गोरखपुर (ब्यूरो)।मतलब साफ है। प्रदेश में भले से एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक की चीजों को बनाने बेचने और इस्तेमाल करने पर बैन लगा हुआ है, लेकिन गोरखपुर में इस पर जिम्मेदार अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुए हैं। हर अभियान के कोरम में थोड़ी बहुत जांच के बाद भी नगर निगम के जिम्मेदारों को बैन पॉलीथिन बरामद हो जा रही है। अगर यही हाल रहा और जिम्मेदार नहीं जागे, तो सरकार का बैन तो बेअसर रहेगा ही, एनवायर्नमेंट को इससे जितना नुकसान होगा, उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

500 सिगरेट के बराबर है 5 ग्राम प्लास्टिक का धुआं

एक छोटी सी पॉलीथीन और इसका धुआं इस कदर जानलेवा है कि रोजाना कई डिब्बे सिगरेट पीने वालों को भी ऐसा असर न होगा। इसका धुआं इतना खतरनाक है कि 500 सिगरेट पीने के बाद इतना नुकसान नहीं होगा, जितना महज 5 ग्राम पॉलीथीन को जलाने से निकलने वाले धुएं से हो जाएगा।

माइक्रोस्कोप से देखने बराबर भी छेद नहीं

प्लास्टिक की इलास्टिसिटी को बढ़ाने के लिए इसकी मैन्युफैक्चरर कंपनीज सभी घातक केमिकल का इस्तेमाल कर डालती हैं। यह इस कदर खतरनाक है कि जो भी चीज इसमें रखी जाएगी, उस पर इसका इफेक्ट पडऩा तय है और इससे कैंसर होने के चांस बढ़ते ही जाते हैं। सबसे बड़ा ड्रॉ बैक यह कि यह बायो डिग्रेडेबल होती है और इसमें इतनी भी जगह नहीं होती है कि माइक्रोस्कोप से इसका कोई छेद नजर आ जाए। यहां तक कि अगर इसको जलाकर एक फॉर्म से दूसरे फॉर्म में लाने की कोशिश की जाती है, तो इससे निकलने वाला कार्बन ऐसा खतरनाक है कि यह लोगों का दम घोटने के लिए काफी है।

जानवरों के लिए काफी खतरनाक

ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग कूड़ा फेंकते वक्त साथ में पॉलीथीन भी फेंक देते हैं। यह कूड़ा जानवर खाते हैं और यह पॉलीथीन कूड़े के साथ ही उनके पेट में भी एंटर कर जाती है। इससे उन्हें इंटेस्टाइनल ऑब्सट्रक्शन होते हैं, जिससे उनकी आंते भी फट जाने के केस सामने आते हैं। इससे जानवरों की मौत तक हो जाती है। इसका असर इतना खतरनाक है कि अगर इसको किसी हरे-भरे पेड़ के पास फेंक दिया जाए, तो इसकी वजह से यह हरा-भरा पेड़ सूख जाएगा। वहीं अगर इसमें फूड मैटेरियल्स बांध दिया जाए, तो जो फूड ओपन में रहेगा, वह जल्दी खराब नहीं होगा, जबकि जो पॉलीथीन में बंधा रहेगा, वह जल्दी खराब हो जाएगा।

यह हैं इफेक्ट्स -

-प्लास्टिक प्रॉडक्ट में इस्तेमाल होने वाले बिस्फेनॉल केमिकल ह्यूमन बॉडी में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को करता है अफेक्ट।

- पॉलीथीन का कचरा जलाने पर कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और डाई आक्सीन जैसी विषैली गैसें निकलती हैं।

- बढ़ जाते हैं सांस, स्किन की बीमारियां होने के चांस।

- एनवायर्नमेंट साइकिल को ब्रेक कर देता है पॉलीथीन।

- प्लास्टिक वेस्ट जमीन में दबने की वजह से वॉटर हार्वेस्टिंग होने में प्रॉब्लम होती है।

- पॉलीथीन एक पेट्रो केमिकल उत्पाद है, जिसमें टॉक्सिक एलीमेंट का इतस्ेमाल होता है।

- प्लास्टिक के थैलों को बनाने में कैडमियम व जस्ता जैसे खतरनाक। केमिकल का होता है इस्तेमाल, जिसके टच में आने पर फूड आइटम्स भी होते हैं विषैले।

- पॉलीथीन की थैली में गर्म चाय, जूस ले जाने पर उसके केमिकल सीधे शरीर में पहुंचते हैं।

यह होती है बीमारियां

सांस

दमा

लंग फाइब्रोसिस

सीओपीडी

स्किन प्रॉब्लम

लंग कैंसर

फैक्ट फीगर - (2010-11 संसेक्स के मुताबिक)

प्लास्टि कंजम्प्शन - 14 किलो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष

प्लास्टि वेस्ट जनरेशन - 9.92 किलो प्रति वर्ष, 27 ग्राम प्रतिदिन

यहां कंप्लीट बैन -

अंडमान निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, लक्षद्वीप, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड

ऐसे होगा बचाव -

- घर से निकलें तो झोला या अल्टरनेट ऑप्शन साथ रखें।

- 40 माइक्रॉन से कम थिकनेस की प्लास्टिक का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।

