गोरखपुर (ब्यूरो)। गीडा के हरैया निवासी सैफुद्दीन खान की कार उनके परिचित मनोव्वर अली नौ सितंबर को ले गए। रेलवे स्टेशन होते हुए कुशीनगर जा रहे थे। रेलवे स्टेशन के पास एक युवक मिला जिसने खुद को साइबर क्राइम में तैनात पुलिस कर्मचारी बताया। उसने कहा कि जब कुशीनगर जा रहे हो हमें और हमारे एक स्टाफ को भी साथ ले चलो। युवक ने धर्मशाला पुलिस चौकी के पास एक व्यक्ति को स्टाफ बताकर बैठा लिया। रास्ते में उसने तेल भी डलवाया। सुकरौली के होटल में भोजन किया। हेतिमपुर के पास पहुंचकर खुद को पुलिस बताने वाले मनौव्वर को कोल्डड्रिंक पिला दी। इसके कुछ ही देर बाद उनको नींद आ गई।
कसया और गोरखपुर का लगाते रहे चक्कर
अगले दिन सुबह उनकी नींद खुली तो वह एक दुकान के पास पड़े हुए थे। पहले तो लोगों ने समझा कि वह कोई शराबी हैं। हकीकत सामने आने पर वह कसया पुलिस स्टेशन गए। पुलिस ने जब फुटेज देखा तो कार और नकदी लूटने वालों की जानकारी मिली, लेकिन पुलिस ने गोरखपुर का मामला बताकर उनको कैंट थाना भेज दिया। कैंट पुलिस और कसया के चक्कर में वह कई दिनों तक घूमते रहे। ऑपरेशान होकर वह डीआईजी के पास पहुंचे। डीआईजी के निर्देश पर केस दर्ज करके कैंट पुलिस छानबीन में लगी है।