- 15 दिनों से पितरों को निमित्त श्राद्ध व तर्पण आदि कर रहे थे लोग

GORAKHPUR: पितृपक्ष की अमावस्या के दिन गुरुवार को श्रद्धालुओं ने पितृ विसर्जन श्रद्धा पूर्वक मनाया। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से दान-पुण्य कर पितरों को विदा किया। 15 दिनों से पितरों के निमित्त श्राद्ध-तपर्ण आदि कर रहे लोगों ने पितृपक्ष के अंतिम दिन भी उन्हें तिलांजलि दी और आशीर्वाद मांगा। इसके साथ ही जिन लोगों के अपने पितरों की तिथि ज्ञात नहीं थी, उन्होंने अपने पितरों का श्राद्ध किया।

पिंडदान कर पितरों को किया विदा

सुबह नदी व तालाबों के तटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। बाल मुड़वाए और श्राद्ध-तर्पण किए। ज्यादातर लोगों ने घर पर ही पिंडदान व तर्पण कर पितरों को विदा किया। सुबह महिलाओं ने सोकर उठने के बाद सबसे पहले आंगन में पितरों के लिए पीढ़ा, पानी व दातून रखी। इसके बाद घर के मुखिया ने दरवाजे पर उपले की आग पर पाक बनाया। फिर पिंड बनाकर पुरोहित की सहायता से उसे पितरों को अर्पित किया। पिंड प्रसाद के रूप में बच्चों को बांटा भी गया।

भोजन कराकर किया दान

इसी क्रम में श्रद्धालुओं ने पुरोहित की सहायता से पंचबलि- गोबलि, श्वान बलि, काक बलि, देवादि बलि व पिपीलिकादि बलि देकर ब्राह्मणों को भोजन कराया और यथा शक्ति दान किया। पितरों से भविष्य के संकट हरने व आशीर्वाद की कामना करते हुए श्रद्धालुओं ने उन्हें विदा किया। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और उनके द्वारा मिलने वाले आशीर्वाद से जीवन की राह आसान हो जाती है।