- इंडस्ट्रियल एरिया में वेरी पुअर हुई एयर क्वालिटी, कॉमर्शियल जोन में भी पुअर

- रेसिडेंशियल एरिया का मॉडरेट जोन में पहुंचा टेंप्रेचर, नमी की वजह से बढ़ रही है मुसीबत

GORAKHPUR: गोलघर की आबो-हवा दिन ब दिन बदतर होती जा रही है। कोहरा और गाडि़यों की आवाजाही लोगों की मुसीबत और बढ़ा रही है। खुली हवा में सांस लेना धीरे-धीरे दूभर होने लगा है। पिछले कुछ दिनों से मौसम के रुख में आए जबरदस्त बदलाव की वजह से पॉल्युशन का लेवल बढ़ने लगा है। जहां इंडस्ट्रियल एरिया में हालात बद से बदतर हो गए हैं, तो वहीं अब कॉमर्शियल एरिया यानी कि गोलघर में भी मुसीबत बढ़ रही है। जनवरी माह में पॉल्युशन विभाग के आंकड़े बढ़ रही इस मुसीबत की गवाही देने के लिए काफी हैं। जनवरी माह में गोरखपुर के कॉमर्शियल जोन का एयर क्वालिटी इंडेक्स रेड जोन में पहुंच गया है, वहीं कॉमर्शियल जोन में भी हालात खराब हो रहे हैं। रेसिडेंशल एरिया की आबो-हवा भी खराब होने लगी है।

नीचे जमे पॉल्युटेंट

मौसम का रुख अक्टूबर से ही बदलना शुरू हो गया था, इस दौरान रेसिडेंशियल, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरियाज में एयर क्वालिटी मॉडरेट जोन में पहुंच गई थी। इन सभी एरियाज में रहने वाले लोगों को सांस लेने में मुश्किलें पेश आने लगीं थी, जबकि लंग और हार्ट डिजीज के मरीजों की तादाद बढ़ गई। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो एटमॉस्फियर की नमी पॉल्युटेंट को ऊपर नहीं जाने दे रही है, जिससे कि वह भी अब नीचे डेरा जमाने लगे हैं। इसका असर यह है कि जहां गीडा में लोगों के लिए सांस लेना भी दूभर चुका है, वहीं दूसरे एरियाज में भी हालात भी राहत देने वाले नहीं हैं। अगर कोहरा बढ़ा और गाडि़यों की आवाजाही यूं ही बढ़ती गई, तो आने वाले दिन और भी खतरनाक होने वाले हैं।

लिमिट तक राहत, फिर आफत

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन को हम इनहेल करते हैं, जिससे हमारी सांसे चलती हैं। इसमें तरह-तरह के पॉल्युटेंट मौजूद होते हैं। इसमें एक लिमिट तक तो प्रॉब्लम नहीं होती, लेकिन जैसे ही लिमिट क्रॉस होती है, मुश्किलें बढ़ने लगती हैं। एयर क्वालिटी इनडेक्स (एक्युआई)इसी का मानक है। इसमें अगर किसी जगह का एक्युआई 50 या उससे कम है, तो इसका काफी थोड़ा असर ह्यूमन बींग पर पड़ता है, लेकिन जैसे-जैसे एक्युआई बढ़ता है, मुसीबत भी बढ़ जाती है।

गीडा में एक्युआई 321 के पार

एमएमएमयूटी के साइंटिफिक असिस्टेंट एनवायर्नमेंट सत्येंद्र नाथ यादव ने बताया कि गोरखपुर की बात करें तो इस वक्त कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल और रेसिडेंशियल तीनों जगह का एक्युआई बढ़ा है। इसमें सबसे ज्यादा मुश्किल इंडस्ट्रियल एरिया गीडा में है, जहां एक्युआई 321.75 पहुंच चुका है। कॉमर्शियल एरिया में भी यह 208.50 यानि पुअर क्वालिटी में चला गया है, रेसिडेंशियल एरिया भी पुअर एयर क्वालिटी की ओर बढ़ रहा है।

