- गाइडलाइन के बाद भी रोडवेज की बसों की नहीं हो रहा सैनिटाइजेशन

- डेली गोरखपुर और राप्तीनगर डिपो से डेली 15 हजार से अधिक पैसेंजर्स करते हैं सफर

- जबकि सैनिटाइजर पर खर्च होता है पांच लाख रुपए का बजट

<- गाइडलाइन के बाद भी रोडवेज की बसों की नहीं हो रहा सैनिटाइजेशन

- डेली गोरखपुर और राप्तीनगर डिपो से डेली क्भ् हजार से अधिक पैसेंजर्स करते हैं सफर

- जबकि सैनिटाइजर पर खर्च होता है पांच लाख रुपए का बजट

GORAKHPUR:

GORAKHPUR: रोडवेज की बसों में पैसेंजर्स की जान जोखिम में हैं। कोरोना कभी भी इसके पैसेंजर्स को अपनी चपेट में ले सकता है। मगर जानकर भी साहब बिल्कुल अनजान बने बैठे हैं। कोविड-क्9 के बाद दोबारा शुरू हुई बसों को प्रॉपर सैनिटाइज कराया गया। मगर दिन बीतने के साथ ही अफसर कोरोना को भूले ही, पैसेंजर्स की सेफ्टी भी उन्हें याद नहीं रही। खुद रोडवेजकर्मी इस बात से डरे हैं और विरोध दर्ज करा रहे हैं कि न तो बसों में सैनिटाइजेशन किया जा रहा है और न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम ही हैं। जबकि हर माह रोडवेज प्रशासन सिर्फ सैनिटाइजेशन और मास्क पर पांच लाख रुपए खर्च कर रहा है।

वर्कशॉप से डायरेक्टर रोड पर बसें

गोरखपुर डिपो वर्कशॉप में दो गेट बने हुए हैं। बसों की इंट्री गेट नंबर एक से ही होती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम मौके पर पहुंची और बसों की धुलाई करने वाले एंप्लाइज से बातचीत की, तो उसने बताया कि बसों का सैनिटाइजेशन प्रॉपर तौर पर किया जाता है, लेकिन कुछ ड्राइवर बसें ले जाने की जल्दी में डीजल लेने के बाद दूसरे नंबर गेट से निकल जाते हैं। इसकी वजह से उन बसों का सैनिटाइजेशन नहीं हो पाता है।

भ्0 फीसद का सैनिटाइजेशन नहीं

गोरखपुर डिपो में निगम की 7क् बसें और क्0ख् अनुबंधित बसें हैं। वहीं राप्तीनगर डिपो में निगम की 7ब् और अनुबंधित ख्8 बसें हैं। इन सभी बसों का गाइडलाइन के अनुसार धुलाई के बाद सैनिटाइजेशन करना अनिर्वाय हैं। लेकिन हकीकत इससे इतर है। डेली भ्0 फीसद से ज्यादा बसें बिना सैनिटाइजेशन के ही बाहर निकल जा रही हैं। अगर कोई भी पैसेंजर्स बस के अंदर कोरोना पॉजिटिव निकल गया, तो इंफेक्शन फैलने में तनिक भी देरी नहीं लगेगी। रोडवेज प्रशासन की सुस्ती की वजह से पैदा हुई यह समस्या मुसीबत का सबब बन सकती है।

दिखावे का सैनिटाइजेशन

वर्कशॉप के मुख्य गेट पर दिखावे के लिए एक ड्रम को रखा गया है। इसके जरिए एक पाइप लगाई गई हैं। उसमें फव्वारे वाली एक मशीन लगी है, जिसके जरिए बसों को सैनिटाइजेशन किया जाता है। लेकिन सूत्रों की मानें तो इस ड्रम में केमिकल कम पानी ज्यादा भरा जाता है। इससे सिर्फ कोरम पूरा हो जाता है, यानि कि जिन भ्0 फीसद बसों को सैनिटाइज किया जा रहा है, वह भी सिर्फ दिखावे के लिए हैं, हकीकत में सभी बसों में मुसाफिर खतरों से खेलकर अपना सफर पूरा कर रहे हैं।

सैनिटाइजेशन मशीन का पता नहीं

कर्मचारी से जब सैनिटाइजेशन मशीन के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि मशीन कहा है इसके बारे में पता नहीं हैं। कहीं चार्ज में लगाई गई होगी। जबकि इसका चल ड्राइवर और कंडक्टर ने आरएम के सामने पहले ही उजागर किया था कि जिन बसों का संचालन किया जा रहा है। उन बसों का सैनिटाइजेशन नहीं कराया जा रहा है।

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गोरखपुर डिपो में निगम की बसें--भ्क्

अनुबंधित बसें--क्0ख्

एसी बस- 0ब्

राप्तीनगर में निगम की बसें-7ब्

अनुबंधित बसें--ख्8

एसी बसें--ब्7

पिंक बसें--0म्

गोरखपुर रीजन में बसो की संख्या-म्90

एसी बसें--भ्7

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रोडवेज वर्कशॉप में सभी बसों का धुलाई के साथ सैनिटाइजेशन कराया जाता है। साथ ही ड्राइवर व कंडक्टर को मास्क भी वितरित किए जाते हैं। यदि इसमें लापरवाही बरती जा रही है तो गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।

पीके तिवारी, आरएम गोरखपुर