है। महानवमी चार अक्टूबर दिन मंगलवार को महानवमी व्रत संपन्न किया जाएगा। इस दिन नवमी तिथि का मान दिन में एक बजकर 33 मिनट तक है। ऐसे में नौ दिनों के पूजन की पूर्णाहुति इसीदिन किया जाएगा। नवरात्रि व्रत की पारण और दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन पांच अक्टूबर को होगा।

शारदीय नवरात्रि का कार्यक्रम

26 सितंबर- मां शैलपुत्री पूजा व घटस्थापना

27 सितंबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

28 सितंबर- मां चंद्रघंटा पूजा

29 सितंबर- मां कुष्मांडा पूजा

30 सितंबर- मां स्कंदमाता पूजा

01 अक्टूबर- मां कात्यायनी पूजा

02 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

03 अक्टूबर- मां महागौरी पूजा

04 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा