- जान बचाने के लिए बड़े शहरों से गोरखपुर आ रहे कोरोना पेशेंट

- लखनऊ, बनारस में कोरोना के बढ़ते केसेज की वजह से नहीं मिल पा रही मरीजों को सुविधा

- निराश परिजन गोरखपुर में इलाज कराने के लिए अस्पतालों में कर रहे सम्पर्क

केस-1

गोरखपुर पहुंचे तो बची जान

रूद्रपुर देवरिया के रहने वाले धनंजय अपने परिवार के साथ लखनऊ रहते हैं। एक सप्ताह पहले उनकी तबियत बिगड़ी तो उन्होंने अपनी जांच कराई़। जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। उनके परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने पहुंचे इस दौरान धनंजय की तबियत और बिगड़ गई। अस्पताल पहुंचे तो उन्हें बेड भी नहीं मिला। साथ ही डॉक्टर ने ये भी बताया कि जल्द से पेशेंट को वेंटिलेटर वाले अस्पताल में ले जाएं, नहीं तो कंडीशन खराब हो जाएगी। इसके बाद परिजन कई जगहों पर खंगलाते रहे लेकिन उन्हें कहीं भी वेंटिलेटर खाली नहीं मिला। इसके बाद परिजनों ने गोरखपुर में सम्पर्क साधा। यहां पर एक अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर खाली मिल गया। इसके बाद फौरन लखनऊ से परिजन धनंजय को लेकर गोरखपुर आए़। 14 अप्रैल को गोरखपुर में धनंजय को भर्ती कराया। अब उनकी तबियत में सुधार हो रहा है।

केस -2

ससुराल से आकर मायके में तोड़ा दम

बनारस की रहने वाली चालिस साल की कमलावती 15 अप्रैल को कोरोना की चपेट में आ गईं। अचानक उनकी सांसे टूटने लगी तो उनके पति ने बनारस के अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर डॉक्टर उनकी हालत नाजुक देख उन्हें वेंटिलेटर वाले अस्पताल में भेजने के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद कमलावती के पति बनारस में ढूंढते रहे लेकिन किसी अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर नहीं मिला। जैसा कि कमलावती का मायका गोरखपुर में है। इसलिए उनके पति ने गोरखपुर में उत्तरी जटेपुर रहने वाले ससुर से सम्पर्क किया। ससुर ने गोरखपुर में एक अस्पताल में बात भी कर ली। कमलावती के पति आनन-फानन में 16 अप्रैल को गोरखपुर लेकर पहुंचे। लेकिन अस्पताल में कागजात और सारी फार्मेल्टी करवाने के दौरान ही कमलावती ने दम तोड़ दिया।

ये महज 2 केस हैं लेकिन यही वर्तमान की हकीकत है। एक समय था जब गोरखपुर के लोग गंभीर कंडिशन में लखनऊ, बनारस और दिल्ली जैसे शहरों में जाते रहे हैं। लेकिन अब कोराना ने लखनऊ, बनारस जैसे शहरों में कोहराम मचाया हुआ है। इस वजह से वहां के अस्पताल में वेंटिलेटर तो दूर बेड मिलना भी संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में परिजन अपनों की जान बचाने के लिए हर तरह का प्रयास कर रहे हैं। इधर काफी लोगों ने केवल वेंटिलेटर की वजह से गोरखपुर की ओर रुख किया है।

बेड पाने की बढ़ी जद्दोजहद

लखनऊ, बनारस में जो कंडिशन सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही है, उसमें साफ दिख रहा है कि कोरोना का इलाज ही नहीं मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार भी बहुत कठिन है। गोरखपुर में बीते दो दिन में लगातार कोरोना के केसेज में कुछ कमी आई है। यहां भी अस्पताल कोरोना पेशेंट से भरे पड़े हैं। गोरखपुर में देवरिया, बस्ती, महाराजगंज, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, सिद्धार्थनगर और नेपाल से भी मरीज आ रहे हैं। ऐसे में यहां भी अब बेड पाने की जद्दोजहद बढ़ गई है।

लखनऊ से मरीज आ रहे हैं। यहां इलाज करा रहे हैं। इसलिए हमने बेड भी बढ़ा लिए हैं। जब कोरोना चालू हुआ तब हमारे पास 950 बेड की संख्या थी। अब हमारे पास 1250 बेड हो गए हैं। आईसीयू भी हमारे बढ़ गए हैं। सोमवार से संख्या और बढ़ जाएगी। सोमवार को 20 प्राइवेट अस्पताल जुड़ गए हैं। किसी भी तरह मरीजों को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

- सुधाकर पांडेय, सीएमओ