- जेल में बंद बदमाशों ने अपनाया मोबाइल यूज करने का नया ट्रेंड

- जेल में लगा जैमर महज दिखावा, टूटे फर्श के नीचे मोबाइल छिपाने की अटकलें

GORAKHPUR: गोरखपुर सहित यूपी की तमाम जेलों में बंद कैदी धड़ल्ले से मोबाइल फोन इस्तमाल कर रहे हैं। पकड़े जाने के डर से बदमाशों ने अब नया ट्रेंड अख्तियार कर लिया है। जेल में बंद अपराधी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन अब इनमें से अधिकांश बदमाश बिना सिमकार्ड के मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ताकि न ही उन्हें जेल में लगे जैमर की दिक्कत झेलनी पड़े और न ही उनकी बातचीत को सर्विलांस पर आसानी से ट्रेस किया जा सके। ऐसे में कैदी जेल व पुलिस प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर बड़ी आसानी से सिर्फ मोबाइल ही नहीं यूज कर रहे, बल्कि वह इंटरनेट का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सूचना के बाद प्रशासन के रडार पर जेल और जिम्मेदार आ गए हैं। जहां अब जेल में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, वहीं रेग्युलर औचक निरीक्षण कर शातिरों पर लगाम कसी जाएगी।

दिन में ही लीक हो गई थी छापामारी की सूचना

मंगलवार शाम बांसगांव के व्यापारी से 20 लाख रंगदारी मांगे जाने के मामले में जेल की लोकेशन मिलने के बाद डीएम व एसएसपी ने जेल में छापामारी की। इस दौरान जेल में बिना सिमकार्ड का एक मोबाइल फोन और एक बैट्री भी बरामद हुई है। ऐसे में यह तो तय है कि जेल में बंद कैदी बिना सिम के मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, जेल सूत्रों के मुताबिक जेल में छापामारी की योजना दिन में ही तैयार कर ली गई थी। डीएम, एसएसपी की अगुवाई में इसका पूरा खाका तैयार किया गया था। अगल-अलग टीमों को एक साथ सभी बैरकों में छापा मारने का निर्देश था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इससे पहले यह सूचना लीक हो गई थी और अधिकारियों के जेल पहुंचने से पहले ही वहां सबकुछ हटाया जा चुका था।

इंटरनेट राउटर का कर रहे इस्तेमाल

जेल में बंद बदमाश फोन कॉल पर बात करने से अधिक इंटरनेट कॉल या फिर वीडियो कॉल पर बात करना कहीं अधिक महफूज समझ रहे हैं। इसके लिए वह विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों के इंटरनेट राउटर या फिर इंटरनेट चलाने वाले किसी अन्य कैदी से हॉटस्पॉट से कनेक्ट होकर इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह तो सभी जानते हैं कि अगर आपके फोन में इंटरनेट की सुविधा हो तो आप वॉट्सएप से लेकर तमाम एप के जरिए बातचीत कर सकते हैं। इतना ही नहीं अपराधी यह भी जानते हैं कि इंटरनेट कॉल या फिर अन्य सोशल मीडिया पर हुई बातचीत को ट्रेस करना जिला पुलिस के लिए आसान नहीं है।

ऐसे छिपाते हैं मोबाइल फोन

जेल सूत्रों के मुताबिक जेल में बंद कैदी मोबाइल को छिपाने के लिए नई-नई तरकीब अपना रहे हैं। जेल बैरकों के अधिकांश फर्श पूरी तरह से टूट चुके हैं। कैदियों ने बैरकों में टूटे फर्श में गढ्डा बना दिया है। जिसमें वे अपने मोबाइल प्लास्टिक में डालकर छिपा देते हैं। इसके बाद उपर से उसपर मिट्टी या फिर ईंट के टूकड़े रख देते, ताकि चेकिंग के दौरान वे पकड़े न जा सकें।

500 में 199 का रिचार्ज

जेल सूत्रों के मुताबिक बंदियों के मोबाइल रिचार्ज कराने के नाम पर बंदी रक्षक उनसे अच्छी खासी रकम वसूल करते हैं। 199 रुपए के रिचार्ज के लिए उनसे 500 रुपए वसूल किया जाता है। इसके साथ ही सिम की कीमत अलग से निर्धारित की गई है। ऐसे में बंदियों को मोबाइल फोन सहित तमाम तरह के ऐशो-आराम मुहैया कराकर बंदी रक्षक उनसे मोटी कमाई कर रहे हैं।

इंटरनेट कॉलिंग से आई थी रंगदारी की कॉल

- बीती 18 जुलाई को सिकरीगंज थाने के रामडीह निवासी व्यापारी अयोध्या प्रसाद जायसवाल को फोन करके बदमाशों ने 20 लाख रुपए की रंगदारी केमामले में भी इंटरनेट कॉल की बात सामने आई थी।

- जिसे पुलिस आज तक ट्रेस भी नहीं कर सकी।

- इसके अलावा भी कई अन्य मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें इंटरनेट कॉलिंग की वजह से उसे ट्रेस करना जिला पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ।

- हालांकि ऐसा नहीं है कि इंटरनेट कॉल या इंटरनेट पर होने वाली अन्य चीजों को ट्रेस नहीं किया जा सकता।

- आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस के जरिए इंटरनेट पर होने वाली हर एक गतिविधि को भी ट्रेस किया जा सकता है। पर जिले के साइबर सेल इस तरह की जहमत उठाने से कतराता है।

