गोरखपुर (ब्यूरो)। प्रधानमंत्री 8603 करोड़ रुपए के गोरखपुर खाद कारखाना, 1011 करोड़ से गोरखपुर में ही बने पूर्वी उत्तर प्रदेश के पहले एम्स और 36 करोड़ की लागत वाले

आरएमआरसी के हाईटेक लैब्स का इनॉगरेशन करेंगे। उन्होंने कहा कि यूपी के विकास के लिए सात दिसंबर का दिन ऐतिहासिक होगा।

खाद कारखाना नहीं शुरू कराना चाहती थीं पूर्व की सरकारें

सीएम योगी ने कहा, वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर बंद हो गया। इसके बाद अनके सरकारें आईं। आश्वासन पर आश्वासन देती रहीं। खाद कारखाना शुरू कराने की बात पर हाथ खड़े कर

दिए गए। यह कारखाना दोबारा फिर कभी चलेगा। यह सपना लगता था, लेकिन इस सपने को पीएम मोदी ने सच कर दिखाया है। वर्ष 2016 में इसका शिलान्यास हुआ। तय समय

सीमा में यह बनकर तैयार हो गया। सात दिसंबर को पीएम उसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे। सीएम ने बताया कि 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन इस कारखाने से

होगा।

बीमारियों से लडऩे के लिए पीएम ने दिया एम्स

सीएम योगी ने कहा कि बाढ़ और बीमारी कभी पूर्वांचल की पहचान बन चुकी थी। इंसेफेलाइटिस की वजह से बच्चे असमय दम तोड़ देते थे। पूर्व की सरकारों ने कभी संवेदना नहीं

दिखाई। हर साल 40 से 50 बच्चों की मौत होती थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश को बीमारियों से लडऩे के लिए पीएम ने एम्स दिया। वर्ष 2016 में पीएम ने एम्स का शिलान्यास किया जो

अब बनकर तैयार है। वल्र्ड लेवल की मेडिकल फैसिल्टी लोगों को मिल सकेगी। सात दिसंबर को पीएम, एम्स का इनॉगरेशन भी करेंगे।

पुणे भेजे जाते थे सैंपल

वर्ष 1977 में मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस को पहचाना गया। तब इसकी जांच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में की गई थी। लंबे समय तक इंसेफेलाइटिस, डेंगू जैसे

वेक्टर बोर्न डिजीज की पहचान करने की व्यवस्था नहीं थी। सैंपल पुणे भेजे जाते थे। लेकिन बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित रीजनल एमआरसी में हाईटेक लैब तैयार हो गया है। वर्ष

2017 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आधारशिला रखी थी। सात दिसंबर को पीएम इसका भी इनॉगरेशन करेंगे। तीनों परियोजनाओं से पूर्वांचल, बिहार और नेपाल की बड़ी

आबादी को लाभ पहुंचेगा।

एक नजर में प्रोजेक्ट

गोरखपुर खाद कारखाना - 8600 करोड़ रुपए

एम्स - 1011 करोड़ रुपए

एमआरसी लैब - 36 करोड़ रुपए