2 नवंबर में यह थे हालात

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 096.68 01.59 05.02 97

कॉमर्शियल 174.36 05.05 13.08 150

इंडस्ट्रियल 266.01 17.14 29.69 216

16 नवंबर

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 113.36 1.95 5.27 109

कॉमर्शियल 201.23 6.27 15.41 167

इंडस्ट्रियल 327.13 19.57 36.42 277

दिसंबर 2020-

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 139.71 1.49 4.99 126

कॉमर्शियल www.75 5.07 16.19 182

इंडस्ट्रियल 348.98 27.89 48.39 299

जनवरी - 2021

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 171.03 1.47 4.95 147.37

कॉमर्शियल 258.49 5.06 16.63 208.50

इंडस्ट्रियल 367.33 31.19 52.48 321.75

पैरामीटर्स एंड इफेक्ट्स -

0-50 - मिनिमम इंपैक्ट

51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम

101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चों और बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कत

201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम

301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी

401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्ट

दमा और अस्थमा वालों को परेशानी

मौसम के इस उठा-पटक भरे रुख की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी दमा और अस्थमा का शिकार हुए मरीजों को हो रही है। इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। ऐसे में फॉग और दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट सीधे अटैक कर रहे हैं और रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन के चांसेज काफी बढ़ गए हैं। इस समय सबसे ज्यादा प्रॉब्लम जॉगर्स और मॉर्निग वाकर्स को हो सकती है। यह समय ऐसा है जब ओस गिर रही है। इस दौरान खुले सिर बाहर टहलने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इसलिए अगर आप भी मॉर्निग वार्कर हैं या फिर हेल्थी-वेल्दी होने के लिए जॉगिंग कर रहे हैं, तो आप घर को ही इसके लिए ठिकाना बनाए और बाहर निकलकर एक्सरसाइज करना अवॉयड करें, वरना आपकी थोड़ी सी भी लापरवाही आपको काफी बीमार बना सकती है।

क्या बरतें सावधानी

- पूरे शरीर को ढंक कर चलें जिससे म्वाइस्ट एयर न कॉन्टैक्ट होने पाए

- धूप निकलना शुरू न हो जाए तब तक बाहर निकलना अवाइड करें।

- ढके बदन और नाक मुंह पर मास्क लगाकर ही वॉकिंग के लिए जाएं।

- सिर को ढंक कर निकलें।

- गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट पहने जिससे दोनों ही कंडीशन में बचा जा सके।

- कोई प्रॉब्लम हो रही है, तो चिकित्सक की सलाह लें।

- बच्चों को खुले में न टहलाएं और कवर किए रहे।

यह होती है प्रॉब्लम

- एलर्जी

- फीवर

- नाकों में जलन

- वायरल इंफेक्शन

- मिजल्स

- वूफिंग कफ

- स्किन रैशेज

- खुजलाहट

टेंप्रेचर डिफरेंस और नमी लोगों को बीमार कर रही है। नमी की वजह से पॉल्युटेंट आसमान में ऊपर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। मास्क का इस्तेमाल करें और ठंडी चीजों से परहेज करें। ऐसा न करने में परेशानी बढ़ सकती है। जो दमा और अस्थमा के पेशेंट हैं, वह रेग्युलर दवा लें।

- डॉ। दवीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट

पॉल्युटेंट का लेवल अब बढ़ने लगा है। सर्दी के मौसम में यह ज्यादा हो जाता है। इसलिए अब जितना पॉसिबल हो सके, पॉल्युशन कम फैलाएं और बजाए पॉल्युशन का उपाय करने के फोकस इस बात पर हो कि पॉल्युशन कैसे न फैले? तभी इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। आने वाले कुछ महीने इस लिहाज से काफी सेंसिटिव हैं।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट