- यात्रियों से किराया न आने व पैसेंजर टैक्स नहीं जमा होने पर खड़ी हो गई बसें

- बसों के खड़े होने से 63 लाख रुपए आरटीओ को नहीं जमा करना पड़ रहा टैक्स

GORAKHPUR:

बस पैसेंजर से मिलने वाले प्रति सीट पैसेंजर टैक्स के नहीं आने से यूपी रोडवेज के 126 निगम की तथा दो अनुबंधित बसों के पहिए थम गए हैं। हालांकि गोरखपुर रीजन में कुल 818 बसें हैं। वहीं इन बसों के पहिए थमने के बाद यूपी रोडवेज के अधिकारी यात्रियों की संख्या बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी। उसके बाद से स्थिति में सुधार आएगी।

शुरू हो गई हैं कवायद

बता दें, लॉक डाउन में पैसेंजर के अभाव में गोरखपुर रीजन की 508 निगम की बसों में 126 बसों को रोडवेज ने खड़ी करा दी है। दरअसल, यूपी रोडवेज की तरफ से प्रत्येक बस से प्रत्येक सीट पर 450 रुपए पैसेंजर टैक्स के रूप में आरटीओ को टैक्स जमा करना होता है। आरएम ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक, इन बसों से एक महीने का करीब 31,68,000 रुपए टैक्स जमा नहीं किया गया है। दो महीने का 63,36,000 रुपए के अभाव में बसें खड़ी हैं। यह टैक्स प्रति माह जमा किया जाता है। लेकिन यात्री के नहीं मिलने से इन बसों को अभी खड़ा किया गया है। वहीं अनुबंधित की 310 बसों में दो बसें ही पैसेंजर टैक्स के अभाव में खड़ी हैं। यूपी रोडवेज के आरएम पीके तिवारी बताते हैं कि उनका मकसद है कि गोरखपुर रीजन में ज्यादा से ज्यादा आय हो। इसलिए जो बसें खड़ी हैं पैसेंजर्स की संख्या बढ़ने पर उन बसों का संचालन भी शुरू करा दिया जाएगा। बसों के संचालन से जहां यात्रियों को लाभ मिलेगा। उन्हें गंतव्य तक पहुंचने में दिक्कत नहीं होगी। वहीं रोडवेज के आय में वृद्धि होगी। आरएम पीके तिवारी बताते हैं की वह प्रतिदिन खुद सुबह से लेकर रात 10 बजे तक बस स्टेशन पर लंबी दूरी की सवारियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बस स्टेशन पर तैनात रहते हैं। आरएम पीके तिवारी ने आय में वृद्धि के लिए गोरखपुर स्टेशन प्रबंधन के रवैये से नाखुश हैं। बताया जा रहा है कि बहुत ही जल्द स्टेशन प्रबंधन में बदलाव नजर आएंगे। इसके लिए कवायद भी शुरू हो गई हैं। वहीं यूपी रोडवेज अनुबंधित बस एशोसिएशन के रीजनल प्रेसिडेंट विनोद पांडेय बताते हैं कि अनुबंधित बसों के संचालन को लेकर नवागत आरएम का रवैया सकारात्मक है। यात्रियों को बेहतर सुविधा का लाभ मिले और आय में वृद्धि हो इसके लिए हम सब बस ऑनर्स उनके साथ हैं।