आई स्टिंग

-आसान नहीं मोबाइल चोरी की एफआईआर दर्ज कराना

-थानों पर गुमगुशदगी हो जाएगी दर्ज, एफआईआर में सिरदर्द

GORAKHPUR: शहर में रोजाना लोगों के मोबाइल गायब हो रहे हैं। कुछ सब्जी मार्केट में चोरी हो जा रहे हैं, तो कुछ लोगों की जेब से गायब कर दिए जा रहे हैं। महंगा मोबाइल फोन खो जाने पर लोग बिलबिलाकर रह जा रहे हैं। पीडि़त चाहते हैं कि पुलिस एफआईआर दर्ज करके उनके चोरी मोबाइल को बरामद कर दें। लेकिन एफआईआर दर्ज करने के झाम से बचने की कोशिश में लगी पुलिस जांच के झाम में न फंसना पड़े, इसलिए पीडि़तों को समझा-बुझाकर चोरी के बजाए गुमशुदगी दर्ज कराने की सलाह दे रही है। थानों पर मौजूद मुंशी-दीवान दिलासा देते हुए कहते हैं कि गुमशुदगी दर्ज करके उसे सर्विलांस पर लगवाकर खोजने में मदद भी करा देंगे। बस, आप अप्लीकेशन से चोरी हटाकर गायब होने की तहरीर दे दीजिए। मोबाइल चोरी होने पर चोरी की एफआईआर न दर्ज करने की शिकायत कुछ लोगों ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से की। सोमवार को शहर के कुछ थानों पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम की ने मार्केट में मोबाइल चोरी होने की सूचना देकर हकीकत परखी। आई नेक्स्ट के स्टिंग में सामने आया कि मोबाइल चाहे किसी कीमत का हो, पुलिस चोरी का केस दर्ज करने के बजाय गुमशुदगी लिखवाने का ही प्रेशर बना रही है।

तहरीर लेकर थाना पर पहुंची दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्ट ने एसओ राजघाट के नाम से एक तहरीर बनाई। उसमें लिखा कि प्रार्थी आवश्यक कार्य से रेती चौक से गीता प्रेस जा रहा था। गीता प्रेस में एक दुकान के पास वह रुका, जहां चार-पांच लोग थे। वहीं पर उसका मोबाइल चोरी हो गया। तहरीर लेकर जब रिपोर्टर थाना दफ्तर में पहुंचा तो पहरे पर खड़े कांस्टेबल ने टोका। क्या काम है? कहां जा रहे हैं? रिपोर्टर ने बताया कि मोबाइल चोरी हो गया है। इसकी सूचना देने आया हूं। पहरा ने दफ्तर में मौजूद महिला कांस्टेबल और पुरुष कांस्टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उनको अप्लीकेशन दे दीजिए। सीट पर कंप्यूटर के सामने मौजूद पुलिस कर्मचारी, ड्यूटी मुंशी को अप्लीकेशन दिया। उन्होंने पत्र लेकर पढ़ा। फिर कुछ सोचते हुए बोले,

थाना राजघाट

समय : दोपहर एक बजकर 03 मिनट

रिपोर्टर : सर हमारा मोबाइल गायब हो गया है। किसी ने जेब से निकाल लिया है।

कांस्टेबल: अप्लीकेशन पढ़ते हुए जेब से गिर गया है ना, कहीं गिर गया होगा।

रिपोर्टर: जेब में रखा था। चेन खुली थी। किसी ने निकाल लिया है। चार पांच लोगों की भीड़ थी।

कांस्टेबल: ये देखिए, यहां पर चोरी नहीं सिर्फ लिख दीजिए कि जेब से गीता प्रेस के पास कहीं गिर गया है। हम अभी लगा देंगे।

इसको बदल दीजिए। अभी दे दीजिए। हम इसको कंप्यूटर में दर्ज कर देंगे। अपना आधार का फोटोकापी लेकर आइए। ओरिजनल जो लिखेंगे। यहां पर चोरी का अलग हो गया है। भाई आप जेब में रखे होंगे। कहीं गिर गया होगा। चोरी का मत दीजिए।

रिपोर्टर: आधार की कापी तो नहीं है।

कांस्टेबल: लेकर आइए, अप्लीकेशन को बदल दीजिएगा। जेब से न दिखाइएगा। कहीं गिर गया है। कोई देखता कि चोरी हुआ है तब न इसे माना जाता। आप तुरंत लेकर आईए। हम लगा देंगे।

तभी बगल में बैठी महिला कांस्टेबल भी बोल पड़ीं, आप मोबाइल कहीं गिर गया है। ऐसा लिखकर ले आइए। तुरंत कार्रवाई हो जाएगी, लेकिन चोरी मत लिखिएगा।

आधार कार्ड की कापी और फ्रेश अप्लीकेशन लेकर आने की बात कहकर रिपोर्टर थाना से निकल गया।

