- प्रोजेक्ट्स में फंस गया रियल स्टेट कारोबारियों का पैसा

- सोशल डिस्टेंसिंग रूल्स से फंस गए अपार्टमेंट के फ्लैट

<- प्रोजेक्ट्स में फंस गया रियल स्टेट कारोबारियों का पैसा

- सोशल डिस्टेंसिंग रूल्स से फंस गए अपार्टमेंट के फ्लैट

GORAKHPUR: GORAKHPUR: लॉकडाउन ने गोरखपुर में चल रहे रियल स्टेट कारोबार पर भी ब्रेक लगा दिया है। शहर के एक नहीं बल्कि सभी बिल्डर्स का काम ठप हो गया है। लोग नए मकान के बारे में तो अभी सोच भी नहीं रहे हैं। वहीं जिन्होंने पहले से फ्लैट बुक कराए थे वे लोग भी इस समय हाथ खड़े कर चुके हैं। लाखों करोड़ों खर्च करने के बाद बिल्डर्स का फंड जगह-जगह फंस गया है। इस बारे में आर्किटेक्ट की मानें तो इधर दो महीनों में रियल स्टेट का कारोबार दो साल बैक हुआ है। वहीं आने वाले छह महीनों में तीन साल बैक होने की पूरी उम्मीद है।

जनवरी से जून तक चलता काम

बिल्डर्स की मानें तो क्भ् जनवरी से लेकर क्भ् जून तक जो प्रोजेक्ट होते हैं उन्हें पूरा करा लिया जाता है। इसके बाद बरसात आ जाती है जिसमें बहुत काम नहीं हो पाता है। वहीं ठंड में भी काम की स्पीड कम ही रहती है। सरकार की तरफ से थोड़ी राहत जरूर मिली है। लेकिन लॉकडाउन में ठप हुआ कारोबार अब कब रन करेगा ये कहना थोड़ी मुश्किल है। ऐसे में हम लोगों को आने वाले दिनों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

मजदूर की बढ़ी किल्लत

बिल्डर्स का कहना है भारत के निर्माण में मजदूरों का अहम रोल है। लॉकडाउन में हर जगह से मजदूर पलायन कर गए। गवर्नमेंट ने भी इन्हें रोकने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं किया। इस समय जो प्रोजेक्ट कम्प्लीट करने थे, वे मजदूरों के अभाव में अधूरे पड़े रहे गए। वहीं गोरखपुर में जो मजदूर हैं वो अभी कोरोना को लेकर काफी दहशत में हैं। ऐसे में जो काम पूरा होने वाला था वो पेंडिंग रह गया। बिल्डर्स ने बताया कि गोरखपुर में अधिकतर बिहार के मजदूर हैं जो लॉकडाउन में अपने घर वापस चले गए हैं।

महंगे हो गए मैटेरियल

लॉकडाउन के बाद से ही गाडि़यों का आवागमन बंद है। ऐसे में बिल्डिंग मैटेरियल बाहर से बहुत कम आ पा रहे हैं। इस वजह से बिल्डर्स जो सीमेंट की बोरी फ्म्फ् रुपए में खरीदते थे उसके लिए इस समय फ्8भ् रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। इसी तरह मोरंग 70 रुपए घनफुट मिलता था वो इस समय 9भ्-क्00 रुपए के बीच मिल रहा है। इसी तरह और भी बिल्डिंग मैटेरियल्स महंगे रेट पर बिक रहे हैं।

मिडिल ऑर्डर के लिए ज्यादा दिक्कतें

रियल स्टेट कारोबार में कई मिडिल ऑर्डर बिजनेसमैन भी भाग्य आजमा रहे हैं। उनका कहना है कि एक तरफ से पैसा आता है तो दूसरी तरफ लगाया जाता है। अचानक लॉकडाउन लगने से हम लोगों के सारे पैसे कारोबार में ही फंस गए हैं। पहले से पता रहता तो बिजनेस में कम पैसा लगाकर अपने खर्च के लिए भी पैसे बचा लिए होते।

कोरोना ने बदली सोच

- हाइजीन और ग्रीन बिल्डिंग की बढ़ेगी डिमांड।

- खुले मकानों पर अधिक लोग जोर देंगे।

- लाइट और वेंटिलेशन पर जोर होगा।

- सिक्योरिटी की अहम भूमिका होगी।

- बच्चों के लिए अलग प्ले ग्राउंड।

- सीनियर सिटीजन के लिए अलग योगा ग्राउंड।

- ऑफिस हॉल कम पर्सनल केबिन पर दिया जाएगा जोर।

- गेट पर सेनेटाइजर के लिए एक जगह दी जाएगी।

- मकान लेने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग पर विशेष जोर रहेगा।

कोट्स

लेबर जाने की वजह से कई प्रोजेक्ट वर्क रुक गए हैं। भारत के निर्माण में मजदूरों का बहुत योगदान है। इनके बिना सारे विकास कार्य भी अधूरे रह जाएंगे। इसलिए मजदूरों के लिए सरकार को विशेष पैकेज का इंतजाम करना चाहिए।

- संजीत श्रीवास्तव, बिल्डर

अचानक लॉकडाउन लगने से मिडिल क्लास रियल स्टेट कारोबारियों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ से पैसा आता है तब मजदूरों और आगे नए प्रोजेक्ट में लगाया जाता है। लेकिन इस समय तो सारे काम ही रुक गए हैं।

अमलेश पांडेय, बिल्डर

सरकार ने राहत दी है। रेरा में छूट दी है। सबसे बडी जो दिक्कत है वो लेबर की है। गोरखपुर में अधिकतर लेबर बिहार के हैं जो अपने घर वापस चले गए हैं। गोरखपुर के लेबर कोरोना के खौफ से अभी काम करने को तैयार नहीं हैं।

विनय जायसवाल, बिल्डर

दो महीनों में रियल स्टेट कारोबार दो साल पीछे चला गया है। आने वाले तीन से छह महीनों में तीन साल और पीछे जाएगा। आने वाले दिनों में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन ठप रहेगा। वहीं कोरोना वायरस ने लोगों की सोच भी चेंज की है। अब घर लेने में भी सोशल डिस्टेंसिंग की सोच शामिल रहेगी।

अभिनीत कुमार श्रीवास्तव, आर्किटेक्ट