गोरखपुर (ब्यूरो)।दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में सामने आया कि आरटीओ अमला पीयूसी सेंटर्स की जांच तक करने नहीं जाता। इसी अनदेखी का फायदा पीयूसी सेंटर उठा रहे हैं।

बता दें, जिले में 63 पीयूसी सेंटर रजिस्टर्ड हैं, लेकिन कहीं भी नियमों के तहत काम नहीं हो रहा है। गुरुवार को आरटीओ वाहन (यूपी53डीएस2793) का पीयूसी सर्टिफिकेट उरुवा के अंकित प्रदूषण जांच केंद्र से जारी होने के बाद स्पष्ट हो गया कि वाहनों की प्रदूषण मापे बगैर पॉल्युशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं।

आउट ऑफ रीच आरटीओ प्रशासन

पीयूसी के फर्जीवाड़े का मामला जब सार्वजनिक हुआ, तब भी अफसर गंभीर नहीं नजर आए। इस मामले में जब आरटीओ प्रशासन रामवृक्ष सोनकर से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन या तो आउट ऑफ रीच रहा या कॉल रिसीव ही नहीं हुई। आरआई राघव कुशवाहा ने बताया, नियम विरुद्ध काम करने वाले सेंटर्स के खिलाफ नोटिस जारी करने की कार्रवाई की जा रही है।

वाहन को सेंटर तक ले जाना अनिवार्य

- वाहन को प्रदूषण परीक्षण केंद्र या स्थानीय आरटीओ या परीक्षण केंद्र वाले ईंधन स्टेशन पर ले जाएं।

- केंद्र कर्मी कार/बाइक के इजेक्शन पाइप से उत्सर्जन स्तर की जांच करके परीक्षण शुरू करेगा।

- वाहन के प्रज्वलन को चालू करें और इंजन को तेज करें ताकि सम्मिलित डिवाइस कार्बन उत्सर्जन का विश्लेषण करे।

- एक बार परीक्षण सटीक रूप से हो जाने के बाद, डिवाइस कंप्यूटर स्क्रीन पर रीडिंग प्रदर्शित करेगा।

- एक बार जब ऑपरेटर वाहन की रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट की तस्वीर ले लेता है, तो पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट जेनरेट हो जाता है।

- एक बार भुगतान हो जाने के बाद, कोई व्यक्ति पीयूसी या प्रदूषण प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है।

- डीजल वाहनों के लिए, त्वरक को पूरी तरह दबाया जाता है, और यह प्रक्रिया पांच बार दोहराई जाती है। सभी रीडिंग का औसत अंतिम रीडिंग का गठन करता है।

- पेट्रोल वाहनों के लिए, एक्सीलरेटर दबाए बिना कार को निष्क्रिय रखा जाता है। केवल एक रीडिंग को ही अंतिम रीडिंग माना जाता है।