-पहले आने वाले पैसेंजर्स 6 हजार अब 12 हजार रोजाना आ रहे पैसेंजर्स

-अभी तक विभिन्न प्रांतों से 752 श्रमिक स्पेशल ट्रेंस गोरखपुर स्टेशन पहुंची

-आठ लाख से अधिक पैसेंजर्स जा चुके हैं अपने घर

GORAKHPUR: सोशल डिस्टेंसिंग का दावा करने वाले रेल प्रशासन की पोल खुल रही है। कामगारों को लेकर आने वाले कई ट्रेंस में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं। ट्रेंस में अधिकतम 1584 सीटिंग क्षमता वाली ट्रेंस में 1900 से 2000 से अधिक पैसेंजर्स लाए जा रहे हैं। इससे एक ओर कोरोना वायरस का खतरा बढ़ रहा हैं, वहीं दूसरी ओर पैसेंजर्स को उनके घर तक पहुंचाने में अफसरों के पसीने छूट रहे हैं। पहले जहां छह हजार से सात हजार पैसेंजर्स श्रमिक स्पेशल टे्रंस से आ रहे थे। मगर इधर उनकी संख्या 12 हजार से अधिक हो गई हैं। वहीं इसके लिए रोडवेज बसें भी कम पड़ जा रही है। रेलवे से मिले आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न प्रांतों से अब तक 752 ट्रेंस से आठ लाख पैसेंजर्स गोरखपुर आ चुके हैं। जो सुरक्षित अपने घर पहुंच गए।

-डेली आने वाले ट्रेंस में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही धज्जियां

-राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेंस से पैसेंजर्स के आने का सिलसिला जारी है। ट्रेंस से क्षमता से ज्यादा पैसेंजर्स आ रहे हैं। जबकि बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग का हवाला देते हुए कुछ अपनी वाहवाही लूट रहे हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हैं। मुंबई, दिल्ली, पुणे, लुधियाना आदि राज्यों से ट्रेंस में क्षमता से अधिक पैसेंजर्स आ रहे हैं। जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है। इस संबंध में कोई भी अफसर बोलने को तैयार नहीं है।

ट्रेंस में भोजन और पानी के लिए मच रही लूट

विभिन्न प्रांतों से भूखे प्यासे पैसेंजर्स को गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर भोजन और पेयजल की व्यवस्था दी जा रही है। लेकिन इस पर भी लूट मच जा रही है। ट्रेंस के कोच में सीटिंग के हिसाब से ही उन्हें भोजन और बोतल बंद पानी दिया जा रहा है। लेकिन पैसेंजर्स की संख्या अधिक होने की वजह से दिक्कत आ रही है। भोजन और पानी उपलब्ध कराने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि एक झोले में भोजन का 72 पैकेट और उसी के हिसाब से बोतल बंद पानी मुहैया कराया जाता है। बिहार के रहने वाले मोहम्मद हाफिज ने बताया कि लुधियाना में कपड़ा की सिलाई करते हैं। कंपनी बंद होने से कमाई भी ठप हो गई। परिवार के साथ ट्रेंस से घर के लिए निकला। सफर को 36 घंटे हो गए। गोरखपुर पहुंचा तो लगा कि यहां भूख और प्यास दोनों मिट जाएगी। लेकिन यहां तो खाने के लिए लूट मच रही है।