-शहर के मार्केट में पेयजल का नहीं है अरेंजमेंट, जेब में नहीं है पैसा तो प्यासे रह जाएंगे

-जहां जाइए पैसा खर्च कर बुझाएं प्यास

GORAKHPUR: घर से निकलकर अगर रास्ते में प्यास लग जाए और आपके पास पैसे ना हो तो आप प्यासे रह जाएंगे। शहर में ढूंढने के बाद भी आपको कहीं शुद्ध पेयजल नहीं मिलेगा। नगर निगम ने बड़ी-बड़ी मार्केट्स में पहले पेयजल का बंदोबस्त किया था, लेकिन वहां भी अब सूखा पड़ा हुआ है। कहीं से टोटियां गायब हैं तो कई जगहों पर टंकी में काई जम गई है। ऐसे में पब्लिक को प्यास बुझाने के लिए अपनी जेब ढीली करनी ही पड़ रही है। ये हाल किसी एक पर्टिकुलर मार्केट का नहीं, बल्कि शहर के सभी बाजारों में ही यह देखने को मिल जाएगा।

अब सूख रहा गला

गोलघर मार्केट में रिपोर्टर पहुंचा तो यहां भी पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं नजर आया। न कोई प्याऊ का इंतजाम और न ही किसी जगह शीतल जल का बोर्ड, ऐसे में लोगों को प्यास बुझाने के लिए परेशान होना पड़ा। अपने निजी काम से आए सतीश ने बताया कि अब धूप तेज हो रही है। घर से निकलने के बाद ही अब गला सूखने लग रहा है। ऐसे में साफ और शुद्ध पेयजल का इतने बड़े मार्केट में कहीं अरेंजमेंट नहीं है। हमलोगों को प्यास लगी तो 20 रुपए खर्च कर पानी की बोतल खरीदी। जबकि पब्लिक हित में चाहिए कि हर जगह निशुल्क शुद्ध पानी का अरेंजमेंट हो।

असुरन चौक पर भी नहीं है पानी

असुरन चौक पर कई मार्केट है। लेकिन यहां भी हालत वैसी ही मिली। दुकानदारों ने अपने-अपने लिए पानी के इंतजाम कर रखे थे, लेकिन मार्केट में आने वाली खरीदारों के लिए कहीं कोई इंतजाम नहीं नजर आया। अगर यहां प्यास लग जाए तो बिना पैसे के शुद्ध पानी मिलना काफी मुश्किल है। वहीं अगर फैमिली साथ है, तो बिना पानी परचेज किए तो काम बन ही नहीं सकता है। मार्केट में आए सुनिल ने बताया कि हर जगह अब तो पानी भी खरीदना पड़ रहा है।

घंटाघर में सूखी है टंकी

काफी पहले घंटाघर में एक टंकी लगाई गई थी। जहां पर आने जाने वाले लोग शुद्ध पानी पी सकते थे, लेकिन काफी दिनों से रख-रखाव के अभाव में सभी मशीनें खराब हो गई। अपने परिवार के साथ मार्केट करने आई अंजली ने बताया कि इतनी बड़ी टंकी केवल हाथी के दांत की तरह समाने लगी हुई है। इसको सही करा दिया जाता तो पब्लिक के काम आ सकती है और लोगों को प्यास लगने पर पानी खरीदकर नहीं पीना पड़ता। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

यहां भी नहीं बंदोबस्त

इसके अलावा अलीनगर, बक्शीपुर, विजय चौक, धर्मशाला, रेतीचौक, घोषकंपनी, आजाद चौक, मोहद्दीपुर समेत कई मार्केट हैं। जहां पर हजारों लोग दिनभर आते जाते हैं। जिन्हें प्यास बुझाने के लिए जेब ढीली करनी पड़ती है।

अब ये दिन देखना बाकी रह गया था। हर बात पर पानी खरीदना पड़ रहा है। हर मार्केट के आस-पास जहां भीड़ आती है वहां पर दो से तीन जगहों पर पानी का अरेंजमेंट कराना चाहिए।

सुनील गुप्ता

पिछले साल संस्था द्वारा आरो मशीन मार्केट में लगवाई। जो अब खराब हो गई है। ये कब बनेगी ये कहना मुश्किल है। नगर निगम को असुरन मार्केट में वॉटर एटीएम लगवाना चाहिए।

मणि नाथ गुप्ता

गोलघर में कहीं भी निशुल्क पानी का अरेंजमेंट नहीं है। ऐसे में बार-बार पानी खरीदना संभव नहीं है। यहां पर अगर निशुल्क पानी की व्यवस्था होती तो पब्लिक को आराम हो जाता।

अमोल्या मिश्रा

घंटाघर, रेतीचौक इतनी घनी आबादी वाला एरिया है। यहां पर कहीं भी शुद्ध जल की व्यवस्था नहीं दिखती। कई जगह पर पुरानी मशीनें दिखाई देती हैं, लेकिन वो किसी काम की नहीं है।

देवेश लालवानी

अलीनगर हो या कोई मार्केट प्यास लगने पर जेब ढीली करेंगे तब ही आपका गला तर हो पाएगा। गलती से अगर आपके पास पैसा नहीं रहे तो आप प्यासे रह जाएंगे।

सतीश चन्द्र

नगर निगम को आगे आना होगा। अब गरमी अपना रंग दिखा रही है। कहीं भी जाने पर प्यास लगना स्वभाविक है। शुद्ध जल का अरेंजमेंट हो जाए तो पब्लिक को आराम हो जाएगा।

मोहम्मद आसिफ

अभी कहीं से कम्प्लेन नहीं आई है। जैसे ही गरमी बढ़ेगी हम लोग प्याऊ जल की व्यवस्था करते हैं। जहां भी प्याऊ जल की व्यवस्था पिछली बार की गई थी उसे दुरूस्त कराया जाएगा।

- सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, महाप्रबंधक, जलकल