गोरखपुर (ब्यूरो)। Chaitra Navratri 2022 Date & Time: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त माता रानी का वाहन अलग होता है। इस चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। कोरोना संक्रमण कमजोर होने के चलते इस बार मंदिरों में शक्ति की भक्ति जमकर देखने को मिलेगी।

वाराणसी से प्रकाशित ऋषिकेश पंचांग के अनुसार दो अप्रैल को प्रतिपदा तिथि का मान दिन में 11 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इसी तरह रेवती नक्षत्र दिन में 12 बजकर 57 मिनट तक है, पश्चात अश्विनी नक्षत्र है। ऐंद्र योग सुबह आठ बजकर 22 मिनट तक, पश्चात वैधृति योग है। इस दिन धाता नामक औदायिक योग भी है। वासंतिक नवरात्रि का समापन 10 अप्रैल को हो रहा है। इस दिन नवमी तिथि का मान संपूर्ण दिन व रात को 12 बजकर आठ मिनट तक है। इसी तरह पुष्य नक्षत्र भी संपूर्ण दिन व रात्रि शेष चार बजकर आठ मिनट तक है। दिन में सुकर्मा और धृति नाम का योग और श्रीवत्स नाम का महा औदायिक योग भी है।

वासंतिक नवरात्र का महत्व

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंतिक नवरात्र कहा जाता है। इस दौरान हर दिन मां के नौ अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है। नवें दिन ही हवन के बाद कन्या पूजन होता है। मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्र के नवनी तिथि को ही भगवान राम का जन्म हुआ था।

8 को महानिशा पूजा, 9 को अष्टमी का व्रत

पंडित शरदचंद्र मिश्र के अनुसार महानिशा पूजा बलिदान के लिए आठ अप्रैल का दिन मान्य रहेगा। इस दिन सप्तमी तिथि का मान आठ बजकर 29 मिनट तक पश्चात रात में अष्टमी है। इसी रात में महानिशा पूजा और देवी के निमित्त बलिदानादिक क्रियाएं संपन्न की जाएंगी। बताया कि नौ अप्रैल को दिन शनिवार को महाष्टमी का व्रत किया जाएगा। इस दिन अष्टमी तिथि का मान रात्रि 10 बजकर 26 तक रहेगा। इसी तरह पुनर्वसु नक्षत्र भी संपूर्ण दिन और अद्र्धरात्रि के बाद एक बजकर 56 तक है। सूर्योदय की तिथि में अष्टमी होने से और अर्धरात्रि में नवमी का संयोग होने से महाष्टमी व्रत के लिए यह दिन पूर्ण प्रशस्त रहेगा।

मांगलिक कार्य के लिए 52 दिन शुभ, बजेगी शहनाई

खरमास के चलते एक माह से रुके मांगलिक और शुभ कार्य अब 14 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा और शादी-ब्याह की शहनाईयां गूंजने लगेंगी। अन्य शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे।

मांगलिक कार्य के लिए शुभ तिथियां

अप्रैल-- 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 27, 28

मई-- 2, 3, 4, 5, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 24, 25, 26, 31

जून-- 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 16, 17, 21, 22, 23, 24, 27

जुलाई-- 3, 5, 6, 7, 8