-हर वारदात में क्राइम ब्रांच की लेने लगे हैं मदद, बिजी होने का हवाला

-एसएसपी ने तय की थानेदारों की जिम्मेदारी, क्त्राइम होने पर जाएगी कुर्सी

-दो थानेदार हुए फेल तो क्राइम ब्रांच ने दबोचा गैंग

GORAKHPUR: फोरलेन पर छपिया से लेकर सहजनवां तक फोरलेन सहित अन्य जगहों पर नए बदमाशों का गैंग दो माह से लूटपाट कर रहा था। राहगीरों को मारपीट कर गैंग के सदस्य नकदी, मोबाइल और बाइक लूटने लगे। इसकी शिकायत पीडि़तों ने थाने पर की। जांच में जुटी हरपुर बुदहट और खजनी थानों की पुलिस कोई रिजल्ट नहीं दे सकी। तब यह मामला एसएसपी जोगेंद्र कुमार के पास पहुंचा। एसएसपी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच की टीम ने जांच की तो छह बदमाश पकड़े गए। उनके तीन साथियों की तलाश चल रही है। यह कोई पहला मामला नहीं, जिसमें थानों की पुलिस की बजाय क्राइम ब्रांच की टीम को कामयाबी मिली। लिखा पढ़ी में भले थानेदार और थानों के एसआई शामिल रहते हैं, लेकिन सारा श्रेय क्राइम ब्रांच की टीम ले जाती है। हालत यह है कि जिन मामलों का पर्दाफाश थाना पुलिस कर सकती है। उनकी भी छानबीन में क्राइम ब्रांच की टीम लग रही है।

वर्दी वाले लुटेरे भी पकड़ेगी क्राइम ब्रांच की टीम

शहर में तीन साल से पुलिस वाला बनकर शातिर लोगों से नकदी और ज्वेलरी की ठगी कर रहे हैं। पांच दिसंबर को गोरखनाथ एरिया में हुमायूंपुर की रहने वाली महिला को चेकिंग का झांसा देकर बदमाशों ने कंगन, चेन और अंगूठी उतरवा लिया। महिला को सौ कदम आगे जाने की बात कहते हुए जालसाज फरार हो गए। महिला ने पुलिस को बताया कि वारदात में शामिल एक व्यक्ति ने वर्दी वाली पैंट पहन रखी थी। सोमवार को कोतवाली एरिया के शास्त्री चौक पर दोपहर करीब पौने तीन बजे घटना हुई। कचहरी से लौटकर टेंपो पकड़ने गई युवती को झांसा देकर बाइक सवार बदमाश ज्वेलरी, नकदी और मोबाइल लेकर फरार हो गए। कोतवाली, राजघाट, कैंट, गोरखनाथ सहित अन्य थाना क्षेत्रों में हुई वारदातों में शामिल वर्दी वाले लुटेरों को पकड़ने में थाना पुलिस नाकाम रही। इसलिए बदमाशों की धर पकड़ के लिए एसएसपी ने क्राइम ब्रांच को जिम्मेदारी सौंपी है।

ज्वेलरी चमकाने वालों को नहीं पकड़ पाए एसओ

जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्वेलरी चमकाने के नाम पर बदमाशों का गैंग महिलाओं को चपत लगा रहा था। गहने चमकाने का झांसा देकर जालसाज भाग निकलते थे। तिवारीपुर, पीपीगंज, गुलरिहा, चिलुआताल, खोराबार सहित कई थाना क्षेत्रों में करीब एक दर्जन शिकायतें सामने आई। थानेदारों ने अपने-अपने एरिया में छानबीन की। लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर क्राइम ब्रांच जांच में जुटी थी। तभी खोराबार एरिया में एक महिला की सक्त्रियता से दो बदमाशों के बारे में सुराग मिला। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने खोराबार पुलिस की मदद से गैंग के चार सदस्यों को अरेस्ट करके गैंग का पर्दाफाश किया।

हर वारदात में शामिल क्राइम ब्रांच

जिले में लूट, मर्डर सहित अन्य मामलों की छानबीन में क्राइम ब्रांच की टीम के बिना पर्दाफाश नहीं हो पा रहा है। पब्लिक के कामों में बिजी थानेदार अपने एरिय में होने वाले क्राइम की छानबीन के लिए समय नहीं दे पा रहे हैं। इसलिए उनकी भी निर्भरता क्त्राइम ब्रांच पर बढ़ती जा रही है। इसलिए पब्लिक का भरोसा भी उठने लगा है।

थानेदार होंगे जिम्मेदार, एसएसपी का निर्देश

थाना क्षेत्र में किसी तरह की घटना होने पर थानेदार सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। थानेदारों की लापरवाही सामने आने पर एसएसपी ने निर्देश जारी किया है। एसएसपी ने साफ कहा है कि क्राइम कंट्रोल करने से लेकर घटनाओं के वर्कआउट की जिम्मेदारी थानेदारों की है। लापरवाही पाए जाने पर थानेदारी छीन ली जाएगी।

लॉ एंड आर्डर में बिजी थानों की पुलिस

किसी तरह की घटना होने पर थाना पुलिस ज्यादा समय नहीं दे पाती है। थानेदारों का तर्क है कि उनके सामने लॉ एंड आर्डर संभालने की बड़ी जिम्मेदारी होती है। पब्लिक की फरियाद सुनने से लेकर उनके बीच पंचायत कराने सहित अन्य कामकाज की व्यवस्था संभालने में बिजी होने में वह ज्यादा समय नहीं दे पाते। कई बार वीआईपी ड्यूटी सहित अन्य मामलों में व्यस्तता सामने आती है। हालांकि इसके पीछे दूसरी बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि कुछ थानेदारों को छोड़ दिया जाए तो कई का मुखबिर नेटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इसलिए उनको कोई सफलता नहीं मिल पाती। इसका फायदा उठाते हुए क्राइम ब्रांच वर्क आउट कर देती है। उधर, क्राइम ब्रांच की टीम के पास इसके अलावा कोई काम नहीं होता है। उनको ना तो वीआईपी ड्यूटी करनी होती है। न ही लॉ एंड आर्डर संभालना पड़ता है। इसलिए वह तेजी से काम कर लेते हैं।

एसएसपी के अधीन क्राइम ब्रांच

हीनियस क्राइम होने या सीनियर अफसरों के निर्देश पर क्राइम ब्रांच किसी घटना की जांच पड़ताल में इनवाल्व होती है। क्राइम ब्रांच की स्वाट और एसओजी टीम को जब कार्रवाई का निर्देश दिया जाता है। तभी टीम के लोग छानबीन में जुटते हैं। वह खुद से अपनी रिस्पांसबिलिटी पर किसी मामले की जांच नहीं कर सकते हैं। जिले की क्राइम ब्रांच एसएसपी-एसपी के अधीन होती है। सीनियर अफसर सीधे मामलों की मानीटरिंग भी करते हैं।