गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।ऐसे में बच्चा ऑनलाइन क्लास या फिर ट्रेनिंग भी मोबाइल से पूरी कर ले और उसकी निगरानी भी हो सके। इसके लिए पेरेंटल कंट्रोल एप समेत तमाम एप भी अब आ गए हैं, जिनसे आप अपने बच्चे की निगरानी रख सकते हैं। इसे लेकर एक्सपर्ट ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किए हैं।

प्ले स्टोर पर अवेलबल है एप

साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि मोबाइल से गेम खेलने की लत में बच्चों के साथ फ्रॉड के कई मामले आ चुके हैं। ऐसे में पेरेंट्स को अवेयर होना होगा। सबसे जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ अधिक टाइम स्पेंड करें। तभी वो बच्चों को अच्छे समझ पाएंगे। वहीं, पेरेंटल कंट्रोल एप से बच्चा मोबाइल में कौन सा एप्लीकेशन यूज कर रहा है या डाउनलोड कर रहा है, इसकी जानकारी मिल जाती है। ऐसे दो तीन एप प्ले स्टोर पर अवेलबल हैं।

सावधानी से करें यूज

पेरेंटल कंट्रोल जैसे एप को डाउनलोड करते समय और इसे यूज करने से पहले इसकी अच्छे से जांच करनी चाहिए। क्योंकि ये कोई पुलिस या सरकार द्वारा बनाया गया एप नहीं है। इसलिए इसे यूज करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

पेरेंटल कंट्रोल टूल इस तरह करता है काम

पेरेंटल कंट्रोल टूल के जरिए बच्चों के मोबाइल स्क्रीन टाइम को मैनेज कर सकते हैं। यह टूल एंड्रॉयड और आइओएस दोनों में अवेलबल है। इसके जरिए सोशल मीडिया मॉनिटरिंग, वेब फिल्टरिंग, लोकेशन ट्रैकिंग, यूट्यूब वीडियो वॉच टाइम पर निगरानी की जा सकती है। इसके अलावा ऐसे ऐप्स जो आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक हैं, उन्हें ब्लॉक भी कर सकते हैं। साथ ही साथ टाइम लिमिट भी सेट कर सकते हैं।

छुड़ा सकेंगे लत

इससे आपको पता चल सकेगा कि आपका बच्चा मोबाइल पर सबसे ज्यादा क्या करता है। अगर वह किसी खास गेम या फिर ऐप में अपना ज्यादा वक्त बिताता है और उसे लत लग चुकी है तो आप उसकी ये लत छुड़ा सकेंगे।

केस 1

मोबाइल से अश्लील मिम्स बना रहा था बच्चा

अभी हाल ही में साइबर सेल में एक मामला आया था। शहर के एक स्कूल में बच्चा मोबाइल से टीचर्स की अश्लील मिम्स बनाकर उन्हें बदनाम कर रहा था। जब स्कूल प्रबंधन ने इसकी शिकायत साइबर सेल में दी। तब जाकर स्कूल को राहत मिली।

होम वर्क नहीं गेम खेलता है बच्चा

ऑनलाइन क्लास के दौरान 9वीं के स्टूडेंट की शिकायत उसके पेरेंट्स के पास टीचर ने की। टीचर ने बताया कि डेली आपका बच्चा होम वर्क नहीं करता। जबकि पेरेंट्स ने कहा, मेरा बच्चा घंटों होम वर्क के नाम पर मोबाइल अपने पास रखता है। इसके बाद जब पेरेंट्स ने बच्चे की निगरानी की तो पता चला कि वो होमवर्क केबहाने मोबाइल में गेम डाउनलोड कर खेलता है।

सीबीएसई स्कूल- 123

आईसीएससीई स्कूल- 25

यूपी बोर्ड स्कूल- 489

परिषदीय स्कूल- 2500

कई बार बच्चों से जुड़ी शिकायतें आती हैं। बच्चों के मामले में पेरेंट्स को गंभीर होना होगा। सबसे जरूरी है कि वो बच्चे के लिए टाइम निकालें और खुद निगरानी करें। इससे बच्चे को समझने में उन्हें आसानी होगी।

सुनील कुमार पटेल, प्रभारी, साइबर सेल

वर्तमान समय में तमाम चुनौतियां पढ़ाई में बाधा करने सामने आती रहती हैं। ऐसे में स्कूल को भी ऑनलाइन पढ़ाई को आप्शन के रूप में लेकर चलना होगा, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो। स्कूल के साथ ही पेरेंट्स को भी बच्चे की निगरानी करनी होगी।

अजय शाही, डायरेक्टर, आरपीएम एकेडमी

लगातार स्कूलों में जाकर बच्चों की काउंसिलिंग की जा रही है। मोबाइल का बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। कई जगहों पर बच्चे स्कूल में बैठने की क्षमता कम हो गई। थोड़ी देर क्लास चलने के बाद वे बोर होने लग रहे हैं। ऐसे में उनका ध्यान इधर उधर की बातों में अधिक जा रहा है।

सीमा श्रीवास्तव, साइकोलॉजिस्ट, मनोविज्ञान सेंटर