समय- शाम 3.30 बजे

स्थान - गोरखनाथ ओवरब्रिज के नीचे, दुर्गाबाड़ी एरिया

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जाति-धर्म, दलबदल, परिवारवाद से लेकर विकास तक गोरखपुराइट्स की चर्चा में शामिल तो है लेकिन पब्लिक चाहती सिर्फ विकास ही है। चर्चाओं में सिटी की हालत पर लोग बिफरे हुए हैं। अब यहां के लोग इस बात को महसूस कर रहे हैं कि वर्षो पहले जहां शहर था, आज भी वहीं है जबकि इसे आगे बढ़ना चाहिए। सीधी सोच है कि नेता वही चुनेंगे जो गोरखपुर को आगे ले जाए। इसके लिए यदि बदलाव की जरूरत पड़ी तो उससे भी पीछे नहीं हटेंगे।

शहर विधानसभा क्षेत्र

GORAKHPUR: गोरखपुर के नौ विधानसभा क्षेत्रों में शहर विधानसभा क्षेत्र नेता ही नहीं, पब्लिक के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। जो इस एरिया में रहते हैं, उन्हें तो यहां का डेवलपमेंट चाहिए ही, जो यहां नहीं रहते वे भी मार्केट, एजुकेशन, मेडिकल संबंधी जरूरतों के लिए यहां आते-जाते रहते हैं। इसलिए वे भी यहां के डेवलपमेंट से उतना ही इत्तेफाक रखते हैं। ऐसे में, इस एरिया में नेता फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं तो पब्लिक भी इस अंदाज में कि दूध का जला, मट्ठा भी फूंककर पीता है रविवार को आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने चाय पर चर्चा के लिए शहर विधानसभा क्षेत्र को चुना और जा पहुंचा सिटी के दिल माने जाने वाले एरिया दुर्गाबाड़ी में। यहां स्थित चाय दुकान पर चर्चा पहले से जारी थी। बस क्या था, रिपोर्टर भी चाय का ऑर्डर करते हुए उसमें शामिल हो गया

लक्ष्मण विश्वकर्मा- भाई, हर बार की तरह बेवकूफ नहीं बनना है। मेरी समझ में तो इस बार पूरा गोरखपुर ही बदलाव के मूड में है। आप भी देख लीजिएगा, 11 मार्च को सबकुछ साफ हो जाएगा। और जो लोग गलतफहमी पालकर बैठे हैं न, उनकी गलतफहमी भी दूर हो जाएगी।

रामबरन शर्मा- रहने दीजिए लक्ष्मण भाई। पब्लिक भी अब नेता की तरह हो गई है। कहती कुछ और, करती कुछ और है। कब बदलाव की बात नहीं होती है? लेकिन, वोट के समय सब भूल जाते हैं

(रामबरन की बात खत्म नहीं हुई कि रविचंद टपक पड़े)

रविचंद शर्मा- भाई साहब आप बिल्कुल सही बोल रहे हैं। आज शहर की हालत देख लीजिए, दस साल पहले जो समस्या थी, वही आज भी है। समझ नहीं आता कि क्या विकास हुआ है।

कैलाश- क्या रवि भाई आप भी कहां पड़ गए विकास के चक्कर में। यहां कोई विकास नहीं होने वाला। जल जमाव और जाम की समस्या से से पूरे साल शहर जूझता रहता है लेकिन आज तक समस्या दूर नहीं हुई। बाकी विकास क्या होगा? जब तक बदलाव नहीं होगा तब तक विकास नहीं होगा।

रामअवतार विश्वकर्मा- सही है, अब जैसे तो तैसा जवाब देने का ही वक्त है। इस बार जो भी वोट मांगने आएगा, उससे सवाल होगा और जवाब नहीं मिला तो वोट की जगह नोटा दबेगा।

(चर्चा को गोरखपुर से प्रदेश की तरफ मोड़ते हुए)