थाना रामगढ़ताल

समय: एक बजकर 26 मिनट

राजघाट से निकलकर टीम रामगढ़ताल थाना पर पहुंचीं। यहां पर थाना के बाहर एसएचओ की जीप खड़ी। दफ्तर के बाद एक दरोगा और टेबल के सामने एक महिला सहित कुछ लोग बैठकर बातचीत कर रहे थे। संभवत वहां किसी बात को लेकर पंचायत चल रही थी। हाथ में अप्लीकेशन लेकर रिपोर्टर आगे बढ़ा तो पहरे पर मौजूद महिला कांस्टेबल ने टोका। क्या काम है? रिपोर्टर ने बताया कि अप्लीकेशन देना है। तो इशारा करती हुई पहरा ड्यूटी की कांस्टेबल ने महिला हेल्प डेस्क पर मौजूद कांस्टेबल की तरफ भेज दिया। आगे जानिए मोबाइल चोरी के अप्लीकेशन पर क्या बातचीत हुई। रिपोर्टर महिला कांस्टेबल को अप्लीकेशन देते हुए

रिपोर्टर: मैडम एक मोबाइल गायब हो गया है।

कांस्टेबल: यहां पर चोरी काहे लिख दिए हो।

रिपोर्टर: चोरी हुआ है, न लिखे?

कांस्टेबल: यहां गिरना लिखे हो, वहां पर चोरी लिखे हो। यहां लिखो कि मोबाइल कहीं गायब हो गया है। नहीं.नहीं कहीं मत दिखाइए नाम दीजिए बताइए कि सर्किट हाउस पर या वहां जहां गिरा है।

रिपोर्टर: जी

कांस्टेबल: यहां पर लिखे हो कि गायब हो गया है। फिर कह रहे हो कि कहीं गिर गया है। जिस जगह पर गिर गया है। उस जगह को लिख दीजिए। सर्किट हाउस रोड पर मोबाइल गिर गया। आधार कार्ड है।

रिपोर्टर: अभी नहीं है, गांव पर है। कमरे पर शायद होगा।

कांस्टेबल: आप के पास कोई और आर्डप्रूफ नहीं है। मोबाइल नहीं रखे हो क्या।

रिपोर्टर: वही मोबाइल तो चोरी हुआ है।

कांस्टेबल: चोरी मत दीजिए, सर्किट हाउस से नौकायन के बीच में गायब होना दिखाइए। चोरी होने पर धारा दूसरी हो जाती है। इसलिए यह बदल जाता है। चोरी की धारा हो जाती है। इसको बदल दीजिए।

सर्विलांस में रोजाना चार से पांच शिकायतें

शहर में मोबाइल चोरी होने के संबंध में रोजाना चार से पांच शिकायतें पहुंचती हैं। इनमें चोरी के मोबाइल की शिकायत भी शामिल होती है। लेकिन चोरी से बचने के लिए थानों की पुलिस इसे गुमशुदगी बताकर दर्ज कर लेती है। बाद में किसी गैंग के पकड़े जाने पर जब ईएमआई से मिलान होता है, तो उसे चोरी में शामिल कर लिया जाता है। मोबाइल चोरी होने वाले ज्यादातर लोगों को इस बात से मतलब होता है कि सर्विलांस पर लगाकर उनका मोबाइल वापस मिल जाए। पुलिस चोरी लिख रही है कि गुमशुदगी इस पर बहस करने के बजाय लोग सिर्फ खोजने की बात कहकर आगे बढ़ लेते हैं।

इसलिए होता है खेल

दरअसल, इस खेल के पीछे सिर्फ एक वजह होती है। पुलिस ने अगर चोरी का मुकदमा दर्ज कर लिया तो उसे जांच करनी पड़ेगी। एफआईआर दर्ज होने पर क्राइम नंबर अलॉट हो जाएगा। फिर वह मोबाइल चोरी का ही मामला क्यों न हो, उसकी मॉनीटरिंग शुरू हो जाती है। पुलिस ऑफिस जांच करते हैं कि किस थाने में कितनी चोरी की घटनाएं हुई, और उसमें थानेदार ने क्या किया। कितनी घटनाओं पर वर्कआउट हुआ। यही सबसे बड़ा कारण है कि मोबाइल चोरी की रिपोर्ट दर्ज नहीं होती। पुलिस चोरी की जगह गायब होने की बात करती है। दरअसल गुमशुदगी कोई एफआईआर नहीं होती और ना ही उसकी पुलिस गंभीरता से जांच करती है। कई बार गुमशुदगी दर्ज कराने में पसीने छूट जाते हैं। मोबाइल के कागज से लेकर नोटरी बयान हल्फी तक मांगने पर पीडि़त परेशान हो जाते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग में तहरीर में चोरी की जगह सिर्फ गुमशुदगी लिखकर ले आने की बात पुलिस कर्मचारियों ने कही। हालांकि यह किसी तहरीर में फेरदबदल कराने पर भी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।

पुलिस न दर्ज करे केस तो यहां मिलेगी मदद

थानों पर मोबाइल चोरी का केस नहीं दर्ज होता है कि इसको लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसी चोरियां जिनमें आरोपित अज्ञात हैं। उनके बारे में यूपी पुलिस की वेबसाइट पर ई-एफआईआर सुविधा ले सकते हैं। इस वेबसाइट पर अज्ञात अभियुक्त और नॉन एसआर मामलों की एफआईआर दर्ज हो सकती है। किसी प्रकरण में झूठी सूचना देने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा यूपी कॉप के मोबाइल एप पर भी ई एफआईआर की व्यवस्था है। गूगल प्ले स्टोर या एप्पल एप स्टोर से किसी भी मोबाइल पर डाउनलोड करके सुविधा का लाभ लिया जा सकता है।