- उलेमा कर रहे हैं लोगों ने हकदारों को जकात व फित्रा देने की अपील

- नाम और तकरीर भी सोशल मीडिया पर की जा रही है शेयर

GORAKHPUR: सोशल मीडिया पर भी रमजान का फैजान जारी है। कुरआन की आयत, हदीस व दुआएं एक दूसरे से शेयर की जा रही हैं, साथ ही जकात व फित्रा हकदारों को देने की अपील भी हो रही है। ऑनलाइन तकरीर व नात की महफिल सज रही है। उलेमा-ए-किराम भी सोशल मीडिया के उपयोग से पीछे नहीं हैं। उलेमा की तकरीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है। कई इस्लामी व्हाट्सएप ग्रुप जैसे इस्लाहे उम्मत, कारवाने अहले सुन्नत, आला हजरत के जरिए रमजान के मसले मसायल बताए जा रहे हैं। इसके अलावा पवित्र स्थान जैसे मक्का-मदीना, मस्जिदे अक्सा व बुजुर्गो के मजारात आदि के वीडियो व फोटो भी लोग शेयर कर रहे हैं।

मुकम्मल हुआ आधा रमजान

अल्लाह की इबादत व कुरआन-ए-पाक तिलावत में बुधवार को 15वां रोजा गुजरा। आधा रमजान मुकम्मल हो गया। मस्जिदों व घरों में कोरोना महामारी से निजात के लिए रो-रो कर दुआएं मांगी जा रही है। सहरी व इफ्तार के वक्त रौनक बरकरार है। मस्जिद में सीमित संख्या में लोग नमाज अदा कर रहे हैं। घरों में खूब इबादत हो रही है। मुकद्दस रमजान में बंदों के रूह व जिस्म की ट्रेनिंग जारी है। रोजेदार अल्लाह व रसूल के जिक्र में मशगूल हैं। घरों व मस्जिदों में कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है। मदीना मस्जिद नौतन में हाफिज तुफैल अहमद ने तरावीह नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया। दुआ कारी अख्तर रजा ने की। मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में हाफिज रेहानुल मुस्तफा व साहबगंज में हाफिज सद्दाम हुसैन ने तरावीह नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया। दुआ मौलाना मो। फिरोज निजामी ने की।

खुद को रोक लेता है इंसान

नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मो। असलम रजवी ने बताया कि रमजान का मकसद खुद को गलत काम करने से रोकने की ताकत पैदा करना है। शरीयत की जबान में इस ताकत को 'तकवा' कहा जाता है। रोजे में इंसान खुद को रोक लेता है। उसके सामने पानी होता है, लेकिन सख्त प्यास लगी होने के बावजूद रोजेदार उसे नहीं पीता। गलत बात होने के बावजूद खुद को गुस्सा होने से रोकता है। झूठ बोलने और बदनिगाही से परहेज करता है। जिंदगी में सारे गुनाह इसीलिए होते हैं, क्योंकि इंसान खुद को गलत काम करने से रोक नहीं पाता। सिर्फ जानकारी की कमी की वजह से अपराध नहीं होते, बल्कि जानकारी होने के बावजूद खुद पर काबू नहीं रख पाने की वजह से उससे गुनाह हो जाते हैं।