गोरखपुर (ब्यूरो)। कैप्टन के आखिरी दर्शन के लिए उनके फैमिली मेंबर्स, रिलेटिव्स के साथ लोगों का तांता लग गया। सभी को आस थी कि शौर्य चक्र से देश और देवरिया की शान बढ़ाने वाले कैप्टन के आखिरी दर्शन कर सकेंगे, लेकिन शाम 5 बजे परिजनों ने बंगलुरु में मौजूद अन्य परिवारीजनों से बात कर बताया कि अंतिम संस्कार भोपाल में ही किया जाएगा। इसके बाद वहां लोगों की आस तो टूट गई कि वह अपने कैप्टन को लास्ट सैल्यूट नहीं दे पाएंगे।

दोपहर में आई सूचना

08 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर क्रैश में सीडीएस जनरल बिपिन रावत सहित 13 लोगों की मृत्यु हो गई थी। जिसमें ग्रुप कैप्टन वरुण घायल थे। घायल हुए कैप्टन वरुण से जुड़ी दुखद सूचना बुधवार दोपहर करीब एक बजे फैमिली मेंबर्स को फोन पर मिली। 8 सितंबर से आर्मी हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे वरुण के कई ऑपरेशन हुए, मगर उनकी जिंदगी नहीं बच सकी। वरुण के पिता कर्नल केपी सिंह और चाचा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह व परिवार के अन्य सदस्य बंगलुरु पहुंच चुके हैं। जबकि बड़े चाचा दिनेश प्रताप सिंह, उमेश प्रताप सिंह, रमेश प्रताप सिंह आदि ने भी सूचना मिलने के बाद भोपाल रवाना होने की तैयारी शुरू कर दी।

5 दिन से किया जा रहा था यज्ञ

ग्रुप कैप्टन वरुण के मौत की खबर सुनने के बाद उनके पैतृक गांव स्थित घर पर लोगों का तांता लग गया। आसपास के लोग तो गमगीन होकर पहुंचे और वहां मौजूद परिजनों को ढांढस बंधवाया। सुबह से ही देवरिया स्थित पैतृक आवास पर आने के बाद ही अंतिम संस्कार की चर्चा थी, लेकिन देर शाम तक फैमिली मेंबर्स ने कंफर्म किया कि अंतिम संस्कार भोपाल में ही किया जाएगा। एयरफोर्स के प्लेन से वरुण की पार्थिव देह को भोपाल लाया जाएगा। इस दौरान सुबह से शाम तक लोग वहीं डटे रहे। लोग अपने देश के लाल की आखिरी झलक पाने के लिए बेताब थे। पिछले पांच दिनों से घर पर और रुद्रपुर स्थित दुग्धेश्वरनाथ मंदिर में वरुण की सलामती के लिए यज्ञ भी किया जा रहा था।

जुलाई में कैप्टन वरुण आए थे कन्हौली गांव। दिनेश के फोटो के साथ

वरुण अपने पैतृक गांव कन्हौली जुलाई में आए थे। सभी लोग उनकी बातों को याद कर भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू टपकने लगे। बड़े चाचा दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि सेना से जुड़े होने की वजह से कैप्टन वरुण अग्रेसिव नेचर के थे। वहीं वह काफी सेंसिटिव भी थे। उनके इंटरेस्ट के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बड़े चाचा ने बताया कि फौज में जाने के बाद व्यक्ति का नेचर अलग होता है। वहां का कल्चर और रहन-सहन बिल्कुल अलग हो जाता है। उनका मिलने-जुलने का तरीका भी अलग होता है। वरुण चूंकि फाइटर पाइलट थे, इसलिए उनका नेचर और भी अलग था। उनका मन सिर्फ देश सेवा और अपने काम में ही लगता था।

हमेशा देश की बात दोनों के फोटो के साथ

ग्रुप कैप्टन वरुण के पैतृक गांव कन्हौली में उनके घर की देखभाल करने वाले लोग भी कैप्टन वरुण के जाने से दुखी है। उनका कहना था कि वरुण भैया घर आएंगे। हम सब इसी उम्मीद में थे, लेकिन होनी को शायद यह मंजूर नहीं था। भइया हमेशा ही देश की बात करते थे। एयरक्राफ्ट, फाइटर जेट और उड़ान हमेशा ही उनके दिमाग में रहती थी। वह मूड में होते तो घर के बच्चों से वह अपने एक्सपीरियंस भी शेयर करते, जिसे हम भी सुनते रहते। काफी अच्छा लगता था। यकीन ही नहीं हो रहा है कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं।

पवन मिश्रा और आरबी सिंह, स्टाफ

एनडीए की परीक्षा पासकर बने वायुसेना में अफसर

वरुण सिंह की प्रारंभिक पढ़ाई उड़ीसा में हुई। उनके पिता कृष्ण प्रताप सिंह आर्मी में कर्नल के पद से रिटायर्ड हुए हैं। इसलिए उनकी पढ़ाई एक जगह से नहीं, बल्कि जहां भी उनके पिता की पोस्टिंग रही है, वहीं से हुई है। इंटरमीडिएट के बाद एनडीए की परीक्षा पासकर वायु सेना में अफसर बने। विंग कमांडर के पद से पदोन्नत होकर ग्रुप कैप्टन बनाए गए। वरुण के छोटे भाई तनुज सिंह मुंबई में भारतीय नौसेना में अफसर हैं। उनके पिता कर्नल कृष्ण प्रताप सिंह अपने छोटे बेटे के पास मुंबई गए थे। जहां वरुण के हेलिकॉप्टर क्रैश में गंभीर रूप से झुलसने की जानकारी मिली।

राष्ट्रपति ने 15 अगस्त को शौर्य चक्र से किया सम्मानित

वरुण को अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 15 अगस्त को शौर्य चक्र से सम्मानित किया। वह 12 अक्टूबर 2020 को लाइट कांबेट एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान पर थे। तभी फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम में खराबी आ गई। उन्होंने सूझबूझ से 10 हजार फीट की ऊंचाई से विमान की लैंडिंग कराने में सफलता पाई थी।

वर्जन

एयरफोर्स के प्लेन से वरुण का पार्थिव शरीर भोपाल लाया जा रहा है। यहां से सभी फैमिली मेंबर्स भी भोपाल जाएंगे। वहीं फ्यूनरल होगा।

- दिनेश प्रताप सिंह, वरुण सिंह बड़े चाचा