गोरखपुर (ब्यूरो)। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की मानें तो जहरखुरानी के शिकार एक या दो यात्री आए दिन अस्पताल पहुंच रहे हैं। होश में आने के बाद वह अपना लगेज और पॉकेट टटोलते हुए पूछताछ शुरू कर देते है। जबकि रेलवे और रोडवेज प्रशासन इस तरह की घटनाओं से बेखबर है।

यात्रियों की जबरदस्त भीड़

बता दें, इन दिनों ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ चल रही हैैं। यात्रियों की जबरदस्त भीड़ है। दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़, मुंबई आदि जगहों से आने वाली ट्रेनों में सफर करने वाले मुसाफिर भी इन दिनों जहरखुरानी के शिकार हो रहे हैैं। गोरखपुर स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने के बाद आरपीएफ द्वारा उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचाया जा रहा है। एक सिपाही इसके लिए दिनभर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में रहता है। जिला अस्पताल के डॉ। राजेश कुमार ने बताया कि फेस्टिव सीजन में जहरखुुरानी के शिकार यात्रियों की संख्या बढ़ी है। कोई ऐसा दिन नहीं है कि एक या दो यात्री जिला अस्पताल में न आ रहे हों।

पैसे और लगेज की क्वेरी

होश में आने तक उन्हें वार्ड में एडमिट किया जाता है। होश में आने के बाद मरीज स्टाफ नर्स या वार्ड ब्वॉय से सीधे अपने पैसे और लगेज के बारे में क्वैरी करता है। पूछे जाने पर वह अपना नाम, पता बताता हैै। फिर मेडिकल स्टाफ द्वारा डिटेल्स नोट करने के बाद उसका इलाज किया जाता है। कंडीशन ठीक होने पर उसे एक से दो दिन में डिस्चार्ज कर दिया जाता है। कमोबेश यही हाल गोरखपुर डिपो का है। दिल्ली, कानपुर, लखनऊ से आने वाली बसों में यात्रियों के साथ जहरखुरानी के मामले में सीधे जिला अस्पताल में भेजा जाता है। जहां उपचार के बाद उसे घर भेजा जाता है।

जिम्मेदार झाड़ पल्ला

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहे राजेश कुमार सिन्हा बताते हैैं कि यात्रियों को जहरखुरानी से बचाने के लिए लगातार अनाउंसमेंट कराया जाता है। जहरखुरानी की कोई घटना हमारे स्टेशन पर नहीं हुई है। न ही हमारे रिकॉर्ड में दर्ज है। कोई गंभीर रूप से बीमार होता है, तभी उसे जिला अस्पताल में एडमिट कराया जाता है। यात्रा के दौरान अगर कोई यात्री बीमार पड़ता है तो रेलवे के डाक्टर यात्री मित्र की मदद से उपचार करते हैैं। वहीं, रोडवेज आरएम पीके तिवारी ने बताया, बस स्टेशन पर यात्री जहरखुुरानी का शिकार होने के बजाय बस में ही वह शिकार हो जाता है। कंडक्टर द्वारा सूचना देने पर उसे स्टेशन पर उतरवाया जाता है, फिर उसे जिला अस्पताल भेजवाया जाता है।

जिला अस्पताल में जहरखुरानी के शिकार यात्रियों के इलाज के लिए इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर इलाज करते हैैं, सीरियस कंडीशन होने पर उसे वार्ड में एडमिट कराया जाता है। होश आने तक उसकी प्रॉपर निगरानी की जाती है।

- एसी श्रीवास्तव, एसआईसी, जिला अस्पताल