- रमजान में जारी है दर्स का दौर, रमजान की फजीलत के साथ उलेमा कर रहे हैं अहम बातों का जिक्र

- मुकद्दस रमजान

GORAKHPUR: मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने बताया कि अगर आप मालिक-ए-निसाब हैं, तो हकदार को जकात जरूर दें, क्योंकि जकात ना देने पर सख्त अजाब का बयान कुरआन-ए-पाक में आया है। जकात हलाल और जाय? तरीके से कमाए हुए माल में से दी जाए। नीचे दिए गए लोगों को जकात तभी दी जाएगी जब सब गरीब हों, मालिक-ए-निसाब न हो, जकात में अफजल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फिर उनकी औलाद को, फिर चचा और फुफियों को, फिर उनकी औलाद को, फिर मामू और खाला को, फिर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फिर पड़ोसियों को, फिर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी जकात देना अफजल है, जो इल्मे दीन हासिल कर रहा हो।

दीन-ए-इस्लाम में जकात फर्ज है : अजहर

- मुफ्ती मो। अजहर शम्सी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में जकात फर्ज है। - जकात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं, जरूरतमंदों का हक है।

- जल्द हकदारों तक पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।

- जकात फर्ज होने की चंद शर्तें हैं मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो।

- मात्रा का जरूरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरूरी है।

- सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला है।

- जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा जकात फर्ज है।

- चांदी की मात्रा साढ़े बावन तोला है।

- सोना-चांदी के बजाए बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरा देना जायज है।

जकात अदा करने में देर नहीं करनी चाहिए : मोहम्मद अहमद

मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने बताया कि जकात का इंकार करने वाला काफिर और अदा न करने वाला फासिक और अदायगी में देर करने वाला गुनाहगार है। मुसलमानों को चाहिए कि जल्द से जल्द जकात की रकम निकाल कर हकदारों को दे दें। जकात बनी हाशिम यानी हजरते अली, हजरते जाफ़र, हजरते अकील और हजरते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को देना जायज नहीं। किसी दूसरे मुरतद बद मजहब और काफिर को जकात देना जायज नहीं है। सैयद को जकात देना जायज नहीं इसलिए कि वह भी बनी हाशिम में से हैं।

-------------

अल्लाह की इबादत में बीता छठां रोजा

सोमवार को मुकद्दस रमजान का छठां रोजा अल्लाह की इबादत में बीता। रोजेदारों के उत्साह के आगे धूप पस्त है। मस्जिदों में सीमित संख्या में लोग नमाज अदा कर कुरआन-ए-पाक की तिलावत कर रहे हैं। घरों में भी नमाज अदा की जा रहा है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। तरावीह की नमाज जारी है। कोरोना वायरस से निजात की दुआ मांगी जा रही है। बाजार में चहल-पहल है। दिन की अपेक्षा रात खुशगवार है। आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम, उनके घर वालों व उनके साथियों पर दरूदो सलाम का नजराना पेश किया जा रहा है। घरों में औरतों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। इफ्तार व सहरी में दस्तरख्वान बेहतरीन खानों से सजा नजर आ रहा है। मस्जिदों में गाइडलाइन के मुताबिक दर्स जारी है। मुसाफिर व अन्य रोजेदारों के लिए मस्जिदों में इफ्तार पहुंचाई जा रही है। रहमत का अशरा जारी है। दस रोजा पूरा होने के बाद मगफिरत का अशरा शुरु होगा।