गोरखपुर (ब्यूरो)। इस मौके पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ। वत्सला ने बताया कि कुछ बीमारियां जैसे ब्लड प्रेशर, आरएच नेगेटिव ब्लड ग्रुप, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, इंफेक्शन अगर गर्भावस्था के दौरान हो जाते हैं तो टील बर्थ होने की आशंका बढ़ जाती है। जिन गर्भवती का ब्लड ग्रुप आरएच नेगेटिव होता है। उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। समय-समय पर आरएच एंटीबॉडी टाइटर तथा अल्ट्रासाउंड से इनकी जांच होनी चाहिए। ऐसी गर्भवती हाई रिस्क कैटेगरी की होती हैं। इसमें जच्चा-बच्चे की जान को खतरा बना रहता है। सही समय पर इलाज होने पर स्वस्थ बच्चा पैदा हो सकता है।

मां और बच्चे पर पड़ता है असर

कॉफ्रेंस की सचिव डॉ। अमृता जयपुरियार, डॉ। राधा जीना, डॉ। रीना श्रीवास्तव, डॉ। सुरहीता करीम, डॉ। राजेश गुप्ता, डॉ। बबीता शुक्ला, डॉ। अनुभा गुप्ता, डॉ। मीनाक्षी गुप्ता और डॉ। अरुणा छापरिया ने बताया कि कोविड एक खतरनाक बीमारी है। इसका असर मां और बच्चे पर पड़ता है। कोविड की वजह से स्टील बर्थ के मामले बढ़े हैं। कभी-कभी गर्भ में ही शिशु का निधन हो जाता है। इसे इंट्रायूटरिन फीटल डेथ बोलते हैं। मां को इंफेक्शन, ब्लीडिंग, शॉक व अन्य खतरे होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। पोस्टर एवं पेपर प्रेजेंटेशन में देश के विभिन्न हिस्सों से डॉक्टरों ने भाग लिया। पहले दिन 75 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। इनमें से तीन रिसर्च पेपर को पुरस्कार दिया जाएगा।

गर्भ में बच्चे की मूवमेंट पर रखें नजर

आइसोपार्ब की अध्यक्ष डॉ। उषा शर्मा ने बताया कि यदि पेट में चार घंटे बच्चा न चले यानी उसका कोई मूवमेंट न हो तो यह चिंता की बात है। बच्चे की गर्भ में सक्रियता की जानकारी बहुत आसान है। एक घंटे में बच्चा की कम से कम 10 बार सक्रियता होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो पहले कुछ खाएं और पानी पीकर लेट जाएं। इसके बाद भी कोई सक्रियता नहीं है तो डाक्टर को दिखाएं। डॉ। बबिता शुक्ला ने कहा कि गर्भ में बच्चे की स्थिति की जानकारी अल्ट्रासाउंड जांच से होती है। डाक्टर जरूरी होने पर ही यह जांच कराती हैं। अल्ट्रासाउंड बहुत सुरक्षित जांच होती है। प्रसव के दौरान गर्भस्थ शिशु के सेहत की जांच होनी चाहिए। इस मौके पर डॉ। मीना सामंत पटना ने भी वक्तव्य दिए।