प्रमोद कुमार- ऐसा नहीं है कि विकास नहीं हो रहा। मोदीजी देश में बदलाव लाना चाहते हैं। इसलिए नोटबंदी का कदम उठाया। कैशलेस से भ्रष्टाचार खत्म होगा जिससे हर तरफ विकास होगा।

(चर्चा में नोटबंदी शामिल होते ही चाय की तरह माहौल भी गर्म हो गया)

विनय कुमार - इस तरह देश बदलेंगे आपके मोदीजी? नोटबंदी के चलते भीख मांगने की नौबत आ गई है। किस भ्रष्टाचारी को सजा हुई है, बताइए? केवल ईमानदार और गरीब लोगों की परेशानी बढ़ी है और कुछ नहीं।

(माहौल को हल्का करने के लिहाज से चर्चा का रूख मोड़ते हुए)

कैलाश- अरे भाई नोटबंदी की समस्या छोडि़ए, हम लोगों को विधायक चुनना है, पीएम नहीं। यहां की जो समस्या है, उस पर बात कीजिए। हमको तो वही नेता चाहिए जो गोरखपुर का विकास कर सके।

(अब तक चुप बैठे इंद्रजीत ने हामी भरी)

इंद्रजीत खुसियाल चौहान- इस बार सिर्फ ऐसे नेता से ही काम नहीं चलेगा जो हम लोगों से मिलता रहे, ऐसा भी होना चाहिए जो गोरखपुर का विकास कर सके। रोड-नाली टूटी रहे, मोहल्ले में जलजमाव रहे और नेता घर आता-जाता रहे तो ऐसे नेता का क्या करना है? इस बार तो उसे ही वोट करेंगे जो विकास करेगा।

लक्ष्मण विश्वकर्मा- सही बात है, शहर में आज तक जल जमाव और जाम की समस्या बनी हुई है। चुनाव के वक्त जाति, धर्म, नाते-रिश्तेदारी की बात कर नेता वोट ले लेते हैं और फिर हम लोग पांच साल तक समस्या से जूझते रहते हैं। सीधी सी बात है कि डेवलपमेंट नहीं तो वोट कैसा?

विजय यादव - एकदम सही है, डेवलपमेंट नहीं तो वोट कैसा? क्या बात कही लक्ष्मण भाई आपने, दिल खुश हो गया।

प्रमोद कुमार- भाई साहब, दिक्कत तो यह भी है न कि कैसे पता चले कि कौन विकास करेगा और कौन नहीं। क्योंकि जब वोट मांगने आते हैं तब तो सब नेता ही विकास की बात करते हैं। जो वादा निभाता हो उसी के वादे पर भरोसा किया जाना चाहिए।

रवीचंद शर्मा- सही कहते हैं। पहले यह देखा जाए कि पिछले वादे निभाए कि नहीं। नहीं निभाए तो फिर मौका देकर धोखा खाने की जरूरत नहीं है। किसी नए को भी मौका देने से पहले उसका रिकॉर्ड चेक करना चाहिए कि उसकी छवि कैसी है। जो बोल रहा है, वही करेगा, इस बात की क्या गारंटी है? पांच साल में एक ही बार वोट देना है तो पूरा सोच-समझकर ही देंगे।

टी-स्टॉल

अब क्या बताऊं। मुझे तो 30 साल हो गया यहां। इस तरह की चर्चा तो चलती ही रहती है। सही बताऊं तो जो बात लोग यहां करते हैं, एकदम वहीं कर दें न तो गोरखपुर ऐसे ही बदल जाएगा। नेता भी सुधर जाएंगे। लेकिन लोग चर्चा कुछ और करते हैं, काम कुछ और। कई बार तो लोग चर्चा में ही आपस में भिड़ जाते हैं। मुझे तो दुकानदारी चलानी है तो सबको शांत कराना पड़ता है और सबकी सुननी भी पड़ती है। अपनी राय बोलूं तो विकास करने वाले को ही वोट देना चाहिए। नेता ऐसा होना चाहिए जो बड़े घरों में रहने वालों से लेकर हम जैसे छोटे लोगों के बारे में भी थोड़ी चिंता करे।

- टिकोरी यादव, दुकानदार