- कुशीनगर रेलवे लाइन के लिए अभी और इंतजार

- कपिलवस्तु-बस्ती वाया बांसी के लिए भी कुछ नहीं

- वहीं सहजनवां-दोहरीघाट में ट्रेन के लिए नहीं मिला कोई पैसा

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: रेल बजट ने बुद्ध नगरी का सपना चकनाचूर कर दिया है। पडरौना-कुशीनगर वाया गोरखपुर की नई रेलवे लाइन के लिए भी बजट में कुछ नहीं मिला है। पिछले बजट में इस मोस्ट अवेटेड बौद्ध सर्किट प्रोजेक्ट को संजीवनी देते हुए इसका सर्वे कराने के लिए 5 लाख रुपए का बजट जारी किया था, लेकिन इस बार वह पैसा भी नहीं मिल सका। इसके साथ ही कपलिवस्तु-बस्ती वाया बांसी को भी बजट न के बराबर मिलने से यह प्रोजेक्ट भी इस साल वहीं ठहरा रह जाएगा। सभी प्रोजेक्ट में एक-एक हजार रुपए अलॉट किए गए हैं। वहीं इस बार भी सहजनवां-दोहरीघाट के बीच रेल लाइन के लिए लोगों का इंतजार खत्म नहीं हो सका है।

2017-18 के बाद 2019-20 में मिला था पैसा

बौद्ध सर्किट के लिए रेलवे बोर्ड ने पहले ही मंजूरी दे दी थी। प्रोजेक्ट के सर्वे के लिए अनुमानित लागत करीब 60.5 लाख रुपए तय की गई थी, जिसमें गवर्नमेंट ने 2017-18 में इसके लिए 39 लाख का बजट जारी भी कर दिया था। इसका काम भी शुरू हो गया, लास्ट इयर बजट में इसके लिए कुछ रकम मिली, जिससे काम आगे बढ़ा और प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीदें कुछ बढ़ गई, लेकिन इस बार फिर बजट में यह प्रोजेक्ट नजरअंदाज कर दिया गया और इसके लिए कोई भी बजट सेंक्शन नहीं हुआ। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है, तो इंडिया और नेपाल के संबंध भी मजबूत होंगे और इससे इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के ऑप्शन भी बेहतर हो जाएंगे।

2016 में भेजा गया था पडरौना-कुशीनगर डीपीआर

पडरौना से कुशीनगर तक रेलवे लाइन के लिए 2016 में ही मंजूरी मिल चुकी है। इसके बाद एनई रेलवे ने फाइनल सर्वे कराकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) रेलवे बोर्ड को भेज दिया था। इस पर बोर्ड ने कार्रवाई भी शुरू कर दी। यहां रेल ट्रैक बिछाने के लिए काफी लंबे समय से तैयारी चल रही थी। इसके लिए कई बार प्राइमरी लेवल पर सर्वे भी किया जा चुका था, लेकिन कुछ न कुछ पेंच अटकता चला गया, जिसकी वजह से अब तक यह प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा हुआ है। पिछली बार इस अहम रूट की 64 किमी रेल लाइन के लिए रेल मंत्रालय ने 1345 करोड़ रुपए का बजट जारी किया, तो लोगों की उम्मीदें बढ़ी थी, लेकिन एक बार फिर इसको नजरअंदाज किए जाने से लोगों की उम्मीदें टूट गई हैं।

टूरिज्म को मिलेगी नई दिशा

टूरिज्म की फील्ड में कुशीनगर की किसी पहचान का मोहताज नहीं है। देश ही नहीं बल्कि जापान, चाइना, थाईलैंड, श्रीलंका और तिब्बत के लोग भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं। ऐसे में इसके रेल लाइन से भी जुड़ जाने से टूरिज्म की फील्ड में काफी विकास होगा। कुशीनगर-पडरौना तक नई रेल बिछ जाने से रोजाना आने-जाने वाले करीब सवा लाख लोगों को बेहतर ऑप्शन मिलेगा। इस रूट पर ट्रेन चल जाने से पैसेंजर्स कम किराए में पडरौना और कुशीनगर तक ही सफर कर सकेंगे।