-हाल-ए-जिला अस्पताल

- वार्ड में दो बेड पर एक पंखा ने बढ़ाई एडमिट पेशेंट्स की परेशानी

-गर्मी से निजात के लिए साथ ला रहे खुद का पंखा

GORAKHPUR: जिला अस्पताल में एडमिट होना है तो आपको अपने साथ पंखा भी लाना होगा। चौंक गए न लेकिन यह सच है। गर्मी बढ़ने के साथ ही यहां एडमिट पेशेंट्स की सांसत हो गई है। स्थिति यह है कि पेशेंट्स अपनी बीमारी से तो पहले ही परेशान हैं वहीं दिन-ब-दिन बढ़ती गर्मी कोढ़ में खाज का काम कर रही है। अपने पेशेंट की हालत देखते हुए अब तीमारदार अपने साथ टेबल फैन भी साथ ला रहे हैं। वहीं हॉस्पिटल प्रशासन पेशेंट्स को हो रही इस परेशानी से आंखें मूंदे बैठा है।

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य का आदेश भी बेअसर

बता दें कि हॉस्पिटल के विभिन्न वार्ड में दो बेड के बीच एक फैन लगाया गया है। जबकि बीते दिनों जिला अस्पताल के दौरे पर आए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य बीएम मीना ने सख्त निर्देश दिया था कि वार्ड के सभी बेड पर एक-एक पंखे लगाए जाएं। लेकिन जिला अस्पताल प्रशासन उनके फरमान की धज्जियां उड़ा रहा है।

फ्भ्0 बेड वाला हॉस्पिटल

जिला अस्पताल में कुल लगभग फ्भ्0 बेड वाला वार्ड है। आर्थो वार्ड में हॉल और बरामदा मिलाकर ब्0 बेड हैं जबकि सिलिंग फैन मात्र ख्0. यही स्थिति फिमेल आर्थो, इमरजेंसी वार्ड का भी है। इसके अलावा न्यू बिल्डिंग में इंसेफेलाइटिस वार्ड, चिल्ड्रेन वार्ड, फिमेल सर्जरी, मेल सर्जरी वार्ड के भी पंखों की हालत खस्ता है। गर्मी से राहत के लिए पेशेंट्स हाथ का पंखा और टेबल फैन खरीदकर काम चला रहे हैं।

आखिर कहां गए पुराने पंखे

पिछले साल आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने वार्ड में लगे सभी पुराने सिलिंग फैन उतरवाकर नये फैन लगवाए। लेकिन उतारे गए पुराने पंखे कहां गए यह बताने वाला कोई नहीं है।

ऑर्थो वार्ड में मेरा इलाज चल रहा है। यहां लगे सिलिंग फैन सिर्फ नाम के हैं। ये बिल्कुल भी हवा नहीं देते। गर्मी इतनी है कि खुद ही टेबल फैन मंगा कर काम चला रहा हूं।

रवि सिंह, पेशेंट, झंगहा

मुझे ऑर्थो वार्ड के बरामदे में एडमिट किया गया है। वार्ड में दो बेड के बीच में एक पंखा लगाया गया है लेकिन ये हवा नहीं देते हैं। एग्जॉस्ट फैन भी नहीं चलते हैं जिससे वार्ड में जबरदस्त गर्मी होती है।

जीतेंद्र यादव, पेशेंट, उरुवा

यदि वार्डो में इस तरह की दिक्कत है तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए। मरीज को बेहतर सुविधा देने के लिए अस्पताल प्रशासन प्रतिबद्ध है। हॉस्पिटल का इंस्पेक्शन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

डॉ। आरके तिवारी, एडी हेल्थ