- यही वजह है कि किसी भी तरह के साइबर क्राइम का पर्दाफाश करने में पुलिस के पसीने छूटने लगते हैं।

- ऐसे में इसका फायदा उठाते हुए जेल में बंद कोई एक कैदी किसी भी टेलीकॉम कंपनी का वाईफाई राउटर मंगा ले रहे हैं। जिसके जरिए फोन में बिना सिमकार्ड लगाए एक ही राउटर से करीब दर्जन भर मोबाइल फोन को कनेक्ट किया जा सकता है।

दिखावा है जेल का जैमर

जेलों से लगातार रंगदारी की कॉल जाने की शिकायत के बाद 29 मार्च 2017 को गोरखपुर और प्रतापगढ़ की जेल में जैमर लगाने के लिए एक करोड़ 21 लाख रुपए का बजट सरकार ने दिया। इसके बाद जेल में पहले बैरक नंबर 13 और 11 के दायरे में जैमर लगाया गया और फिर जेल अफसरों ने दावा किया कि जैमर लगने से जेल के बैरक नंबर 9, 10, 11, 12, 13, 14 में मोबाइल काम नहीं करेगा।

बेकार हो गया जैमर

गोरखपुर जेल 62 एकड़ में फैली है। 15 एकड़ में बंदियों का बैरक और 47 एकड़ में अधिकारियों का आवास व ऑफिस है। इसे कवर करने के लिए 8 जैमर की डिमांड की गई थी। बताया जाता है कि जब जैमर आया था तब टूजी नेटवर्क चल रहा था, लेकिन जैमर लगाने में इतनी देर कर दी गई कि तब तक थ्री और फिर फोर-जी नेटवर्क चलने लगे। जिससे जैमर बेकार हो गया।

बंदी रक्षक बेलगाम, बंदियों की चांदी

वर्ष 2018 में जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल, तन्हाई बैरक में टीवी चलने का मामला सामने आने के बाद यहां के जेलर राम कुबेर सिंह को हटा दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद से लगातार जेल में मोबाइल व राउटर एवं हॉट स्पॉट के जरिए इंटरनेट का खुलेआम इस्तेमाल किया जाने लगा।

जेल में कब-कब मिले मोबाइल

17 अगस्त 2021- डीएम और एसएसपी की छापामारी के दौरान जेल में बिना सिमकार्ड का एक मोबाइल फोन और एक बैट्री बरामद हुई।

24 मई 2016- डीआईजी जेल का छापा, हाई सिक्योरिटी बैरक में 7 बंदियों के पास से मच्छरदानी बरामद।

13 मई 2016- जेल में डीएम और एसएसपी का छापा, चाकू, मोबाइल चार्जर, कलर टीवी, सेटअप बॉक्स बरामद।

24 फरवरी 2016- जिला कारागार में छापेमारी के दौरान छह मोबाइल सेट, सिमकार्ड, चाकू सहित कई आपत्तिजनक सामान बरामद।

16 अप्रैल 2015- छापेमारी के दौरान गांजा सहित कई आपत्तिजनक चीजें मिली।

08 जून 2015- छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन बरामद हुआ।

14 मई 2016- तलाशी में चाकू, लाइटर, फोन चार्जर, कैंची बरामद हुई।

12 नवंबर 2016- छापेमारी के दौरान 120 मोबाइल फोन बरामद हुए।

जेल से मांगते हैं रंगदारी

वर्ष 2013 जेल में बंद टीका सिंह के भाई सन्नी सिंह और युवराज सिंह ने गगहा के रितेश मौर्य से 5 लाख रुपए की रंगदारी मांगी थी। नहीं देने पर बदमाश ने रितेश मौर्य सहित उनके सहयोगी शंभू और एक अन्य व्यक्ति की हत्या कर दी थी।

31 जनवरी 2021- गुलरिहा इलाके में ग्रामप्रधान से जेल से फोन कर 20 हजार रुपए की रंगदारी मांगी गई थी।

16 नंबवर 2019- जेल में बंद गोरखपुर के कुख्यात बदमाश चंदन सिंह के नाम पर सहजनवां टिकरी के पूर्व प्रधान वीरेन्द्र मिश्र से एक बदमाश ने दस लाख रुपए की रंगदारी मांगी थी।

2 जुलाई 2017- झंगहा इलाके के प्रधान को फोन किया गया।

29 जून 2017- बेलीपार इलाके के बिजनेसमैन को फोन किया गया।

28 जून 2017- इलाके के फेमस डॉक्टर से रंगदारी मांगी गई।

6 दिसंबर 2016- मेयर डॉक्टर सत्या पांडेय को जानमाल की धमकी दी गई।

10 नवंबर 2016- पीपीगंज इलाके के च्वेलरी कारोबारी को जेल से फोन किया गया।

18 मई 2016- बड़हलगंज इलाके के एक डॉक्टर को फोन किया गया।

जेल में लगातार चेकिंग चलता रहेगा। इसकी मॉनीटरिंग हम लोग करेंगे। जेल अधीक्षक व जेलर को निर्देशित किया गया है कि वह मुलाकाती व आवागमन पर पैनी नजर रखें। सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके बाद भी अगर शिथिलता बरती जाती है तो इसके लिए जेल अधीक्षक व जेलर उत्तरदायी होंगे।

विजय किरण आनंद, डीएम