- खाने-पीने की चीजों में भी प्लास्टिक जार या पैक को मत प्रिफर करें।

- जहां पॉलीथिन बेची जा रही है या बनाया जा रहा है, इसकी सूचना जिम्मेदारों को दें।

- प्लास्टिक वेस्ट को बिल्कुल न जलाएं, बल्कि इसे री-साइकिल यूनिट को दे दें।

- प्लास्टिक मेकिंग के दौरान इससे पार्टिकिल निकलते हैं और हमारे इर्द-गिर्द रहते हैं तो मास्क का इस्तेमाल बेहतर ऑप्शन है।

- पॉलीथिन में चाय लाने से पॉलीथिन से रिएक्ट करती हैं तो पॉयजनस हो जाते हैं, इसलिए चाय तो बिल्कुल नहीं इस्तेमाल करनी चाहिए।

इन पर है कार्रवाई की जिम्मेदारी

डीएम, एडीएम सिटी, सिटी मजिस्टे्रेट, नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वैज्ञानिक अधिकारी, पर्यावरण अधिकारी, सीएमओ, प्रभागीय वन अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पर्यटन अधिकारी, सहायक पर्यटन अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी आदि।

क्या होती है सिंगल यूज प्लास्टिक?

सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब है कि एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक प्रॉडक्ट से है। सिंगल यूज प्लास्टिक को केवल एक बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है। इनमें प्लास्टिक की थैलियां, डिस्पोजल प्लास्टिक, स्ट्रा, सोडा व पानी की बोतलें शामिल हैं।

पिछले माह में नगर निगम का अभियान -

- 24 मई को मेडिकल रोड पर अभियान चलाया गया। इसमें 24 दुकानदारों का चालान किया गया, जिनके पास से करीब 3.6 किलो पॉलिथिन बरामद की गई।

- 19 मई को उप नगर आयुक्त की देखरेख में पॉलिथिन के खिलाफ अभियान चला। पादरी बाजार के पास से 5 किलो 800 ग्राम प्रतिबंधित पॉलिथिन जब्त कर 5500 जुर्माना लगाया गया।

- 17 मई को देवरिया रोड पर अभियान में 2 किलो 800 ग्राम पॉलिथिन जब्त की गई और 3 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया।

- 16 मई को रेती रोड और ट्रांसपोर्ट नगर में अभियान चला और यहां से 2 किलो 300 ग्राम पॉलीथिन जब्त की गई, 22 जुर्माना लगाया गया।

- 12 मई को तारामंडल रोड पर अभियान चला, जिसमें 2 किलो 800 ग्राम पॉलीथिन जब्त कर 1700 रुपए जुर्माना लगाया गया।

- 11 मई को आजाद चौक, महुईसुघरपुर रोड पर अभियान चला, जिसमें 3 किलो 500 ग्राम पॉलीथिन जब्त कर 2600 जुर्माना वसूला गया।

- 10 मई को कूड़ाघाट पर अभियान चला, जिसमें 2 किलो 200 ग्राम पॉलीथिन जब्त कर 21 रुपए जुर्माने के तौर पर वसूल किए गए।

- 9 मई को भी नगर निगम की टीम ने अभियान चलाया और 3 किलो 500 ग्राम पॉलिथिन पब्ति कर 6 हजार जुर्माना वसूल किया।

- 8 मई मोहरीपुर रोड पर अभियान चला, 4 किलो 600 ग्राम पॉलीथिन जब्त कर 3600 रुपए जुर्माना वसूल किया गया।

- 6 मई को तारामंडल में अभियान चला और यहां से 3 किलो 800 ग्राम पॉलीथिन जब्त की गई और 3400 रुपए जुर्माना वसूल किया गया।

- 3 मई को अभियान चला, जिसमें 600 ग्राम पॉलीथिन जब्त कर 400 रुपए जुमाने के तौर पर वसूल किए गए।

- 2 मई को भी निगम की ओर से अभियान चलाया गया। इसमें टीम ने 4 किलो 600 ग्राम पॉलीथिन जब्त करते हुए 3000 रुपए जुर्माना वसूल किया।

प्लास्टिक में सारे खतरनाक केमिकल इस्तेमाल होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। यह नॉन बायो डिग्रेडेबल हैं, जिसकी वजह से यह जल्द नष्ट नहीं होती और हजारों साल तक एक ही जगह रहते हैं। हमने प्लास्टिक को जितनी तेजी से अपनाया है, उतनी ही तेजी से उसे छोडऩा होगा। डेली यूज में प्लास्टिक के अल्टरनेस साधनों का इस्तेमाल करना होगा।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट

पांच ग्राम की पॉलीथीन को जलाने से जितना धुआं निकलता है और वह लोगों के शरीर में जाता है, यह 500 सिगरेट पीने से बॉडी में जाने वाले धुएं से भी खतरनाक है। इससे लंग फाइब्रोसिस, अस्थमा और स्किन प्रॉब्लम हो जाती है। लांग टर्म एक्सपोजर की कंडीशन में कैंसर, सीवियर सीओपीडी यही वजह है कि कई यूरोपियन कंट्री में काफी पहले से इस पर बैन है। यह सिर्फ अवेयरनेस के थ्रू ही रोकी जा सकती है।

- डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट