गोरखपुर (ब्यूरो)।नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालुओं ने शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया और व्रत रहकर भक्ति भाव से मां की आराधना की। देवी मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और मां शैलपुत्री के चरणों में अपनी आस्था व श्रद्धा निवेदित की। मंदिरों में माता का जयघोष गुंजता रहा।

शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना

श्रद्धालुओं ने नवरात्रि व्रत का संकल्प लेकर विधि-विधान से कलश स्थापित किया। कुछ ने पूरे नवरात्रि व कुछ ने प्रथम दिन व अष्टमी को व्रत रहने का संकल्प लिया। घरों व देवी मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ हुआ। प्रथम दिन श्रद्धालुओं ने मां शैलपुत्री की आराधना की।

इन मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

प्रमुख देवी मंदिर तरकुलहा देवी मंदिर, बुढिय़ा माता मंदिर, काली मंदिर गोलघर, दाउदपुर व रेती चौक सहित शहर के सभी देवी मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। दर्शन-पूजन कर मंगल कामना की। मां को चुनरी चढ़ाई, नारियल फोड़े, आरती की और भगवती के चरणों में मत्था टेक कर आशीर्वाद मांगा। मंदिरों में माहौल आस्था से भरपूर नजर आया। दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी रही। बारी-बारी से श्रद्धालु मां का दर्शन-पूजन करते रहे।

वासंतिक नवरात्र का महत्व

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय ने बताया, बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्रि को वासंतिक नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान हर दिन मां के नौ अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है। नवें दिन ही हवन के बाद कन्या पूजन होता है। नौ दिनों तक विधि-विधान से व्रत करने वाले श्रद्धालु 10वें दिन पारण करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के नवनी तिथि को ही भगवान राम का जन्म हुआ था।