गोरखपुर (ब्यूरो)। बताया जा रहा है कि न हॉस्पिटल्स के 1712 क्लेम अब तक रिजेक्ट हो चुके हैं। इन क्लेम के सापेक्ष एक करोड़ 80 लाख 13 हजार 996 रुपए की धनराशि फंस गई है। इतना ही नहीं करीब 16 हजार 669 पेशेंट्स के इलाज के बाद तीन करोड़ रुपए से अधिक की रकम का पेमेंट भी हेल्थ डिपार्टमेंट ने हॉस्पिटल्स को नहीं दिया है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। कई हॉस्पिटल्स ने प्रशासन को पत्र लिखा है।

नाम में फेरबदल

आयुष्मान स्कीम में ऐसी कंप्लेंस की भरमार है कि पुराना नाम दर्ज होने से लाभ नहीं मिल रहा। करीब 60 हजार से अधिक लाभार्थी इसी फेर में फंसे हुए हैं। उनके नाम इस लिस्ट में पुराना नाम के तौर पर दर्ज हो गए हैं। जबकि स्कूल और कागजों में नाम अलग हैं। आयुष्मान कार्ड बनवाने में आधार कार्ड की भी जरूरत होती है। नाम में अंतर से आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहा है।

केस 1-सूर्यकुंड कॉलोनी निवासी प्रियंका बीमार है। परिवार के सात सदस्यों का नाम आयुष्मान स्कीम में हैं। प्रियंका का नाम लिस्ट में शालू दर्ज है। परिवार के लोग उसे प्यार से शालू पुकारते हैं। नाम में इस अंतर के कारण कार्ड नहीं बन पा रहा है।

केस 2-जनप्रिय विहार कॉलोनी निवासी ममता रूपानी के परिवार के पांच सदस्यों का नाम आयुष्मान की लिस्ट में है। इस लिस्ट में पति, मां और बच्चों के नाम सही दर्ज हैं। हालांकि ममता का पुकार नाम प्रिया ही लिस्ट में हैं। परिवार पिछले दो साल से नाम बदलवाने के लिए परेशान है।

आयुष्मान कार्ड बनने का लक्ष्य-20,35,000

आयुष्मान कार्ड बनाए गए-5,23,000

पेशेंट्स को मिला लाभ-70,000

इस तरह के मामले डेली आ रहे हैं। पीडि़त को गणना लिस्ट या आधार में से किसी एक में नाम बदलवाना होगा। प्रक्रिया लंबी व जटिल है। नाम नहीं मिलेगा तो कार्ड नहीं बनेगा। साथ ही जहां तक प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने डाटा एंट्री में गड़बड़ी की है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण कागजात पोर्टल पर अपलोड नहीं किए। इस वजह से दिक्कत हुई है। जल्द ही इसका हल निकाल लिया जाएगा।

- डॉ। एके सिंह, नोडल अधिकारी