- लगातार फोन पर मिल रही धमकियों के बाद भी राम भरोसे शहर की सुरक्षा व्यवस्था

- आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक के बाद उजागर हुआ पुलिस की लापरवाही का आलम

- रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन व जिला अस्पताल पर पुलिस को नहीं दिखा घंटो पड़ा रहा संदिग्ध बैग

GORAKHPUR: गोरखपुर पुलिस और यहां की कानून व्यवस्था का मजाक बना देने वाले मनबढ़ों के हौसले क्यों न बुलंद हो, जब इतनी धमकियों के बाद भी यहां के महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे है। लापरवाही का आलम हो तो यह है कि सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस की नाक के नीचे आसानी से सेंध लगाई जा सकती है। जी हां, इस लापरवाही का भी खुलासा तब हुआ, जब लगातार फोन पर मिल रही बम की धमकियों के बाद रविवार को आई नेक्स्ट टीम ने सिटी के सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले कुछ प्रमुख जगहों का रियलिटी चेक किया। रेलवे स्टेशन से लेकर बस स्टेशन तक और जिला अस्पताल जैसी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर क्रिमिनल्स बड़े ही आसानी से संदिग्ध सामान रखकर बड़ी तबाही मचा सकते हैं। इसी का नतीजा है कि बीते एक महीने में तीन बार शहर को बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद भी यहां की पुलिस सुरक्षा का इंतजाम करना तो दूर, अभी तक पुलिस का लगातार मजाक बनाने वाले शख्स का भी पता नहीं कर सकी।

इंदिरा बाल बिहार

टाइम - शाम 6 बजे

आई नेक्स्ट रिपोर्टर शहर के सबसे भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थल इंदिरा बाल बिहार पहुंचे। यहां एक पेड़ के नीचे काले रंग का बैग रख दिया। बैग ऐसी जगह रखा गया था जहां हर किसी की नजर पड़ रही थी, लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि इस बैग में क्या है? इंदिरा बाल बिहार पर एक भी पुलिस कर्मी नहीं नजर आया। संडे की वजह से इलाके में काफी चहल-पहल थी, लेकिन बगल में चौकी होने के बाद भी वहां आसपास न तो कोई पुलिसकर्मी था और न ही कोई होमगार्ड या सुरक्षा से जुड़े जवान। ऐसे में सवाल यह उठता है कि संडे को फनडे मनाने के लिए इंदिराबाल विहार पहुंचे गोरखपुराइट्स के साथ अगर को दुर्घटना होती है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।

सीन-1

जिला अस्पताल

टाइम- 11.50 बजे

यहां की सुरक्षा व्यवस्था का रियलिटी चेक करने सबसे पहले आई नेक्स्ट की टीम जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड पर पहुंची। जहां इस वक्त मरीजों की काफी भीड़ रही और वार्ड भी पूरी तरह फुल रहे। ऐसे में टीम ने मेन गेट से लेकर वार्डो तक में एक काला संदिग्ध बैग रखकर उसकी तस्वीर अपने कैमरे में कैद कर ली। बैग काफी देर तक पड़ा रहा, लेकिन किसी ने इसकी सुधि तक नहीं ली। सुरक्षा व्यवस्था की बात करें तो यहां एक होमगार्ड तक तैनात नहीं दिखा। ऐसे में आई नेक्स्ट रिपोर्टर घंटों काला संदिग्ध बैग लेकर पूरे अस्पताल में जगह-जगह रखता रहा, लेकिन इसका किसी की सेहत पर कोई असर नहीं दिखा।

सीन-2

रोडवेज बस स्टेशन

टाइम- 3.30 बजे

आम तौर पर शाम के समय बस स्टेशन पर पैसेंजर्स की सर्वाधिक भीड़ होती है। रोडवेज बस स्टेशन की स्थिति ऐसी होती है कि भीड़ की वजह से अधिकांश बसें सड़कों पर भी लगी रहती है। ऐसे में आई नेक्स्ट की टीम शाम 3.30 बजे रोडवेज बस स्टेशन पहुंची। यहां भी इंक्वायरी से लेकर वेटिंग हॉल तक पैसेंजर्स की जबरदस्त भीड़ रही। यहां भी टीम ने जगह-जगह काला संदिग्ध बैग रखकर छोड़ दिया। ताकि शायद इसपर किसी की नजर पड़े। लेकिन यहां का भी हाल कुछ वैसा ही था। बैग काफी देर तक पड़ रहा, लोग आते-जाते रहे, लेकिन बिलकुल सामने पड़े संदिग्ध बैग से किसी को कोई लेना देना नहीं रहा। यहां पुलिस नजर जरूर आई, लेकिन बस स्टेशन के सामने पुलिस चौकी पर मौज करते।

सीन-3

रेलवे स्टेशन

टाइम- 4.20 बजे

इसके बाद इसी तरह आई नेक्स्ट टीम रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक व दो पर पहुंची। इस वक्त यहां प्लेटफॉर्म नंबर दो पर खड़ी गोरखधाम एक्सप्रेस छूटने वाली थी और वैशाली का टाइम हो रहा था। ऐसे में होली के बाद जाने वाले पैसेंजर्स की जबरदस्त भीड़ थी, लेकिन यहां की भी सुरक्षा व्यवस्था महज दिखावा ही साबित हुई। वीआईपी गेट से लेकर प्लेटफॉर्म तक पर सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कोई भी नहीं दिखा। इसे देखते हुए यहां भी आई नेक्स्ट टीम ने जगह-जगह काला संदिग्ध बैग रखकर काफी देर तक वेट किया। इस बीच कई बार आरपीएफ व जीआरपी के जवान आते-जाते भी दिखे, लेकिन चाहे संदिग्ध बैग हो या फिर बम, इसका किसी को कोई फर्क नहंी पड़ा।

सीन-4

कचहरी बस स्टेशन

टाइम - 5.05 बजे

इलहाबाद व वाराणसी जाने के लिए राप्तीनगर डिपो के कचहरी बस स्टेशन पर शाम के समय पैसेंजर्स की अधिक भीड़ लगी रही। ऐसे में पूरा डिपो बसों से बिलकुल फुल रहा। आई नेक्स्ट टीम यहां भी एक संदिग्ध बैग लेकर घूमती रही। इसके बाद टीम ने इलहाबाद जाने के लिए डिपो पर खड़ी एक बस की सीट पर संदिग्ध बैग रख दिया और इंतजार करने लगी। लेकिन करीब आधे घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी बैग जस का तस पड़ा रहा। सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर न ही निगम प्रशासन का कोई जिम्मेदार दिखा और न ही पुलिस का कोई जवान। ऐसे में लाजमी है कि पुलिस की लापरवाही के चलते गोरखपुर में किसी भी बड़ी घटना को बड़े ही आसानी से अंजाम दिया जा सकता है।