- स्ट्राइक पर चल रहे एम्बुलेंस ड्राइवर व मेडिकल टेक्नीशियन

- डीएम ने सहजनवां एसडीएम को दिए चॉबी जमा कराने के निर्देश

GORAKHPUR: एम्बुलेंस इम्प्लाइज और मेडिकल टेक्नीशियन की की जारी स्ट्राइक पेशेंट्स के लिए बड़ी परेशानी बन गई है। स्ट्राइक के चौथे दिन गुरुवार को भी पेशेंट्स को परेशान होना पड़ा। पेशेंट्स को घर से अस्पताल तक जाने में प्रॉब्लम का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन व हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स ने सुबह से लेकर दोपहर तक दो बार इस मुद्दे पर मीटिंग की। मीटिंग में यह तय किया कि सहजनवां एसडीएम सभी एम्बुलेंस ड्राइवर से चॉबी जमा करा लें। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए नए एम्बुलेंस ड्राइवर की तैनाती की जाएगी। हेल्थ डिपार्टमेंट के एडिशनल सीएमओ व एम्बुलेंस प्रभारी डॉ। नंद कुमार ने इस दिशा में कार्य करना शुरू भी कर दिया है।

रजिस्टर में नहीं करते दर्ज

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम एम्बुलेंस से आने वाले सीरियस पेशेंट्स की हकीकत जानने के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड पहुंची तो वहां महज एक से दो ही मरीज एम्बुलेंस के जरिए एडमिट होते हुए रजिस्टर्ड में दर्ज मिले। जबकि आम दिनों में 9 -10 पेशेंट एम्बुलेंस से एडमिट होते हैं। लेकिन हैरान करने वाली जानकारी यह मिली कि एम्बुलेंस ड्राइवर 24 घंटे की तीन शिफ्ट में आने वाले सीरियस पेशेंट के लिए बनाए गए रजिस्टर में डिटेल्स नहीं भरते। बगैर डिटेल्स बताए ही वह पेशेंट को बाहर छोड़कर चले जाते हैं। जबकि नियमानुसार उन्हें जिला अस्पताल में छोड़ने वाले हर गंभीर मरीज की डिटेल रजिस्टर में एंट्री करनी चाहिए।

90 में 75 एम्बुलेंस ड्राइवर्स ने जमा कराई चॉबी, सीयूजी नंबर

इस मामले में डीएम विजय किरण आनंद ने बताया, किसी भी मरीज को अब दिक्कत नहीं होगी। स्ट्राइक पर गए एम्बुलेंस ड्राइवर व मेडिकल टेक्नीशियन की जगह वैकल्पिक स्टाफ रखने की तैयारी है।

लखनऊ रवाना हुए एम्बुलेंस ड्राइवर

उधर, एम्बुलेंस ड्राइवर व मेडिकल टेक्नीशियन मांगें नहीं माने जाने पर लखनऊ के इको गार्डन के लिए रवाना हो गए। देर शाम एसडीएम सहजनवां सुरेश राय ने बताया कि एंबुलेंस ड्राइवर को समझाया गया है। उनमें से कुछ ड्राइवर मान गए हैं, 90 एम्बुलेंस में 75 की चॉबी, सीयूजी नंबर व पेट्रोल कार्ड जमा करवा लिए गए हैं। यहां तक की 20 एम्बुलेंस को वैकल्पिक ड्राइवर के जरिए गाडि़यां मुरारी इंटर कालेज से रवाना भी कर दी गई हैं। बाकी की गाडि़यों को भी देर रात तक रवाना किया जाएगा।

एक नजर में एम्बुलेंस की स्थिति

106 एम्बुलेंस गोरखपुर जिले में हैं।

08 एम्बुलेंस इमरजेंसी सेवा के लिए रखी गई हैं।

04 एम्बुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम आधारित हैं।

फैक्ट फीगर

108 एंबुलेंस से आए पेशेंट

28 जुलाई - 2

27 जुलाई - 5

26 जुलाई - 2

25 जुलाई - 14

24 जुलाई - 6

23 जुलाई - 10

22 जुलाई - 9

केस वन

खोराबार के रमापति ने बताया, उनकी पत्नी सविता की तबीयत खराब थी, उन्होंने 108 एम्बुलेंस को कॉल किया तो कोई आया नहीं, वह पत्नी को ऑटो से लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां पर उन्हें इलाज मिला।

केस टू

सहजनवां की सरोजनी ने बताया, उनके पैर में फ्रेक्चर हो गया था। बेटे ने एम्बुलेंस वाले को कॉल किया, लेकिन नाम, पता नोट करने के बाद भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। एम्बुलेंस नहीं आने से वह ई-रिक्शा से जिला अस्पताल पहुंचीं।

वर्जन

एम्बुलेंस के अभाव में अब किसी भी पेशेंट को अस्पताल पहुंचने में असुविधा नहीं होगी। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ड्राइवर की व्यवस्था करा ली गई है। एम्बुलेंस ड्राइवर से चॉबी, सीयूजी नंबर और पेट्रोल कार्ड भी जमा करा लिए गए हैं। देर रात तक कुछ गाडि़यां चलने भी लगेंगी।

विजय किरण आनंद, डीएम

टशन में बचपन

कन्नड़ एक्शन फिल्म केजीएफ-1 के चाइल्ड आर्टिस्ट अनमोल विजय भटकल (रॉकी) और फिल्म के विलेन का डायलॉग आज भी चर्चित है। डॉन- क्या चाहिए तेरेकू? रॉकी- दुनिया। कुछ ऐसा ही फिल्मी टशन अब गोरखपुर के बच्चों में भी दिखने मिलने लगा है। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल रोड पर तीन बच्चे खिलौने वाली बंदूक सभी को दिखाते हुए जा रहे थे। उनकी भाव भंगिमा देख लोग मुस्कुरा देते। दुनियादारी से बेखबर ये बच्चे अपनी टशन भरी दुनिया में खोये रहे।