- बीआरडी मेडिकल कालेज के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में काम करने वाले टेक्नीशियन को कोरोना का री इंफेक्शन

- माइक्रोबॉयोलॉजी ने शुरू किया रिसर्च, एसिंप्टोमेटिक वाले कोरोना योद्धाओं को फिर से हो सकता है खतरा

GORAKHPUR:

अगर आप एसिंप्मटोमेटिक हैं और आपने कोरोना से जंग जीत ली है। तो इस भ्रम में बिल्कुल भी मत रहिएगा कि आपको फिर से कोरोना चपेट में नहीं ले सकता है। क्योंकि कोरोना ने फिर से ऐसे योद्धाओं को चपेट में लेना शुरू कर दिया है। जो कोरोना को मात देने वाले पेशेंट्स को एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार अपने गिरफ्त में ले चुका है। इस पर बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की तरफ से हर एक पहलु पर रिसर्च भी करना शुरू कर दिया है।

बीआरडी मेडिकल कालेज पैथोलॉजी विभाग के टाइटो टेक्नोलॉजिस्ट एसएस सिंह बताते हैं कि उनका इलाज पीजीआई से चलता है। उन्हें प्रोसटेस्ट की प्रॉब्लम है, वहां दिखाने से पहले मेडिकल कालेज में 27 जून को उन्होंने कोविड जांच कराया था। 28 जून को पॉजिटिव का रिजल्ट आया। उसके बाद कोविड प्रोटोकॉल के तहत रेलवे के आईसोलेशन वार्ड में एडमिट किया गया। कुछ ही दिनों में बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया है। 8 जुलाई को रिपोर्ट निगेटिव आने पर डिस्चार्ज किया गया। सलाह दिया गया था कि वे घर में ही 14 दिन होम क्वारंटीन रहेंगे। उसके बाद वो फिर से अपने काम पर लौट आए। पीजीआई में दिखाने के लिए 27 अगस्त को बोन स्कैन के लिए डेट मिली। 24 को फिर कोरोना की जांच कराई तो रिपोर्ट फिर से पॉजिटिव आ गया। 26 को फिर दोबारा जांच कराया तो इस बार रिपोर्ट निगेटिव आया। सेंट्रल पैथोलॉजी में फिर से जांच कराई गई तो फिर से पॉजिटिव मिला। 4 सितंबर को फिर से कोरोना की जांच कराया तो निगेटिव आया।

री इंफेक्शन का बढ़ रहा खतरा

बीआरडी मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ। राजेश कुमार राय बताते हैं कि कोरोना के जो सिंप्टोमेटिक पेशेंट्स में एंटी बॉडी ज्यादा बना है। लेकिन जो एसिंप्मटोमेटिक हैं। उनमें एंटीबॉडी नहीं बन रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें री इंफेक्शन होने के चांसेज ज्यादा है। जो पॉजिटिव हैं। उनमें एंटीबॉडी बन रहा है तो वह चार महीने तक ही आप अपने प्लाज्मा को दे सकते हैं। कोरोना से स्वस्थ होने वाले लोगों का एंटीबॉडी का टाइम पीरियड तीन से चार महीने तक के लिए ही होता है। उसके बाद वह किसी को भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं। छह महीने बाद हो सकता है एंटी बॉडी न मिले। अगर एंटीबॉडी नहीं बना है तो री इंफेक्शन के चांसेज बढ़ जाते हैं।

री इंफेक्शन से बचना जरूरी

बता दें, 13 हजार से अधिक को कोरोना मरीज एसिंप्टोमेटिक हैं। ऐसे मरीजों को बहुत ही सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि सिंप्टोमेटिक पेशेंट्स को फिर से कोरोना ने अपने जद में लेना शुरू कर दिया है। बीआरडी मेडिकल कालेज के एचओडी प्रो। डॉ। अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि दो मरीजों पर रिसर्च किया गया है। रिसर्च में पाया गया है कि पहले मरीज में एंटीबॉडी नहीं थी। जबकि दूसरे में बहुत ही कम थी। ऐसे में कम एंटीबॉडी वाले मरीजों को फिर से कोरोना ने अपने चपेट में लिया है। ऐसे में अगर सावधानी नहीं बरती गई तो कोरोना से बचना मुश्किल हो जाएगा।

कोरोना को मात देने वाले योद्धाओं के लिए सावधानियां

- एंटी बाडी की जांच, चार से छह हफ्ते के बीच में करा लें,

- एंटी बॉडी की जांच प्राइवेट लैब व उपयुक्त लैब

- सामाजिक दूरी, मास्क और खानपान को बेहतर रखें।

-योगा, प्राणायाम जरूर करें।

-शुगर, बीपी, कैंसर पेशेंट्स, लीवर पर किडनी के मरीजों को देना है विशेष ध्यान

एसिंप्मटोमेटिक वाले कोरोना योद्धाओं को बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है। वे अगर सतर्क नहीं रहे तो उनके लिए मुसीबत बढ़ जाएगी। सावधानियां बरतने की जरूरत है। वो बिल्कुल भी यह न सोचे की कोरोना से जंग जीत लिए तो अब उन्हें फिर से कोरोना का संक्रमण नहीं हो सकता है। प्रॉपर जांच करवाते रहें।

प्रो। डॉ। अमरेश कुमार सिंह, एचओडी, माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट