- रमजान के दौरान उलेमा-ए-कराम लोगों को दे रहे हैं नसीहत

- मस्जिदों में भी जारी है दर्स का दौर, लोगों को मिल रहे हैं सवालों के जवाब

GORAKHPUR: सदका-ए-फित्र माह-ए-रमजान में निकाला जाता है। जिसके जरिए जरुरतमंदों की मदद की जाती है। सदका-ए-फित्र की मात्रा में दो किलो 45 ग्राम गेहूं या उसके आटे की कीमत से चाहे गेहूं या आटा दे या उसकी कीमत बेहतर है कि कीमत अदा करे। लिहाजा जो उसका हकदार हो उन तक रकम पहुंचा दी जाए ताकि वह अपनी जरुरत पूरी कर लें। यह बातें गाजी मस्जिद गाजी रौजा के इमाम हाफिज आमिर हुसैन निजामी ने शेयर कीं। उन्होंने बताया कि जब तक फित्रा अदा नहीं किया जाता है तब तक सारी इबादत जमीन व आसमान के बीच लटकी रहती है। जब फित्रा अदा कर दिया जाता है तो इबादत अल्लाह की बारगाह में पहुंच जाती है। रोजे व इबादत में किसी किस्म की कमी रह गई है तो यह फित्रा उस इबादत की कमी को पूरा कर देता है। फित्रा में गेहूं की जो कीमत आम बाजारों में है उसे ही दिया जाएगा।

मोहम्मद साहब रखते थे सुन्नतों का ख्याल : हाफिज मुजम्मिल

हाफिज मो। मुजम्मिल रजा खान ने बताया कि नबी-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को चार चीजें बहुत पसंद थीं। जिसे आप कभी तर्क नहीं करते थे। एक सुर्मा, दूसरा इत्र, तीसरा अमामा, चौथा मिस्वाक। रमजान माह में रोजेदार इन प्यारी सुन्नतों का खास ख्याल रखते हैं। इन प्यारी सुन्नतों से रोजेदारों की रूह को सुकून व इबादत में ताजगी मिलती है। इनका इस्तेमाल करने वालों के लिए अल्लाह के फरिश्ते दुआएं करते है। हदीस में आया है कि नबी-ए-पाक मुश्क सर के मुकद्दस बालों और दाढ़ी में लगाते थे। हदीस में यह भी आया है कि नबी-ए-पाक खुशबू का तोहफा रद्द नहीं फरमाते थे। नबी-ए-पाक ने फरमाया तीन चीजें कभी नहीं लौटानी चाहिए तकिया, खुशबूदार तेल और दूध।

अल्लाह के बंदे रख रहे रोजा, अदा कर रहे तरावीह की नमाज

माह-ए-रमजान का चौथा रोजा रोजेदार बंदों ने इबादत में गुजारा। चौदह घंटे का रोजा रोजेदारों का इम्तिहान ले रहा है। महिलाएं, बच्चे, नौजवान, वृद्ध सभी अल्लाह का शुक्र अदा करते नजर आ रहे हैं। रात का मौसम दिन की अपेक्षा सामान्य रह रहा है। इबादतों का सिलसिला जारी है। सहरी व इफ्तार का फैजान बदस्तूर है। नफ्ल नमाज कसरत से पढ़ी जा रही है। मस्जिदों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत सीमित संख्या में लोग तरावीह की नमाज अदा कर रहे हैं। घरों में खूब इबादत हो रही है। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में शाम तक चहल पहल रह रही है। रात में सन्नाटा पसर जा रहा है। रहमत का पहला अशरा अल्लाह के बंदों को रहमत में समेटे हुए है। जकात, सदका व फित्रा निकालने का सिलसिला शुरु हो चुका है। यह सिलसिला पूरे रमजान माह तक जारी रहेगा। कोरोना वॉयरस से छुटकारे की दुआ कसरत से हो रही है।

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लॉकडाउन का करें पालन, घर से बाहर न निकलें

-काजी-ए-शहर व मुफ्ती-ए-शहर ने जारी की अपील

- मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही (काजी-ए-शहर), मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) व मुफ्ती मो। अजहर शम्सी (नायब काजी) ने शनिवार को साप्ताहिक लॉकडाउन पर अपील जारी की है।

- उन्होंने कहा है कि मुसलमान साप्ताहिक लॉकडाउन का पालन करें।

- घरों से बाहर न निकलें। हर हाल में मास्क लगाएं।

- खुद को, मस्जिद, घर व मोहल्ले को साफ सुथरा रखें।

- कोरोना वायरस से निजात की दुआ मांगें।

- जिला व पुलिस प्रशासन का सहयोग करें।

- नाइट कफ्र्यू में भी गाइडलाइन का पालन किया जाए।

- साप्ताहिक लॉकडाउन के दौरान रोजा रखकर घरों में नमाज अदा करें।

- कुरआन-ए-पाक की तिलावत करें।

- मस्जिद के इमाम व मोअज्जिन का ख्याल रखें।

- जरुरत का सामान उन तक पहुंचे दें।

- आसपास के गरीबों की मदद करें।

- उन तक जरुरत का सामान पहुंचाएं।

- जकात व फित्रा की रकम जल्द निकालकर हकदारों तक पहुंचा दें।

- मदरसे वालों को चंदा दें। पशु-पक्षियों के भी खाने-पीने का इंतजाम करें।

लाईबा बनीं हाफिज-ए-कुरआन

रमजान के मुबारक महीने में अबु बाजार उंचवा के रहने वाले सुहेल खान की पुत्री लाईबा खान ने दो साल के अंदर पूरा कुरआन-ए-पाक याद (हिफ्ज) कर लिया। लाईबा रमजान का पूरा रोजा रख रही हैं। लाईबा दुनियावी तालीम के साथ आलिमा की पढ़ाई भी कर रही हैं। लाईबा रोजा रखकर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए कोरोना महामारी से निजात की दुआ मांग रही हैं।

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सात साल के वारिस ने रखा पहला रोजा

बेतियाहाता निवासी मुबारक हुसैन के सात वर्षीय पुत्र मो। वारिस ने पहला रोजा रखकर इबादत की। पहली कक्षा में पढ़ने वाले वारिस ने सुबह परिवार के साथ सहरी खाई। दिन भर इबादत की। चचा अनवर हुसैन ने हौसला बढ़ाया। शाम में जब इफ्तार का वक्त हुआ तो वारिस ने परिवार के साथ रोजा खोला। वारिस को तोहफा व दुआ मिली।