- टीबी अस्पताल में क्वारंटीन किए गए लोगों के लिए नहीं पीने व नहाने का पानी, टायलेट है गंदा

<- टीबी अस्पताल में क्वारंटीन किए गए लोगों के लिए नहीं पीने व नहाने का पानी, टायलेट है गंदा

GORAKHPUR: GORAKHPUR: डॉक्टर साहब मुझे कैंसर है लेकिन यहां तो कोई व्यवस्था ही नहीं है। यह दर्द है टीबी अस्पताल में क्वारंटीन किए गए कैंसर पीडि़त मरीजों का। यहां क्वारंटीन दो कैंसर पेशेंट्स ने अपनी पीड़ा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से शेयर की है। पेशेंट्स की मानें टीबी अस्पताल में आम पेशेंट्स के लिए जो व्यवस्था है, वही व्यवस्था उनके लिए भी की गई है। उनके रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं है। जैसे सामान्य रूप से रखे गए लोग हैं, वैसे ही उन्हें भी रखा गया है। वहीं क्वारंटीन किए गए बाकी लोग भी पानी, भोजन समेत टॉयलेट आदि की समस्या से परेशान हैं। सभी के लिए खाने पीने के लिए पर्याप्त भोजन भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। आधे पेट खाकर सोने को मजबूर हैं।

'इससे अच्छा तो मौत ही आ जाती'

जिला प्रशासन के निर्देश पर हेल्थ डिपार्टमेंट ने क्00 बेड के टीबी अस्पताल को क्वारंटीन सेंटर बनाया है। संदिग्ध लोगों को यहां जिला अस्पताल में थर्मल स्कैनिंग करा क्ब् दिन के लिए क्वारंटीन किया जा रहा है। दिल्ली के सफरदजंग से एंबुलेंस से आए हाटा बुजुर्ग गांव के परिवार में मिले पहले कोविड-क्9 पेशेंट का परिवार जहां यहां क्वारंटीन है। वहीं दूसरे केस बांसगांव थाना क्षेत्र के गांव की महिला का परिवार भी यहां रखा गया है। इसके अलावा कोरोना पॉजिटिव मिले मंबई से लौटी सर्वोदय नगर बिछिया की फैमिली के मेंबर का परिवार और दिल्ली के जीबी पंत हॉस्टिपटल से पहुंचा परिवार भी यहां क्वारंटीन हैं। इन दो फैमिलीज में ही एक बुजुर्ग कैंसर पेशेंट हैं। लेकिन इन दोनों की उचित देखभाल के लिए टीबी अस्पताल में कोई इंतजाम नहीं है।

आधे पेट सोने को मजबूर

यहां क्वारंटीन 70 वर्षीय कैंसर पेशेंट महिला के परिजनों की मानें तो टीबी अस्पताल के वार्ड नंबर चार में रखा गया है। एक वार्ड में छह बेड लगाए गए हैं। इन्हीं बेड के बगल में बुजुर्ग को रखा गया है लेकिन उनके खाने-पीने से लगाए इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अगर यही हाल रहा तो कंडीशन बुरी हो जाएगी। महिला के नाती ने बताया कि ख्0 घंटे बाद तो नहाने का पानी मिला। पीने के पानी की भी कोई खास व्यवस्था नहीं है। सुबह के खाने-पीने का इंतजाम नहीं है। नाश्ते में पकौड़े दिए जाते हैं। जितनी भूख होती है उससे कम ही रोटी, दाल, सब्जी और चावल मिलते हैं। मांगने पर कहा जाता है कि लिमिटेड खाना आया है इसलिए दोबारा नहीं दिया जा सकता है। वहीं पास में कुस्मही जंगल होने के कारण टीबी अस्पताल में मच्छरों का भी आतंक है। टॉयलेट में भी गंदगी पसरी रहती है। साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है।

ध्यान नहीं दे रहे जिम्मेदार

शासन की तरफ से जिला प्रशासन को सख्त निर्देश है कि क्वारंटीन सेंटर में खाने पीने की व्यवस्था के साथ-साथ पानी, टॉयलेट समेत मूलभूत सुविधा का लाभ दिया जाना चाहिए। कोताही बरते जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कारर्वाई की जाएगी। वहीं डीपीआरओ की तरफ से बनाए गए सात हजार से ज्यादा क्वारंटीन सेंटर्स में जहां सुविधा का लाभ दिया जा रहा है। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट के अंडर वाले क्वारंटीन सेंटर्स में जिम्मेदार उदासीन नजर आ रहे हैं।

फैक्ट फिगर

टीबी अस्पताल में दिए जा रहे आइटम्स

- सुबह 8.ब्0 बजे ब्रेड पकौड़ा व चाय।

- दोपहर में दाल, चावल व सब्जी दिया गया (दोबारा मांगने पर नहीं मिलता.)

- रात में दाल, ख्-फ् रोटी व सब्जी

वर्जन

टीबी अस्पताल में क्वारंटीन किए गए लोगों की मूलभूत सुविधाओं का ख्याल रखा जा रहा है। इसके लिए एडीशनल सीएमओ की जिम्मेदारी है। खाने, पीने समेत साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