गोरखपुर (ब्यूरो)।बोर्ड ने वजह से जानने के लिए सभी स्कूलों को नोटिस भेजी है। साथ ही एक गूगल फॉर्म भी तैयार कर स्कूलों को भेजा है। जिसमें बच्चों के अटेंडेंस से लेकर उनकी घटती संख्या और उनकी टीसी को लेकर भी जानकारी मांगी है। गूगल फॉर्म में कई प्वाइंट पर सवाल बोर्ड ने पूछे हैं। जिसके जवाब 8 मई तक सभी स्कूलों को देना है।

सर्वे से वजह तलाश रहा बोर्ड

स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज के डायरेक्टर राजीव गुप्ता ने बताया कि यह एक तरह का सर्वे है। जिससे बोर्ड बच्चों की घटती संख्या की वजह तलाश रहा है। उन्होंने बताया कि 9 से 12 वीं क्लास में हर साल बच्चों की संख्या कम हो रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह छोटी क्लास से ही पेरेंट्स बच्चों को कॉम्प्टीशन एग्जाम की तैयारी में लगा दे रहे हैं।

नॉन स्कूलिंग है वजह

आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विशाल त्रिपाठी ने बताया कि सीबीएसई स्कूलों में क्लास नौंवी और 11 वीं में स्टूडेंट के पंजीकरण की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण नॉन स्कूलिंग है। हर स्टूडेंट यही चाह रहा है कि बिना स्कूल गए ही वह पढ़ाई पूरी कर लें। साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर लें। सीबीएसई में 75 प्रतिशत अटेंडेंस का कठोरता से पालन होता है। जबकि अन्य बोर्र्डो में अटेंडेंस को लेकर इतनी सख्ती नहीं है। ऐसे में स्टूडेंट दूसरे बोर्ड की तरफ रुख कर रहे हैं।

सात परसेंट की आई कमी

विशाल त्रिपाठी ने बताया कि सीबीएसई में नियम है कि यदि स्टूडेंट एक से अधिक विषय में फेल है तो उसे कंपार्टमेंट एग्जाम देकर पास होना होगा। तभी उसे अगली क्लास में जाने को मिलेगा। जबकि स्टूडेंट और पेरेंट्स उसी क्लास में दोबारा पढऩा या पढ़ाना नहीं चाहते हैं। मेरे अनुसार पिछले दो-तीन वर्षों में पंजीकरण में पांच से सात प्रतिशत की गिरावट आई है। जिसको लेकर बोर्ड चिंतित है।

पिछले कुछ वर्षों से यह परंपरा चल पड़ी है कि जिसके तहत अधिकांश स्टूडेंट आठवीं के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट जा रहे हैं। पेरेंट्स भी यही चाह रहे हैं कि उनका स्कूल में नाम चलता रहे और उनका बच्चा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करता रहे। यानी नॉन स्कूलिंग सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में क्लास नौंवी व 11वीं में पंजीकरण की घटती संख्या का प्रमुख कारण बनता जा रहा है।

-सलील के.श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, जेपी एजुकेशन एकेडमी

बोर्ड द्वारा भेजा गया गूगल फॉर्म भरा जा रहा है। ये सही है कि इधर स्टूडेंट की संख्या खास तौर से 9वीं से 12वीं क्लास में पहले के अपेक्षा कम हुई है। इधर तेजी से नॉन स्कूलिंग का फैशन चल पड़ा रहा है। ये बच्चों के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जब बच्चे की जड़ ही मजबूत नहीं रहेगी, तब वो आगे क्या कर पाएगा।

-विशाल त्रिपाठी, प्रिंसिपल, आर्मी पब्लिक स्कूल

इधर ऐसा देखने को मिल रहा है। क्लास 8 वीं तक जाते-जाते पेरेंट्स बच्चे को कॉम्प्टीशन की तैयारी में लगा दे रहे हैं। सीबीएसई में उनकी दाल नहीं गल सकती है। इसलिए वे दूसरे बोर्ड का सहारा ले रहे हैं। जहां पर अटेंडेंस की बाध्यता ना रहे। बोर्ड द्वारा भेजा गया गूगल फॉर्म भर दिया गया है। वजह भी बोर्ड को भेज दी गई है।

- राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज