गोरखपुर (ब्यूरो)।सोलर बेस्ड बस स्टॉप, वाईफाई सेवा नहीं है। बिजली पोल हटाकर लाइन को अंडरग्राउंड करने का काम भी ठंडे बस्ते में है। जबकि रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई सुविधा चकाचक है। यंगस्टर्स और ट्रेन पैसेंजर रेलवे स्टेशन पर भरपूर इंटरनेट यूज कर रहे हैं, लेकिन सिटी में वाई-फाई की सुविधा कब मिलेगी और स्मार्ट सड़कों पर लोग कब चल सकेंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

150 करोड़ का प्रोजेक्ट

गोलघर, पार्क रोड, सिनेमा रोड समेत 24 सड़कों को स्मार्ट सड़क का दर्जा दिया जाना था। नगर निगम के साथ मिलकर जीडीए का दावा यह भी था कि इन सड़कों पर वाई-फाई समेत कई अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ ही निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाने थे, यही नहीं जीडीए की तरफ से इन सड़कों के चयन के लिए सर्वे भी शुरू कराए जाने का दावा किया गया। इसके बाद डीपीआर बनाए जाने की बात कही गई। अनुमान के मुताबिक 'स्मार्ट सड़कोंÓ के इस प्रोजेक्ट पर करीब 150 करोड़ से अधिक रुपए खर्च होने वाले थे।

इन सुविधाओं के दिखाए सपने

-सड़क पटरी पर ग्रीन बेल्ट और फुटपाथ

- टाइल्स लगेंगी। फ्री वाई-फाई जोन

- क्लोज सर्किट कैमरा

- सोलर बेस्ड बस स्टॉप

- बिजली पोल हटाकर लाइन को अंडरग्राउंड किया जाना।

- पेयजल व टेलीफोन लाइन को अंडरग्राउंड चैनल में किया जाना।

- सड़क के बीच में लगी स्ट्रीट लाइटें किनारे किया जाना।

- उपलब्धता के आधार पर पार्किंग बनाया जाना।

- पेयजल के लिए वॉटर एटीएम के साथ टॉयलेट की सुविधा

- ड्रेनेज सिस्टम पर नए सिरे से काम होना

स्टेशन पर करें वाई फाई का इस्तेमाल

रेलवे स्टेशन पर चल रहे वाई-फाई सुविधा का लाभ न सिर्फ यात्रियों को मिलता है, बल्कि ज्यादातर स्टूडेंट्स इंटरनेट एक्सेज और डाउनलोडिंग के लिए पहुंचते हैैं। कई बार बीच में नेटवर्किंग सिस्टम पर ज्यादा लोड होने के कारण फ्रिक्वेंसी वीक हो जाती है। वाई-फाई की सुविधा सभी प्लेटफार्म पर मिलने से यात्रियों को ट्रेन के हर एक लोकेशन से अपडेशन मिल जाता है।

रेलवे स्टेशन पर आने पर यहां मिलने वाली वाई-फाई की सुविधा मिल जाती है। स्टेशन पर वाई-फाई का इस्तेमाल कर पीएनआर स्टेट्स चेक कर लेता हूं।

यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई की सुविधा नि:शुल्क दी गई है। फ्रिक्वेंसी भी अच्छी है, स्टेशन पर अनावश्यक रूप से आने वालों की सरप्राइज चेकिंग होती है, जो बिना मतलब के स्टेशन पर घूमते हुए या फिर वाई-फाई का इस्तेमाल करते हुए पाए जाते हैैं। उनसे आरपीएफ व टीसी द्वारा पेनाल्टी चार्ज किया जाता है

पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनईआर

कंसलटेंट चयनित हैं। मीटिंग भी की है। सड़कों को आइडेंटिफाई करने के लिए कहा है। प्रति किलोमीटर के हिसाब से टेंडर हुआ है। स्मार्ट सड़कों का काम आगे बढ़ेगा। इसके साथ ही जो अन्य चीजें है, उसके पूरी करने की कवायद चल रही है।

आनंद वद्र्धन, जीडीए वीसी