-जिन नमूनों की जांच में पांचों की तस्दीक नहीं होगी, वहीं आरएमआरसी भेजे जाएंगे

-इस वर्ष से शासन में लागू कर दिया है नियम

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) में अब जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) की जांच नहीं होगी। शासन ने इस वर्ष जेई समेत पांच टेस्टों की जिम्मेदारी जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज को सौंप दी है। इसके लिए आवश्यक एलाइजा मशीन भी अस्पतालों में लगा दी गई है।

जिला अस्पताल में जांच

जापानी इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण के बाद सूबे में प्रदेश सरकार ने अब सरकारी अस्पतालों में संसाधन भी बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। जिला अस्पताल में जापानी इंसेफेलाइटिस की पहचान के लिए एलाइजा मशीन और किट मुहैया करा दी है। कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दे दी गई है। इसके बाद सरकार ने अब फैसला किया है कि जेई, स्क्रब टायफस, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया की जांच अब जिला अस्पताल व सीएचसी पर होगी। इन जांचों के लिए कोई भी सैंपल आरएमआरसी नहीं भेजा जाएगा।

तैयार है जिला अस्पताल व बीआरडी का लैब

जेई समेत पांच प्रकार के जांच के लिए सरकारी अस्पताल पूरी तरह तैयार है। जिला अस्पताल में एलाइजा मशीन स्थापित है। इसके जरिए एक सैंपल से जेई, स्क्रब टायफस, डेंगू और चिकनगुनिया की जांच हो सकेगी। डेंगू और चिकनगुनिया की जांच के लिए किट भी है। मलेरिया की जांच पीएचसी-सीएचसी स्तर पर ही हो जाएगी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में बायो सेफ्टी लेवल तीन का लैब तैयार है।

आरएमआरसी में सिर्फ रेफरल जांच

एचओडी डॉ। अमरेश सिंह ने बताया कि यहा पर जेई की पहचान के साथ ही उस पर रिसर्च के भी संसाधन मौजूद हैं। सैंपल का रेफरल सेंटर बनेगा। आरएमआरसी रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर में अब रेफरल सैंपल की जांच होगी। वह सैंपल उन मरीजों के होंगे जिनमें इंसेफेलाइटिस जैसे लक्षण होंगे। उनके नमूनों से जेई, स्क्रब टायफस समेत पांच बीमारियों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। इसके बाद भी अगर मर्ज की पहचान नहीं होती है। तब नमूनों को जांच के लिए आरएमआरसी में भेजा जाएगा। यहां करीब 20 प्रकार के वायरस की पहचान जांच होगी। इसमें एंट्रोवायरस, स्केबीज शामिल हैं।

आरएमआरसी अब सैंपल का रेफरल सेंटर हो गया है। यहां पर इंसेफेलाइटिस जैसे लक्षण वाले उन मरीजों के सैंपल आ रहे हैं, जिनकी पहले से ही पांच जांचें हो चुकी है। ऐसे सैंपल में दूसरे बीमारियों की पहचान कर रहे हैं। इससे काम का लोड कम हुआ है। विशेषज्ञ अब अपना ध्यान दूसरे बीमारियों की पहचान पर करेंगे।

डॉ। अशोक पांडेय, प्रवक्ता, आरएमआरसी

शनिवार को कमिश्नर के निर्देश पर इसी की ट्रेनिंग ईटीसी प्रभारियों को दी गई है। इसमें बताया गया है कि जेई समेत पांच जांचों के लिए नमूने को अब सीधे आरएमआरसी नहीं भेजना है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के नमूनों की जांच मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी में होगी। वहीं सीएचसी-पीएचसी में भर्ती मरीजों के नमूनों की जांच जिला अस्पताल में की जाएगी।

- डॉ। वीके श्रीवास्तव, नोडल अधिकारी, इंसेफेलाइटिस नियंत्रण