गोरखपुर (ब्यूरो)। यदि महिलाओं को भी शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा 20 परसेंट से अधिक है। विशेषज्ञों की मानें तो इसमें शरीर में कई असामान्य बदलाव होने के साथ मेंटल हेल्थ तक पर असर पड़ता है। जागरुकता के चलते ट्रीटमेंट नहीं मिलने से यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर सकती है।

क्यों बढ़ रही प्रॉब्लम

पीसीओडी के चलते अलग-अलग समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, कई मामलों में खराब लाइफस्टाइल सबसे अलग कारण के रूप में सामने आया है। इसके अतिरिक्त जैनिटिक और हार्मोंस में असंतुलन भी बड़े कारण हैं। साथ ही मोटापा, कुछ महिलाएं शराब व सिगरेट का सेवन करती हैं। तली और मसालेदार चीजों को ज्यादा सेवन करना, स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से ग्रसित होना भी बड़ी वजह है।

योग-प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज संभव

एक्सपट्र्स का कहना है कि पीसीओडी लाइफस्टाइल से जुड़ी हुई समस्या है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा से ही इसका बचाव और इलाज संभव है। वजन का ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहिए। नियमित योग करने से वजन नियंत्रित रहने के साथ अंदरूनी अंगों की एक्सरसाइज भी हो जाती है। डीप फ्राई चीजों और फास्ट फूड ज्यादा नहीं खाना चाहिए। फल और सलाद का ज्यादा सेवन करें, पानी खुब पीएं।

ये हैं सिंप्टम्स

- चेहरे और शरीर पर दाने होना।

- पीरियड का वक्त बदलना।

- चेहरे पर बाल आना।

- पेट में दर्द होना।

- वजन का बढऩा।

- सिर दर्द होना।

- डार्क पैव होना।

- बालों का तेजी से झडऩा।

ट्रीटमेंट नहीं तो जानलेवा

वल्र्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन महिलाओं को दस साल से ज्यादा समय से पीसीओडी थी, जिसका कभी इलाज नहीं हुआ। ऐसे महिलाओं में से 10 परसेंट बच्चेदानी का कैंसर देखने को मिलता है।

मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग की ओपीडी में 10 परसेंट महिलाएं पीसीओडी से ग्रसित आती हैं। ज्यादा प्रोसेस्ड फूड और फ्राई फूड खाने और फिजिकल एक्टिविटिज बराबर न होने से वजन तेजी के साथ बढ़ता है। जिसका संबंध पीसीओडी से होता है। महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही एड्रोजन हार्मोन पाया जाता है। महिलाओं में जो एड्रोजन बढ़ जाता है तब ओवरी में गांठ और पीसीओडी के लक्षण नजर आते हैं। वजन नियंत्रित से बचाव होता है। समय रहते इलाज कराएं तो यह ठीक हो सकता है।

डॉ। वाणी आदित्य, स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, एचओडी बीआरडी मेडिकल कॉलेज