- कोविड अस्पतालों के वेटिंग एरिया में नहीं है ऑक्सीजन

- एंबुलेंस से सीरियस मरीजों आने के बाद भर्ती होने के लिए घंटो करना पड़ रहा इंतजार

केस एक- एयरपोर्ट स्थित टीबी अस्पताल में शुक्रवार को परिजन निजी वाहन से संक्रमित को लेकर पहुंचे। संक्रमित की सांस फूल रही थी। परिजनों ने कर्मचारियों से ऑक्सीजन का इंतजाम कर, डॉक्टर को बुलाने को कहा। कर्मचारियों को ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं मिला उधर जब तक डॉक्टर आते तक मरीज की मौत हो गई।

केस टू- शनिवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में देवरिया निवासी संक्रमित को लेकर निजी एंबुलेंस लेकर परिजन पहुंचे। संक्रमित की सांसें उखड़ रही थी। डेढ़ घंटे तक भर्ती होने के लिए वेटिंग एरिया में इंतजार करते रहे। इस दौरान वहां ऑक्सीजन सिलिंडर की गुहार लगाते रहे। 8.30 बजे मरीज की मौत हो गई।

यह दो केस तो बस एग्जामपल भर है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज और टीबी अस्पताल के वेटिंग परिसर में ऑक्सीजन की व्यवस्था न पाने से मरीज अस्पताल की दहलीज पर दम तोड़ दे रहे हैं। संक्रमण की वजह से फेफड़े की धमनियां पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं ले पा रही है। ऐसे हालात में मरीज का दम फूल रहा है। उखड़ी सांसों के मरीजों को अस्पतालों तक पहुंच जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद ऑक्सीजन की कमी उन्हें मौत की आगोश में पहुंचा दे रही है। भर्ती होने से पहले वेंटिंग एरिया में कागजी कार्रवाई पूरी होते-होते मरीज दम तोड़ दे रहे हैं। दिल दहलाने वाली बात यह है कि कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन से अलग नहीं किया जा सकता है मगर यहां पर एंबुलेंस से उतरने के बाद परिसर में छोटो ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था न हो पाने से भी उनकी जान चली जा रही है।

मरीज उतार देते हैं एंबुलेंस चालक

सबसे ज्यादा दिक्कत उन मरीजों को हो रही है। जो प्राइवेट एंबुलेंस या फिर निजी वाहन से अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसे मरीजों का पहले से ही दम फूल रहा होता है। उनके परिजनों के पास ऑक्सीजन का कोई इंतजाम नहीं रहता है। ऐसे में प्राइवेट एंबुलेंस चालक जोकि मरीज को लेकर कोविड वार्ड पहुंच रहे हैं, वह उन्हें बाहर उतार कर लौट जाते हैं। ऐसे में ऑक्सीजन सपोर्ट से हटने के बाद मरीज को मौत से संघर्ष कर भर्ती होना पड़ रहा है। इसमें ही कई लोगों की जान चली जा रही है।

वेटिंग एरिया में इंतजाम दे सकता है नया जीवन

बीआरडी मेडिकल कॉलेज समेत जिले के 50 अस्पतालों मे इस समय कोविड संक्रमितों का इलाज हो रहा है। किसी भी अस्पताल के वेटिंग एरिया में मरीजों को ऑक्सीजन देने का इंतजाम नहीं है। यह वह एरिया होता है जहां पर मरीज भर्ती होने से पहले कुछ देर रखे जाते है। यहीं पर पूछताछ और सहायता काउंटर भी है। शासन के निर्देश है कि यहां पर कम से कम छोटे ऑक्सीजन सिलिंडर मौजूद होना चाहिए। लेकिन ज्यादातर जगह ऐसा नहीं है। अगर हॉस्पिटल संचालकों के साथ जिम्मेदार सिर्फ इतनी सी पहल कर दें तो इस एक पहल से दर्जनों मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

सरकारी अस्पतालों की यह व्यवस्था

- कोरोना संक्रमण बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों के वेटिंग एरिया में ऑक्सीजन की बहुत सख्त जरूरत है।

- ऐसा इसलिए कि यहां रोजाना कोविड के गंभीर मरीज पहुंच रहे हैं और इसमें से ज्यादातर को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत भी पड़ रही है।

- मगर बेड के लिए इंतजार और वेटिंग एरिया में ऑक्सीजन न मिल पाने से मरीज की जान नहीं बच पा रही है।

- रोजाना ऐसे ढेरों केसेज सामने आ रहे हैं।

- कॉलेज से जुड़े लोगों की मानें तो फौरन ऑक्सीन की व्यवस्था न हो पाने और बेड न मिलने की वजह से पेशेंट्स की हालत गंभीर हो जा रही है।

- हकीकत यह है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड फुल है।

- होम आइसोलेशन में मरीज तड़प रहे हैं, लेकिन उनके लिए बेड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

रोजाना मिल रहे हैं संक्रमित

जिले में एम्स को छोड़ दिया जाए तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और टीबी अस्पताल में कोरोनों मरीजों का इलाज चल रहा है। इसके अलावा कोविड प्राइवेट हॉस्पिटल है। सरकारी अस्पतालों में बेड पूरी तरह से फुल हैं। जबकि गोरखपुर की बात की जाए तो डेली कोरोना के 600 से 1200 संक्रमित केस सामने आ रहे हैं। वहीं मौतों की बात की जाए तो हर दिन औसतन 4 से 5 मौते भी हो रही है।

वेटिंग एरिया में ऑक्सीजन सिलिंडर होना चाहिए। इससे मरीजों को भी राहत रहेगी। हर वेटिंग एरिया में ऑक्सीजन सिलिंडर मौजूद रहे इसके लिए आदेश जारी किया

जाएगा।

- डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