गोरखपुर (ब्यूरो)।इस यात्रा के लिए ड्रेस खास होती है और इसका कारोबार भी खूब परवान चढ़ता है, लेकिन फिलहाल होलसेलर्स के यहां खरीदारों की संख्या अपेक्षित नहीं है। वहीं, ऑनलाइन ड्रेन खरीदने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसी का नतीजा है कि ऑनलाइन कारोबार 5 करोड़ के पार पहुंच गया है। वहीं, होलसेलर्स और रिटेलर्स की बिक्री करीब दो करोड़ में ही सिमट गई है।

गोरखपुर सिटी में दिल्ली, कोलकाता, त्रिपुर और लोकल में खलीलाबाद से ड्रेस की सप्लाई होती है। पांडेयहाथा में होलसेलर्स जोकि ड्रेस की बिक्री करते हैं। होलसेलर प्रशांत कसौधन का कहना है कि सावन को देखते हुए ड्रेस का स्टॉक कर लिया गया है, लेकिन खरीदार नहीं आ रहे हैं। वहीं, ऑनलाइन की बिक्री अधिक बढ़ गई है। रिटेलर्स तो आ भी रहे हैं तो वह खपत के हिसाब से ड्रेस खरीद रहे हैं। जिसकी वजह से कारोबार भी असर पड़ा है।

पिछले साल के मुकाबले कम आ रहे खरीदार

होलसेलर कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस समय कम खरीदार आ रहे हैं। वहीं, रिटेलर का कहना है कि इस बार का सावन दो महीने का है, इसलिए उम्मीद है कि ड्रेस खरीदारों की संख्या बढ़ेगी।

यूथ में दिख रहा क्रेज

सालभर से इस माह का इंतजार करने वाले कांवडि़ए भी अपनी कांवड़ यात्रा की तैयारियों में जुट गए हैं। पहले सोमवार को जलाभिषेक के लिए यूथ उत्साहित हैं। पहले सोमवार को जलाभिषेक के लिए गंगा जल लाने को कांवडि़ए पहले से ही तैयारी में लग गए हैं। ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस बार कांवड़ यात्रा में युवाओं की संख्या अधिक होगी।

प्रोडक्ट रेट (रुपए में)

टी शर्ट 70-350

बरमुडा 70-250

झोला 30-100

गमछा 30-100

पैंट 30-80

महाकाल टी शर्ट 100

योगी टी शर्ट 100

टोपी 60

इस समय कांवड़ ड्रेन का मार्केट डाउन चल रहा है, लेकिन ऑनलाइन मार्केट में तेजी आई है। पिछले साल के मुकाबले आधे ही खरीदार पहुंच रहे हैं।

प्रशंात कसौधन

ऑनलाइन बिक्री की वजह से होलसेल और रिटेलर पर काफी असर पड़ा है। इसलिए मार्केट भी डाउन चल रहा है। फिर भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कारोबार बढ़ेगा।

ज्ञानेश्वर प्रसाद

कांवड़ के लिए आकर्षक ड्रेन दिल्ली, कोलकाता, त्रिपुर और लोकल में खलीलाबाद से मंगाए गए हैं। दो महीने सावन होने की वजह से स्टाक अधिक कर लिया गया है, लेकिन अभी ड्रेन की बिक्री कम हो रही है।

संदीप कुमार

ये है मान्यता

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो भगवान परशुराम ने सबसे पहले बनारस के पास स्थित पुरा महादेव का कांवड़ के गंगाजल से जलाभिषेक किया था। यह भी मत है कि श्रवण कुमार पहले कांवडिय़ा थे। जिन्होंने सर्वप्रथम त्रेतायुग में पहली बार कांवड़ यात्रा की थी। उन्होंने अपने अंधे माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराई। इसे ही कांवड़ यात्रा को शुरुआत माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार भगवान राम पहले कांवडिय़ा थे। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल भरकर बाबाधाम में जलाभिषेक किया था। पुराणों के अनुसार कांवड़ यात्रा की परंपरा समुद्र मंथम से जुड़ी हे। समुद्र मंथन से निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। कांवड़ में जलभकर रावण ने पुरा महादेव स्थित शिवमंदिर में शिवाजी का जलाभिषेक किया था।

सावन के सोमवार

10 जुलाई पहला सोमवार

15 जुलाई श्रावण शिवरात्रि

17 जुलाई दूसरा सोमवार

24 जुलाई तीसरा सोमवार

31 जुलाई चौथा सोमवार

7 अगस्त पांचवां सोमवार

14 अगस्त छठवां सोमवार

21 अगस्त सातवां सोमवार

28 अगस्त आठवां सोमवार