यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय संकायध्यक्षों की सलाहकार समिति का फैसला

वीसी प्रो। राजेश सिंह ने की इसकी अध्यक्षता

थर्ड डिविजन वाले शोधार्थियों का प्रवेश निरस्त

GORAKHPUR: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अहम फैसला किया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ग्रेजुएशन में थर्ड डिविजन पाने वाले स्टूडेंट्स को शोध करने पर रोक लगा दी है। शोध में एडमिशन ले चुके ऐसे स्टूडेंट्स का प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही ऐसे स्टूडेंट्स का प्रवेश लेने वाले शिक्षकों से भी जवाब तलब किया जा रहा है।

लंबे समय से चल रहा विवाद

यूनिवर्सिटी में लंबे समय से ग्रेजुएशन में थर्ड डिविजन पाने वाले स्टूडेंट्स की शोध पात्रता को लेकर विवाद चल रहा था। यूनिवर्सिटी में इसको लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं था। स्टूडेंट्स ने इसको लेकर वर्ष 2019 व 2020 में आंदोलन भी किया था। तत्कालीन कुलपति के कार्यकाल में कुछ विभागों में ऐसे स्टूडेंट्स का प्रवेश हो भी गया।

संकायध्यक्षों की समिति को सौंपा गया था मामला

यूनिवर्सिटी में कार्यभार ग्रहण करने के बाद वीसी प्रो। राजेश सिंह के सामने मामला उछला था। उन्होंने इस मामले में उच्च स्तरीय संकायध्यक्षों सलाहकार समिति को मामला सौंप दिया। समिति ने सभी पक्षों से वार्ता की। यूनिवर्सिटी के शोध अध्यादेश-2018 का अध्ययन किया। इसके बाद समिति ने कुलपति के समक्ष रिपोर्ट पेश किया। बीते शुक्रवार को वीसी की अध्यक्षता में समिति की उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में इसको लेकर अहम निर्णय लिए गए।

स्टूडेंट्स का एडमिशन होगा निरस्त

कुलसचिव डॉ। ओम प्रकाश ने कुलपति के निर्देश पर समिति के फैसले को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना के मुताबिक ग्रेजुएशन पाठ्यक्त्रम में थर्ड डिविजन लाने वाले स्टूडेंट्स ने अगर प्रवेश लिया है तो उनका प्रवेश तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जा रहा है। यह प्रवेश शोध अध्यादेश-2018 का उल्लंघन है। ऐसे स्टूडेंट्स का प्रवेश लेने वाले समिति के सदस्यों से भी नोटिस भेजकर जवाब तलब किया जाएगा। ऐसे अभ्यर्थियों के प्रवेश की अनुशंसा के लिए उत्तरदाई रहें। इतना ही नहीं अब भविष्य में शोध में होने वाले प्रवेश में भी इस नियम का सख्ती से पालन किया जाएगा। जिन स्टूडेंट्स के पास शोध अध्यादेश-2018 के अनुसार न्यूनतम अर्हता नहीं होगी, उनका प्रवेश किसी भी दशा में नहीं लिया जाएगा।